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वैद्य को ऑपरेशन की अनुमति देने पर आइएमए ने जताई कड़ी आपत्ति

आयुष मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करने वाली संस्था सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) ने आयुर्वेद चिकित्सकों को शल्य चिकित्सा की अनुमति दी है।आइएमए ने सीसीआइएम से अपने फैसले को वापस लेने का अनुरोध करते हुए कड़ी आपत्ति जताई है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 10:15 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 10:15 PM (IST)
वैद्य को ऑपरेशन की अनुमति देने पर आइएमए ने जताई कड़ी आपत्ति
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) को लोगो फाइल फोटो

नई दिल्ली, प्रेट्र। आयुर्वेद चिकित्सकों (वैद्य) को ऑपरेशन से चिकित्सा की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) ने कड़ी आपत्ति जताई है। संगठन ने इसे सरकार का निम्न स्तरीय कदम बताया है। कहा है कि यह चिकित्सा में घालमेल पैदा करने वाला कदम है जिसके गंभीर दुष्परिणाम होंगे। आयुष मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करने वाली संस्था सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) ने आयुर्वेद चिकित्सकों को शल्य चिकित्सा की अनुमति दी है।

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आइएमए ने सीसीआइएम से अपने फैसले को वापस लेने का अनुरोध किया है। कहा है कि अगर फैसला वापस नहीं लिया जाता है तो फिर आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए अलग से शल्य चिकित्सा के मानदंड व तरीके तय किए जाएं, जो प्राचीन तरीके का अद्यतन स्वरूप हों। आयुर्वेद चिकित्सकों को आधुनिक शल्य चिकित्सा के उस तरीके से न जोड़ा जाए जिसे एलोपैथी चिकित्सक प्रयोग में लाते हैं। उल्लेखनीय है कि सीसीआइएम की जारी अधिसूचना में स्नातकोत्तर परीक्षा उत्तीर्ण आयुर्वेद चिकित्सकों को खास प्रशिक्षण के बाद ऑपरेशन के जरिये चिकित्सा की अनुमति दी गई है।

अधिसूचना में 58 तरह के ऑपरेशन करने की आयुर्वेद चिकित्सकों को अनुमति दी गई है। इनमें आंख, कान, नाक, गला, कई हड्डियों आदि के ऑपरेशन हैं। आइएमए ने कहा है कि नई व्यवस्था स्थापित करने में वह किसी तरह का सहयोग नहीं देगी, क्योंकि वह उसे उचित नहीं मानती। अगर लोगों को डॉक्टर बनाने का यह छोटा रास्ता अपनाया गया तो फिर एनईईटी (नीट) जैसी परीक्षा का क्या औचित्य रह जाएगा? इससे चिकित्सकों की पहचान और उनके सम्मान पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा।

मामले में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने कहा है कि अधिसूचना जारी कर कोई नया फैसला नहीं किया गया है। वास्तव में यह एक स्पष्टीकरण है। अधिसूचना से स्नातकोत्तर की पढ़ाई के पाठ्यक्रम को ज्यादा स्पष्ट और वर्गीकृत किया गया है। आयुर्वेद चिकित्सक सभी तरह की शल्य चिकित्सा (ऑपरेशन) नहीं कर सकेंगे, अधिसूचना में यह स्पष्ट है। इसलिए अधिसूचना को लेकर चिंता जताना गलत है।


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