10 माह पहले मालगाड़ी से कटकर मरे 16 मजदूरों को अब तक नहीं मिले मृत्यु प्रमाणपत्र
दस महीने पहले मध्य प्रदेश के शहडोल और उमरिया जिले के 16 लोगों की औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में एक ट्रेन दुर्घटना में मौत हो गई थी। इनके स्वजन को अब तक मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं मिले है जिससे उनके स्वजन शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
जबलपुर, राज्य ब्यूरो। दस महीने पहले मध्य प्रदेश के शहडोल और उमरिया जिले के 16 लोगों की औरंगाबाद (महाराष्ट्र) में एक ट्रेन दुर्घटना में मौत हो गई थी। इनके स्वजन को अब तक मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं मिले है, जिससे उनके स्वजन शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। उन्हें यहां-वहां भटकना पड़ रहा है।
पिछले साल मई में 16 श्रमिकों की हो गई थी मौत
कोरोनाकाल के दौरान पिछले साल मई में 16 श्रमिकों की मौत हो गई थी, जिनमें से 11 शहडोल और पांच उमरिया जिले के थे। से सभी मजदूर पैदल अपने घरों की ओर चले आ रहे थे। थकने के बाद ये लोग औरंगाबाद के पास रेल की पटरी पर ही सो गए। तब मालगाड़ी ने इन्हें रौंद दिया था। सभी श्रमिकों के शव विशेष ट्रेन से शहडोल भेजे गए थे। इनके स्वजन को अब तक मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं मिले हैं। इससे न तो किसी योजना का लाभ मिल पा रहा है, न ही मृतकों की विधवा पत्नियों को पेंशन मिल पा रही है।
औरंगाबाद रेल हादसे में शहडोल जिले के अंतौली गांव ने बहुत कुछ खोया। एक साथ गांव के नौ लोगों की मौत हो गई। 60 वर्षीय रामनिरंजन सिंह ने हादसे में अपने दूसरे और तीसरे नंबर के दो बेटे और दामाद को खो दिया।
मृतक राजबहोर की पत्नी सुनीता सिंह ने कहा पति के न रहने पर अब तक उसे पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं मिला। दीपक सिंह की पत्नी चंद्रवती बोली कि उसे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। बृजेश की पत्नी पार्वती सिंह ने कहा कि बैंक के सारे काम ठप हैं। दो पुत्रों को खो चुके गजराज सिंह बोले कि 10 महीने हो गए अब तक मृत्यु प्रमाणपत्र नहीं मिला है।
शहडोल कलेक्टर ने लिखा पत्र
जयसिंहनगर एसडीएम दिलीप पांडेय का कहना है कि मृत्यु प्रमाणपत्र वहीं से जारी होता है, जहां पर मौत होती है। हाल ही में शहडोल कलेक्टर की ओर से भी एक पत्र औरंगाबाद कलेक्टर को लिखा गया है। उम्मीद है कि जल्दी ही इनके मृत्यु प्रमाण पत्र मिल जाएंगे।