बिलासपुर के सरकारी स्कूल के बाल विज्ञानियों का कमाल, अटल कृषि मित्र से आसान होगी खेती-किसानी
किसानों की मदद के लिए छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के सरकारी स्कूल के बाल विज्ञानियों ने एक ऐसा नवोन्मेष किया है जिससे एक ही यंत्र से कई कृषि कार्य किए जा सकेंगे। अटल कृषि मित्र नाम का यह यंत्र खेत की जुताई करेगा और बीज डालेगा।
राधाकिशन शर्मा, बिलासपुर: किसानों की मदद के लिए छत्तीसगढ़ में बिलासपुर के सरकारी स्कूल के बाल विज्ञानियों ने एक ऐसा नवोन्मेष किया है जिससे एक ही यंत्र से कई कृषि कार्य किए जा सकेंगे। अटल कृषि मित्र नाम का यह यंत्र खेत की जुताई करेगा और बीज डालेगा। यही नहीं, फसल में बीमारी लगने पर दवा का छिड़काव भी करेगा। फसल तैयार होने पर कटाई और अंतिम उत्पाद तैयार होने की प्रक्रिया भी इसकी मदद से होगी। कहा जा सकता है कि किसान स्मार्ट तरीके से खेती करते नजर आएंगे।
गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल, बिलासपुर की अटल टिंकरिंग लैब (एटीएल) के बाल विज्ञानियों के बनाए अटल कृषि मित्र नाम के इस यंत्र के पेटेंट की प्रक्रिया दिल्ली स्थित पेटेंट कार्यालय में अंतिम दौर में है। एटीएल के तहत होने वाले चयनित नवोन्मेष का संज्ञान नीति आयोग लेता है। इस कृषि यंत्र पर भी नीति आयोग की पहल पर दो कंपनियों ने काम शुरू किया है। कंप्यूटर उद्योग से जुड़ी कंपनी डेल व उसकी सहयोगी कंपनी लर्निंग लिंक फाउंडेशन (एलएलएफ) ने व्यावसायिक उपयोग के लिए अटल कृषि मित्र के माडल पर काम किया है। व्यावसायिक उपयोग के लिए पहला माडल बनकर बिलासपुर पहुंच चुका है।
कृषि महाविद्यालय की नर्सरी में हुआ प्रयोग:
बाल विज्ञानी योगेश मानिकपुर, मनीष यादव, निखिल प्रजापति और एटीएल के प्रभारी डा. धनंजय पांडेय की मंशा के अनुरूप अटल कृषि मित्र ने काम करना शुरू कर दिया है। ठाकुर छेदीलाल बैरिस्टर कृषि महाविद्यालय, बिलासपुर के अधिष्ठाता डा. आरकेएस तिवारी की देखरेख में महाविद्यालय परिसर स्थित नर्सरी में इसका प्रदर्शन भी किया गया है। इसकी मदद से खरीफ सीजन में खेतों की जुताई व बोआई की गई। अधिष्ठाता डा. तिवारी का मानना है कि आने वाले दिनों में देश के किसान किस अंदाज में खेती करेंगे, इसका स्वरूप दिखाई देने लगा है। कृषि में मानव श्रम की कमी को देखते हुए अटल कृषि मित्र किसानों के लिए वरदान साबित होगा।
एक घंटे में दो एकड़ खेत की जुताई:
अटल कृषि मित्र खेत की मिट्टी को बेहद आसानी से पलटता भी है। एक घंटे में दो एकड़ की आसानी के साथ जुताई कर सकता है। फसल पकने के बाद अंतिम उत्पाद निकालने के लिए इसके पिछले हिस्से में बड़ा बाक्स लगाया गया है। आगे के हिस्से से पकी फसल को डाला जाता है। मिसाई (पौधे से दाना अलग करने की प्रक्रिया) के बाद धान बाक्स में इकठ्ठा होता है। मिसाई थ्रेेसर प्रणालीपर काम करती है।
राष्ट्रपति भवन में किया गया प्रदर्शन
अटल कृषि मित्र पर काफी समय से काम चल रहा था। इसे बनाने वाले बाल विज्ञानियों व एटीएल प्रभारी डा. पांडेय ने शिक्षक दिवस पर पांच सितंबर 2019 को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के सामने अटल कृषि मित्र का प्रदर्शन किया था। राष्ट्रपति ने यंत्र बनाने वाले बाल विज्ञानियों को 25-25 हजार रुपये का पुरस्कार भी दिया था।