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कोरोना संकट में गरीबों का संबल साबित हुआ आयुष्मान भारत, 29 हजार लोगों का हुआ मुफ्त इलाज

कोरोना के मरीजों से संपर्क और परामर्श के लिए शुरू किये गए विभिन्न प्रयासों के तहत नेशनल हेल्थ अथारिटी (NHA) की ओर से 95 लाख से अधिक कॉल हैंडल किये गए।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 17 Sep 2020 07:03 PM (IST)Updated: Thu, 17 Sep 2020 07:09 PM (IST)
कोरोना संकट में गरीबों का संबल साबित हुआ आयुष्मान भारत, 29 हजार लोगों का हुआ मुफ्त इलाज
कोरोना संकट में गरीबों का संबल साबित हुआ आयुष्मान भारत, 29 हजार लोगों का हुआ मुफ्त इलाज

नीलू रंजन, नई दिल्ली। कोरोना के संकट के दौरान गरीबों के लिए आयुष्मान भारत बड़ा संबल साबित हुआ है। इस योजना के तहत लगभग 29 हजार गरीबों को कोरोना का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराया गया। इसके साथ ही 2.24 लाख लाभार्थियों का मुफ्त में कोरोना का टेस्ट भी कराया गया। कोरोना के मरीजों से संपर्क और परामर्श के लिए शुरू किये गए विभिन्न प्रयासों के तहत नेशनल हेल्थ अथारिटी (NHA) की ओर से 95 लाख से अधिक कॉल हैंडल किये गए। ध्यान देने की बात है कि एनएचए ही आयुष्मान भारत योजना का क्रियान्वयन करता है।

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एनएचए के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार मार्च में जब पूरे देश में लॉकडाउन शुरु किया गया, तो सबसे बड़ी चिंता गरीब लाभार्थियों को इलाज की सुविधा मुहैया कराने की हुई। उनमें भी सबसे अधिक खतरा 60 से अधिक उम्र और दूसरी गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लाभार्थियों को लेकर था। कोरोना के कारण ऐसे मरीजों की मृत्युदर सबसे अधिक है। ऐसे मरीजों को एनएचए ने खुद फोन करने का फैसला किया।

30 जून तक के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक कुल 7.74 लाख ऐसे गरीब लाभार्थियों को फोन कर जानकारी ली गई कि उन्हें कोरोना से संबंधित कोई लक्षण तो नहीं है। लक्षण होने की स्थिति में तत्काल उनका टेस्ट और फिर जरूरत के मुताबिक इलाज का इंतजाम किया गया।

गरीबों को सालाना पांच लाख रुपये तक कराया जाता है मुफ्त इलाज

एनएचए के अनुसार 10 सितंबर तक आयुष्मान भारत के 2.24 लाख लाभार्थियों का कोरोना टेस्ट कराया गया है और उनमें से 28,882 कोरोना पोजेटिव मरीजों को इलाज मुहैया कराया गया है। दो साल पहले शुरू की गई इस योजना के तहत देश के लगभग 50 लाख गरीबों को सालाना पांच लाख रुपये तक मुफ्त और कैशलेस इलाज मुहैया कराया जाता है।

हर दिन औसतन 10 से 15 हजार कॉल्स का दिया गया जवाब

आयुष्मान भारत के लाभार्थियों के अलावा कोरोना संकट के दौरान एनएचए ने कई और अहम जिम्मेदारियों को पूरा किया। कोरोना के लिए राष्ट्रीय कोविड-19 हेल्पलाइन 1075 के प्रबंधन में एनएचए सहयोग कर रहा था। आठ सितंबर तक इस हेल्पलाइन पर 37.78 लाख कॉल आए। इस हेल्पलाइन पर हर दिन औसतन 10 से 15 हजार कॉल का जवाब दिया गया। इसके अलावा आरोग्य सेतु एप के तहत लोगों को टेली कंसल्टेंसी सुविधाएं देने की जिम्मेदारी भी एनएचए ने संभाल रखा था। 23 अप्रैल से शुरू हो कर 20 जून तक चले टेली कंसल्टेंसी के दौरान 20 लाख कॉल आए. जिनमें 50 हजार लोगों को डाक्टरी परामर्श भी मुहैया कराया गया।

कोरोना के मरीजों के टेस्ट के वेरीफिकेशन और डाटा को सटीक बनाने के लिए आइसीएमआर ने बड़ा अभियान शुरू किया था। इसके तहत मरीजों को कॉल किया जाता था और सिस्टम में मौजूद डाटा से उसे पुष्टि की जाती थी। 10 अगस्त चले इस अभियान के तहत एनएचए की ओर से कुल 30.58 कॉल किये गए।


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