आयुष्मान भारत योजना में जमकर धांधली, एक अस्पताल ने 99 दिन में 539 महिलाओं के गर्भाशय निकाले
गत वर्ष अप्रैल में शुरू हुई महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना में भ्रष्टाचारियों ने जमकर पलीता लगाया है जिसकी बानगी खुद एनएचए की शुरुआती जांच में सामने आई है।
नई दिल्ली, जागरण स्पेशल। गत वर्ष अप्रैल में शुरू हुई महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना में भ्रष्टाचारियों ने जमकर पलीता लगाया है, जिसकी बानगी खुद राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) की शुरुआती जांच में सामने आई है। एनएचए को ऑनलाइन पड़ताल में जो शुरुआती गड़बड़ियां मिलीं, चौंकाने वाली हैं। पता चल रहा है कि जमकर धांधली हुई। बड़ी संख्या में फर्जी कार्ड बनाए गए हैं। फर्जी इलाज-ऑपरेशन हो रहे हैं और अस्पताल फर्जी बिल बनाकर क्लेम कर रहे हैं। कुल मिलाकर, चौंकाने और शर्मसार करने देने वाले रहस्योदघाटन एक-एक कर हो रहे हैं।
मप्र का हाल: योजना की राशि के लिए किया बिना जरूरत ऑपरेशन
आयुष्मान भारत योजना की राशि के लिए महिलाओं का बिना जरूरत ऑपरेशन कर गर्भाशय निकालने के मामले में उज्जैन के गुरुनानक अस्पताल के डायरेक्टर के खिलाफ एफआइआर की तैयारी है। मामले में गठित जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा जरूरत नहीं होने पर भी महिलाओं के गर्भाशय निकाले गए।
आयुष्मान भारत के सीईओ जे. विजय कुमार ने ज्वाइंट डायरेक्टर उज्जैन की रिपोर्ट पर अवैध इलाज करने, धोखाधड़ी और फर्जी रिकॉर्ड तैयार करने का केस दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। मामला दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में सामने आया था। अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगा था कि उसने आयुष्मान भारत योजना की राशि के लिए 99 दिनों में 539 महिलाओं के गर्भाशय निकाले। इसमें कई गैर जरूरी ऑपरेशन शामिल हैं। योजना की मॉनिटरिंग करने वाली नेशनल हेल्थ एजेंसी ने यह धांधली पकड़ी थी।
इधर, गुरुनानक अस्पताल के निदेशक डॉ. उमेश जेठवानी के अनुसार, आयुष्मान भारत योजना के तहत सारी कार्रवाई ऑनलाइन की जाती है। वहीं जबलपुर के मेट्रो हॉस्पिटल में भी गड़बड़ी की शिकायत मिली है। अस्पताल ने कई मरीजों से योजना में तय पैकेज की राशि लेने के बावजूद ऊपर से भी पैसे लिए। इसके अलावा जबलपुर संभाग के एक जिले में करीब महीने भर पहले एक अस्पताल के आयुष्मान मित्र द्वारा करीब 60 मरीजों का गलत तरीके से आयुष्मान कार्ड बनाने का मामला भी सामने आया है। जितने भी आयुष्मान कार्ड उस अस्पताल ने बनाए थे, सभी निरस्त कर दिए गए हैं।
उप्र का हाल : घोटाले की भेंट चढ़े 47 अस्पताल, 1445 गोल्डन कार्ड
उत्तर प्रदेश में ऐसे 150 निजी अस्पताल चिन्हित किए गए हैं, जिन्होंने फर्जी इलाज करने से लेकर बोगस बिल बनाने तक का काम धड़ल्ले से किया है। इसमें से 47 अस्पतालों को योजना से बाहर कर दिया गया है। 1455 नकली गोल्डन कार्ड भी पकड़े गए हैं। निजी अस्पतालों ने आरोग्य मित्रों के जरिये नकली गोल्डन कार्ड बनवाए और उन कार्डो पर बिना इलाज बिल तैयार कर दिए। कई मामलों में बिल की रकम भी बढ़ाकर चूना लगाया गया।
कुछ समय पहले प्रदेश में यह गड़बड़ी तब पकड़ में आई, जब कुछ निजी अस्पतालों ने महिलाओं का बिना जरूरत के गर्भाशय निकालने के ऑपरेशन बड़ी संख्या में कर दिए। इसी तरह बड़ी संख्या में ऐसे बिल पकड़े गए, जिसमें अस्पतालों ने रकम बढ़ाकर दिखाई।
उप्र में योजना की प्रभारी (सीइओ) संगीता सिंह ने कहा कि आयुष्मान योजना में शामिल कई निजी अस्पतालों की गड़बड़ी पकड़ में आने के बाद निगरानी बढ़ा दी गई है। गंभीर अनियमितता करने वाले 47 निजी अस्पतालों की संबद्धता खत्म की गई है, जबकि 100 से ज्यादा निजी अस्पतालों को अंतिम चेतावनी जारी की गई है। कंप्यूटर के जरिये नकली गोल्डेन कार्ड पकड़ने की भी व्यवस्था की गई है।
पंजाब का हाल : हजारों फर्जी कार्ड, हेल्पलाइन पर रोज 30 शिकायतें-144 कार्ड रद
योजना के तहत फर्जी कार्ड बनाने का खेल पूरे पंजाब में चल रहा है। कई जिलों से 104 नंबर हेल्पलाइन पर प्रतिदिन 20 से 30 शिकायतें आ रही हैं। शिकायत करने वालों का कहना है कि अस्पताल पहुंचने पर पता चलता है कि कार्ड अब मान्य नहीं रहा। लिमिट खत्म हो गई है या कार्ड किसी और के नाम से जारी हो रखा है। \
चार माह में अब तक दो हजार से अधिक शिकायतें पहुंची हैं। उनकी जांच आगे स्टेट हेल्थ एजेंसी भी कर रही है। एजेंसी ने अब तक 264 कार्ड फर्जी पाए हैं। इनमें से 144 रद कर दिए गए हैं। शेष को रद करने की प्रक्रिया जारी है। ये तो वो पीडि़त हैं, जिन्हें शिकायत करने की प्रक्रिया पता है। सैकड़ों ऐसे पीड़ित भी हैं, जिन्हें हेल्पलाइन नंबर के बारे में पता ही नहीं है। जल्द ही फर्जीवाड़े का पूरा पर्दाफाश हो सकता है।
104 हेल्पलाइन के मैनेजर डॉ. अवतार ने कहा कि शिकायत मिलते ही इसे स्टेट हेल्थ एजेंसी को सौंप दिया जाता है। आगे का काम एजेंसी का है।