आस्ट्रेलिया भारत के सबसे बड़े ऊर्जा सहयोगी देशों में होगा शामिल
कुछ देर से ही सही लेकिन भारत ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में आई मंदी का फायदा उठाने के लिए अपनी कूटनीति को तेज धार देनी शुरु कर दी है।
जयप्रकाश रंजन, कैनबरा। कुछ देर से ही सही लेकिन भारत ने अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा बाजार में आई मंदी का फायदा उठाने के लिए अपनी कूटनीति को तेज धार देनी शुरु कर दी है। अमेरिका और जापान के बाद अब भारत ने आस्ट्रेलिया से सस्ती दरों पर कोयला और गैस खरीदने की मुहिम शुरु की है। आस्ट्रेलिया ने भी भारत को न सिर्फ बेहद आसान शर्तों पर कोयला व एलएनजी देने का प्रस्ताव किया है बल्कि वह भारत में इन दोनों क्षेत्रों में भारी भरकम निवेश करने को भी तैयार है।
आस्ट्रेलिया की कंपनियों ने भारत के पूर्वी समुद्र तट पर एक बड़ा एलएनजी टर्मिनल लगाने का प्रस्ताव भी किया है। इसके साथ ही आस्ट्रेलिया की कई कंपनियों ने देश के सौर ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने का प्रस्ताव किया है।
भारत आस्ट्रेलिया के बीच पिछले चार दिनों से चल रही ऊर्जा सुरक्षा वार्ता के अंतिम दिन बुधवार को बिजली, कोयला, नवीन और नवीकरणीय उर्जा मंत्री पीयूष गोयल और आस्ट्रेलिया के ऊर्जा व स्त्रोत मंत्री जोश फ्राइडेनबर्ग के बीच उच्चस्तरीय वार्ता हुई। वार्ता के बाद गोयल ने संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि इस बैठक के बाद जो सहमति बनी है उसके दो परिणाम जल्द ही सामने आएंगे।
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पहला यह कि आस्ट्रेलिया की कई कंपनियां भारत के ऊर्जा क्षेत्र में जल्द ही निवेश करेंगी। दूसरा आस्ट्रेलिया भारत का एक अहम ऊर्जा सहयोगी देश बनने जा रहा है। गोयल आस्ट्रेलिया से पहले अमेरिका और जापान के साथ भी ऊर्जा सहयोग वार्ता में भारतीय दल की अगुवाई कर चुके हैं।
आस्ट्रेलिया के साथ अभी तक ऊर्जा सहयोग पर सचिव स्तरीय वार्ता होती थी लेकिन यहां निवेश और तकनीकी हासिल करने की बड़ी संभावनाओं को देखते हुए अब दोनों देश हर साल मंत्री स्तरीय वार्ता को तैयार हो गये हैं।ऊर्जा की कीमतों में गिरावट को देखते हुए यूपीए सरकार ने तमाम देशों से ऊर्जा खरीदने को अपनी कूटनीति का एक अहम हिस्सा बना लिया है।
आस्ट्रेलिया के पास अकूत एलएनजी भंडार का फायदा उठाने के लिए भारत और आस्ट्रेलिया के बीच दो अहम सहमति बनी है। बिजली मंत्री गोयल की तरफ से पहला प्रस्ताव यह किया गया है कि आस्ट्रेलिया की गैस से भारत में बेकार पड़े 27 हजार मेगावाट क्षमता के गैस आधारित बिजली संयंत्रों का कायाकल्प किया जाए। इसमें समस्या यह है कि आस्ट्रेलिया से एलएनजी लाना फिलहाल महंगा है।
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लेकिन आस्ट्रेलिया के एलएनजी का भारत से बड़ा खरीदार नहीं है। इसलिए सहमति बनी है कि आस्ट्रेलिया की कंपनियां भारत में एलएनजी टर्मिनल लगाएंगी। इस पर आगे फैसला करने के लिए उच्चस्तीय समिति का गठन किया गया है। भारत ने दूसरा प्रस्ताव आस्ट्रेलिया की कोल गैसिफिकेशन (कोयला भंडारों से गैस निकालना) तकनीकी को हासिल करने का प्रस्ताव दिया जिसे आस्ट्रेलिया की सरकार व कंपनियों ने तुरंत सहमति जता दी है।
गोयल का कहना है कि भारत में जो कोयला भंडार हैं उन्हें गैस निकालने के लिए सबसे बेहतरीतन माना जा रहा है लेकिन सही तकनीकी नहीं होने की वजह से हम उनका उपयोग नहीं कर पा रहे। अब आस्ट्रेलिया के सहयोग से यह संभव होगा।