Rohtang Atal Tunnel: अटल सुरंग बनकर तैयार सामरिक दृष्टिकोण से है महत्वपूर्ण, ये है सुरंग में खास
Leh-Manali Rohtang Atal Tunnel पूर्व में इसका नाम रोहतांग सुरंग था जिसे बाद में बदलकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया। यह सुरंग 13050 फीट पर स्थित रोहतांग दर्रे के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करती है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Leh-Manali Rohtang Atal Tunnel रोहतांग में अटल सुरंग बनकर लगभग तैयार है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सितंबर में इसका उद्घाटन करेंगे, जिसके लिए इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। पूर्व में इसका नाम रोहतांग सुरंग था, जिसे बाद में बदलकर देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया। 9 किमी लंबी यह सुरंग 10 हजार फीट (करीब 3 हजार मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। इतनी ऊंचाई पर बनी यह दुनिया की सबसे लंबी सुरंग है। इससे लेह और मनाली के बीच की दूरी 46 किमी कम हो जाएगी। इसे सामरिक लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसी साल मई में सुरंग का काम पूरा होना था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई।
इस तरह से आगे बढ़ी परियोजना और ऐसे पहुंची मुकाम तक
- मई 1990 में प्रोजेक्ट के लिए अध्ययन शुरू किया गया
- सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के अधिकारियों के मुताबिक, प्रोजेक्ट को 2003 में अंतिम तकनीकी स्वीकृति मिली
- जून 2004 में परियोजना को लेकर भू-वैज्ञानिक रिपोर्ट पेश की गई
- 2005 में सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की स्वीकृति मिलने के बाद 2007 में निविदा आमंत्रित की गई
- दिसंबर 2006 में परियोजना के डिजाइन और विशेष विवरण की रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया
- जून 2010 में यह सुरंग बनना शुरू हुई
- इस परियोजना को फरवरी 2015 में ही पूरा होना था, लेकिन विभिन्न कारणों से इसमें देरी होती रही
- शुरुआत में यह परियोजना 8.8 किमी लंबी थी, लेकिन पूरा होने के बाद ली गई जीपीएस रीडिंग 9 किमी लंबा दिखाती है
10 मिनट में पूरी होगी दूरी: पीर पंजाल की पहाड़ियों को काटकर बनाई गई सुरंग के कारण 46 किमी की दूरी कम हो गई है। यह सुरंग 13,050 फीट पर स्थित रोहतांग दर्रे के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करती है। वहीं मनाली वैली से लाहौल और स्पीति वैली तक पहुंचने में करीब 5 घंटे का वक्त लगता है, अब यह करीब 10 मिनट में पूरा हो जाएगा। साथ ही यह लाहौल और स्पीति वैली के लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो भारी बर्फबारी के दौरान हर साल सर्दी में करीब छह महीने के लिए देश के शेष हिस्से से कट जाता था।
हथियार और राशन पहुंचाना आसान: चीन के साथ जारी गतिरोध के दौरान यह महत्वपूर्ण हो जाती है। अब लद्दाख में तैनात सैनिकों से बेहतर संपर्क बना रहेगा। उन्हें हथियार और रसद कम समय में पहुंचाई जा सकेगी। आपात परिस्थितियों के लिए इस सुरंग के नीचे एक अन्य सुरंग का भी निर्माण किया जा रहा है। यह किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए बनाई जा रही है और विशेष परिस्थितियों में आपातकालीन निकास का काम करेगी।
डिस्क्लेमर - इस खबर में पहले अटल टनल की गलत फोटो लगी थी। जांच में इसका पता चलने पर, जागरण की संपादकीय नीतियों का पालन करते हुए अटल टनल की सही फोटो लगाई गई है।