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हमेशा रिश्तों को महत्व देते थे अटलजी, छोटे आयोजनों में भी होते थे शामिल

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने जीवन भर पारिवारिक रिश्तों को काफी महत्व दिया। उनका खानदान काफी बड़ा था तो उसमें आयोजन भी ढेर सारे हुआ करते थे। व्यस्तता के बाद भी अटलजी की कोशिश रहती थी कि वे ज्यादा से ज्यादा परिवारिक आयोजनों में शामिल हों।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 06:55 PM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 06:55 PM (IST)
हमेशा रिश्तों को महत्व देते थे अटलजी, छोटे आयोजनों में भी होते थे शामिल
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने जीवन भर पारिवारिक रिश्तों को काफी महत्व दिया

 बलराम सोनी, ग्वालियर। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने जीवन भर पारिवारिक रिश्तों को काफी महत्व दिया। उनका खानदान काफी बड़ा था तो उसमें आयोजन भी ढेर सारे हुआ करते थे। व्यस्तता के बाद भी अटलजी की कोशिश रहती थी कि वे ज्यादा से ज्यादा परिवारिक आयोजनों में शामिल हों। भतीजे, भानजों के विवाह समारोहों के अलावा वे भात और मुंडन जैसे छोटे कार्यक्रमों में भी पूरी शिद्दत के साथ शामिल हुए। स्वजन बताते हैं कि अटलजी तक बस सूचना पहुंच जाए, वे इनमें शामिल होने का समय निकाल ही लेते थे। 

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प्रधानमंत्री रहते हुए भतीजी के बेटे की शादी में हुए थे शामिल, भात की रस्म भी निभाई थी

ग्वालियर के शिंदे की छावनी इलाके में स्थित अटलजी के पुश्तैनी घर में उनके बड़े भाई सदा बिहारी वाजपेयी की बेटी कांति देवी अब भी निवास करती हैं। बात मई 2001 की है, जब अटलजी देश के प्रधानमंत्री थे और कांति देवी के बेटे पंकज मिश्रा की शादी तय हो चुकी थी। कांति देवी छह बहनें हैं और कोई सगा भाई नहीं था। तब कांति देवी ने अटलजी से कहा था कि उनका कोई भाई नहीं है तो भात कौन देगा। अटलजी न सिर्फ शादी समारोह में शामिल हुए बल्कि भात की रस्म भी निभाई। उन्होंने 100 रपये के नोटों की गड्डी (दस हजार रपये) भेंट कर यह रस्म निभाई थी। इस मौके पर दी गई साडि़यां आज भी कांति देवी ने संभालकर रखी हैं।

मुंडन में बटेश्वर आए थे अटलजी

अटलजी के बड़े भाई प्रेम बिहारी वाजपेयी के बेटे दीपक वाजपेयी बताते हैं कि 1988 में उनके छोटे बेटे का जन्म हुआ। परिवार में तय हुआ कि उसका मुंडन उनके पैतृक गांव बटेश्वर (आगरा की बाह तहसील का गांव) में होगा। अटलजी को संदेश भेजा गया तो जवाब आया मैं जरूर आऊंगा। वे मुंडन में आए और वर्षो बाद उन्होंने यमुना नदी में स्नान किया। बेटे को गोद में लेकर स्नान करते उनका फोटो काफी चर्चित हुआ था। दीपक बताते हैं कि 1989 में उनके पिता प्रेम बिहारी का दिल्ली के एम्स में निधन हो गया।

हम ग्वालियर से ताज एक्सप्रेस से शाम को दिल्ली रवाना हुए। ट्रेन रात करीब 10 बजे दिल्ली पहुंची। एम्स पहुंचे तो देखा अटलजी अस्पताल के गलियारे में मेरा ही इंतजार कर रहे थे। मेरे साथ वे करीब तीन घंटे वहां रुके। हम सभी को एंबुलेंस से ग्वालियर रवाना किया और हमारे पहुंचने से पहले खुद ग्वालियर आ गए। वे पैदल श्मशान घाट तक गए और अंतिम संस्कार में शामिल हुए। 

2006 में आखिरी बार आए ग्वालियर 

प्रेम बिहारी वाजपेयी के बड़े बेटे नवीन वाजपेयी के बेटे की शादी में शामिल होने के लिए अटलजी 2006 में ग्वालियर आए थे। ये उनका आखिरी ग्वालियर प्रवास था। रात को वे शादी समारोह में शामिल हुए। अगले दिन सिंधी कॉलोनी स्थित बहन उर्मिला (अनूप मिश्रा की मां) के घर नाश्ता किया। इसके बाद उनका कभी ग्वालियर आना नहीं हो पाया। 


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