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घाटी में दोहरी रणनीति के साथ आतंक पर हमला

एजेंसियां अलगाववादियों को मिलने वाली पाकिस्तानी फंडिंग को पूरी तरह रोकने की कोशिश में जुटी है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 08:52 PM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2017 10:48 PM (IST)
घाटी में दोहरी रणनीति के साथ आतंक पर हमला
घाटी में दोहरी रणनीति के साथ आतंक पर हमला

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कश्मीरी युवाओं को पाकिस्तानी दुष्प्रचार से मुक्त कर मुख्य धारा में जोड़ने के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने पूरी ताकत झोंक दी है। इसके लिए भारत विरोधी प्रदर्शनों में शामिल युवाओं की पहचान कर उनकी कौंसलिंग की जा रही है। साथ ही एजेंसियां अलगाववादियों को मिलने वाली पाकिस्तानी फंडिंग को पूरी तरह रोकने की कोशिश में जुटी है। कश्मीरी युवाओं का दिल जीतने की कोशिश के साथ ही ऐसे लोगों के साथ कोई मुरव्वत नहीं की जाएगी जो किसी भी रूप में आतंकियों को मदद कर रहे हैं। आतंकियों के खिलाफ अभियान में बाधा पहुंचाने वालों के खिलाफ सेना प्रमुख का बयान इसका साफ संकेत है।

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दरअसल, सुरक्षा बलों को पिछले दस दिनों के भीतर स्थानीय नागरिकों के हस्तक्षेप के कारण आतंकियों की धड़ पकड़ से जुड़ी तीन घटनाओं में समस्याओं का सामना करना पड़ा है। सूत्रों का कहना है कि आतंकियों को छिपाने या उन्हें अन्य मदद देने की कुछ घटनाएं पहले भी होती थी लेकिन पिछले एक पखवाड़े से जो हो रहा है वह काफी परेशानी पैदा करने वाला है। कुछ जगहों पर आर्मी के आपरेशन के सामने सीधे तौर पर लोगों ने बाधाएं खड़ी की हैं। इससे जान माल का नुकसान होने के साथ ही आतंकियों को भी भागने का मौका मिला है।

पिछले हफ्ते कश्मीर घाटी के बांदीपोरा इलाके में स्थानीय नागरिकों की तरफ से भारतीय सेना के आपरेशन में काफी ज्यादा परेशानी पैदा की गई। आर्मी के चंगुल से भागने वाले आतंकी अंतत: स्थानीय नागरिकों के लिए भी मुसीबत बनते हैं। इसी कारण सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने पिछले हफ्ते घाटी में चार भारतीय जवानों की मौत के बाद कहा था कि आतंकियों की मदद करने वालों से सख्ती से निबटने का बयान दिया था।

वहीं सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि सिर्फ सैन्य कार्रवाई से आतंकियों का सफाया संभव नहीं है। पिछले कुछ महीनों में स्थानीय युवाओं के आतंकी गुटों में शामिल होने के मामले बढ़े हैं, जो एक खतरनाक संकेत है। ऐसे में युवाओं को हथियार उठाने के पहले कौंसलिंग कर मुख्य धारा में जोड़ना जरूरी है। इसके लिए स्थानीय प्रशासन की मदद ली जा रही है, जिसमें सफलता भी मिल रही है। 14 अगस्त को पाकिस्तानी झंडा फहराने वाले युवाओं की 26 जनवरी को भारतीय झंडे के साथ दौड़ इसका उदाहरण है, जिसे कश्मीर के पुलिस महानिदेशक ने ट्वीट किया था। एजेंसियां ऐसे प्रयासों में और तेजी लाने की कोशिश कर रही है।

वहीं सोपियां में आर्मी के काफिले पर घात लगा कर किये गये हमले में तीन जवानों की मौत के बाद जनरल रावत कश्मीर पहुंचे हैं। शुक्रवार को सुबह उन्होंने सैन्य अधिकारियों के साथ कश्मीर की ताजी स्थिति की पूरी समीक्षा की है। माना जा रहा है कि इस बैठक में स्थानीय जनता की तरफ से आंतकियों की मदद करने के मामले पर भी विचार हुआ है।


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