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कहीं आपकी याददाश्त को गच्चा न दे जाए डिमेंशिया, अपनाएं ये छोटे से घरेलू उपाय

उम्र बढ़ने के साथ ही इंसान की याददाश्त भी कमजोर होने लगती है है। यदि आप डिमेंशिया जैसे मानसिक विकारों से बचना चाहते है तो अखरोट और बादाम जैसे नट्स का सेवन शुरू कर दीजिए।

By Atyagi.jimmcEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 11:47 AM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 12:24 PM (IST)
कहीं आपकी याददाश्त को गच्चा न दे जाए डिमेंशिया, अपनाएं ये छोटे से घरेलू उपाय
कहीं आपकी याददाश्त को गच्चा न दे जाए डिमेंशिया, अपनाएं ये छोटे से घरेलू उपाय

नई दिल्ली,जागरण।  उम्र बढ़ने के साथ ही इंसान की याददाश्त कमजोर होने लगती है हम चीजें भूलने लगते है। यदि आप उम्र संबंधी इन मानसिक विकारों जैसे डिमेंशिया से बचना चाहते हैं तो अखरोट और बादाम जैसे नट्स का सेवन शुरू कर दीजिए।

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दरअसल एक अध्ययन में पाया गया है कि रोजाना दस ग्राम से ज्यादा नट्स खाने से डिमेंशिया जैसा रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। 

आस्ट्रेलिया यूनिवर्सिटी में हुआ शोध
साउथ आस्ट्रेलिया की एक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के अनुसार 55 साल की उम्र के 4,822 लोगों पर अध्ययन किया गया के आधार पर ये निष्कर्ष निकाला गया है। अध्ययन में पाया गया है कि नट्स के सेवन और याददाश्त के बीच जुड़ाव है। साउथ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता मिंग ली ने कहा कि यदि बुजुर्ग लोग रोजाना दस ग्राम से ज्यादा नट्स खाकर अपनी याददाशत को 60 फीसदी तक बेहतर कर सकते हैं। 

नट्स खाने के फायदे 
माना गया है कि याददाश्त बनाए रखने के लिए बादाम काफी उपयोगी होता है। बादाम में मौजूद पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, मैगनीज, कॉपर और राइबोफ्लाविन अल्जाइमर और अन्य मस्तिष्क संबंधी रोगों को दूर करने में मदद करते हैं। इसके लिए आप रात को 5 बादाम भिगोकर रख दें। सुबह उठकर उनका सेवन करें इससे आपका दिमाग तेज होगा। इसके अलावा अखरोट 3 दर्जन से भी ज्यादा न्यूरॉन ट्रांसमीटर को बनाने में मदद करता है। 

क्या है डिमेंशिया 
डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है, बल्कि ये एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं। Dementia शब्द 'de' मतलब without और 'mentia' मतलब mind से मिलकर बना है।

अधिकतर लोग डिमेंशिया को भूलने की बिमारी से जानते हैं। याददाश्त की समस्या एकमात्र इसका प्रमुख लक्षण नहीं है। हम आपको बता दें की डिमेंशिया के अनेक गंभीर और चिंताजनक लक्षण होते हैं, जिसका असर डिमेंशिया से पीड़ित लोगों के जीवन के हर पहलु पर होता है। दैनिक कार्यों में भी व्यक्ति को दिक्कतें होती हैं और ये दिक्कतें उम्र के साथ बढ़ती जाती हैं। 

यह बीमारी 65 वर्ष से अधिक उम्र के दस लोगों में से एक को और 85 साल के चार में से एक को प्रभावित करती है। 65 साल से कम उम्र के लोग भी बीमारी से ग्रस्त हैं जिसे अल्जाइमर की शुरुआत के रूप में जाना जाता है। आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि डिमेंशिया क्या है, कितने प्रकार का होता है, इसके क्या लक्षण हैं आदि।

लक्ष्ण 

  • ज़रूरी चीज़ें भूल जाना
  • सोचने में कठिनाई होना
  • छोटी-छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना
  • भटक जाना
  • व्यक्तित्व में बदलाव
  • किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है
  • नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में दिक्कत
  • स्व: प्रबंधन में दिक्कत 
  • समस्या हल करने या भाषा और ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत का होना 
  • यहां तक कि डिमेंशिया लोग अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं होते हैं। यानी मूड या व्यवहार का बदलना

क्यों होता है डिमेंशिया
बढ़ती उम्र के साथ ही कई बार लोग अपने जीवन की समस्याओं को लेकर भी उनका समाधान खोजते रहते हैं। जिस वजह से वो अवसाद और डिमेंशिया का शिकार हो जाते हैं। 


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