Ayodhya Ram Mandir: श्रीराम मंदिर के लिए शमशेर खान खोलेंगे खजाना, दुर्लभ वस्तुएं करेंगे भेंट
केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी शमशेर खान को पुराने सिक्कों के संग्रह का शौक है। उनके पास ब्रिटिश और रिसायत काल के कई दुर्लभ सिक्के हैं। इसी में से रतलाम और ग्वालियर रियासत के समय के दुर्लभ सिक्के वे श्री जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को भेंट करेंगे।
मोहम्मद रफीक, भोपाल। अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए हर भारतीय अपना योगदान देने को आतुर है। मध्य प्रदेश के भोपाल निवासी शमशेर खान भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहते हैं। धनराशि की कोई कमी नहीं है, यह बात वे जानते हैं। ऐसे में उन्होंने अपने 'खजाने' से दुर्लभ वस्तु भेंट करने का निर्णय लिया है। केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी शमशेर खान को पुराने सिक्कों के संग्रह का शौक है। उनके पास ब्रिटिश और रिसायत काल के कई दुर्लभ सिक्के हैं। इन्हें ही वे अपना खजाना कहते हैं। इसी में से रतलाम और ग्वालियर रियासत के समय के दुर्लभ सिक्के वे श्री जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को भेंट करेंगे।
रतलाम रियासत के सिक्के पर हनुमानजी की आकृति उकेरी हुई है, जबकि ग्वालियर रियासत के सिक्के में नाग देवता और उनके आसपास भाला और त्रिशूल की आकृति है। इन सिक्कों को वे चांदी की फ्रेम में लगवाकर भेंट करेंगे।
शमशेर खान ने बताया कि इस भेंट के पीछे उनका उद्देश्य एकता और सद्भावना का संदेश देना है। भारत में सभी मत के लोग रहते हैं। पहले हम इंसान हैं और धर्म बाद में आता है। उन्होंने बताया कि उनके पास रतलाम रियासत का एक और ग्वालियर रियासत के दो सिक्के हैं। रतलाम रियासत वाला सिक्का एक पैसे के तौर पर लाया गया था। ग्वालियर रियासत वाले सिक्के पाव आणा और आधा पैसे के हैं। इन सिक्कों की कीमत भले ही आज के चलन में मायने नहीं रखती, लेकिन दुर्लभ होने के कारण इनका विशेष महत्व है।
40 साल से कर रहे हैं संग्रह
शमशेर 40 साल से दुर्लभ सिक्कों का संग्रह कर रहे हैं। उनके पास वर्ष 1835 से 2019 तक के लगभग सभी प्रकार के सिक्के हैं। इनमें इस्ट इंडिया, विक्टोरिया क्वीन, किंग एडवर्ड-7 से लेकर विभिन्न समयावधि में निकाले गए सिक्के सीरीज के रूप में हैं। उन्होंने बताया कि सिक्कों को चार जगह ढाला जाता रहा है। ये टकसाल (मिन्ट) बॉम्बे (मुंबई), हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में हैं। हर टकसाल का अपना संकेत सिक्के पर अंकित होता है, जिससे पता चल जाता है कि इसका निर्माण कहां हुआ है। बॉम्बे की टकसाल में बने सिक्कों पर डायमंड, हैदराबाद के सिक्कों में स्टार, नोएडा में बने सिक्कों में डॉट और कोलकाता के सिक्कों में कोई संकेत नहीं होता है।