भारत में भी रोका गया एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का ट्रायल, ट्रायल को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स के खुलासे से अमेरिका में हड़कंप
भारत में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की कोरोना वैक्सीन का ट्रायल रुक गया है। भारत में ट्रायल कर रहे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
नई दिल्ली/न्यूयॉर्क, एजेंसियां। एक वॉलेंटियर की शिकायत के बाद एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) ने अपनी कोरोना वैक्सीन के अंतिम दौर के ट्रायल को टाल दिया है। समाचार एजेंसी आइएएनएस के मुताबिक, इस वाकए के कुछ ही घंटे बाद व्हाइट हाउस के कोरोना टास्क फोर्स में शामिल अमेरिका के शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों ने एलान किया कि अब कोविड-19 वैक्सीन तभी लॉन्च होगी जब वह पूरी तरह से सुरक्षित होगी। उधर इस वाकए के बाद भारत में भी इस वैक्सीन के ट्रायल को फिलहाल रोक दिया गया है।
भारत में रोका गया ट्रायल
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा कि हम गंभीरता से स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और जब तक कि एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) परीक्षण शुरू नहीं करती है... भारत में परीक्षणों को रोक रहे हैं। हम ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (Drug Controller General of India, DGCI) के निर्देशों का पालन कर रहे हैं। फिलहाल परीक्षणों पर आगे टिप्पणी नहीं कर पाएंगे।
डीसीजीआइ ने भेजा था नोटिस
सीरम इंस्टीट्यूट ने बताया, 'अभी ट्रायल फिर शुरू होने के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।' बुधवार को दवा नियामक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआइ) वीजी सोमानी ने कंपनी को कारण बताओ नोटिस भेजा था कि दुनिया के बाकी देशों में ट्रायल रुकने के बाद भी कंपनी ने लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ट्रायल रोका क्यों नहीं।
इसलिए रोका गया ट्रायल
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर एस्ट्राजेनेका इस वैक्सीन को विकसित कर रही है। पहले दो चरण में सफलता के बाद अब दुनियाभर में इसका तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है। ब्रिटेन में वैक्सीन लगाने के बाद एक वॉलंटियर की तबीयत खराब हो जाने के कारण इसका ट्रायल रोकना पड़ा है। हालांकि कंपनी को उम्मीद है कि जल्द ही फिर इसका ट्रायल शुरू किया जा सकेगा।
सुरक्षा से कोई समझौता नहीं
दूसरी ओर अमेरिका में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के निदेशक फ्रांसिस कोलिन्स ने वैक्सीन की सुरक्षा पर सीनेट की सुनवाई के दौरान कहा कि जैसे ही वे कहेंगे कि यह प्रभावी है मैं इस पर काम करने के लिए तैयार रहूंगा। एनआईएच प्रमुख फ्रांसिस कोलिन्स और अमेरिकी सर्जन जनरल जेरोम एडम्स ने अमेरिकियों को भरोसा देने की मांग की कि शॉट्स को विकसित करने में सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
टीके लगाने के बाद हो गई दूसरी बीमारी
हालांकि एस्ट्राजेनेका ने अभी तक यह खुलासा नहीं किया है कि वैक्सीन से हुई बीमारी क्या है। ट्रायल के दौरान सामने आई यह बीमारी वैक्सीन परीक्षण के दुष्प्रभाव का नतीजा है या उससे अलग कोई नई बीमारी है। कंपनी ने बीमारी के बारे में कुछ भी नहीं बताया है। हालांकि एनआईएच प्रमुख फ्रांसिस कोलिन्स ने कहा कि यह रीढ़ की हड्डी की समस्या है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह सूजन से संबंधित सिंड्रोम है जो रीढ़ को प्रभावित करता है।
ट्रंप के फैसलों पर उठे सवाल
चौंकाने वाली बात है कि यह ताजा घटनाक्रम बॉब वुडवर्ड (Bob Woodward) के एक नई किताब में खुलासे के बाद हुआ है। उक्त किताब में ट्रंप से बातचीत का हवाला देते हुए कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति वायरस से खेलना चाहते थे जबकि उनको पता था कि यह वायरस (Covid-19) कितना घातक था। किताब में कहा गया है कि ट्रंप को पता था कि यह बीमारी हवा के जरिए फैल रही है बावजूद इसके उन्होंने सार्वजनिक रूप से अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने के लिए दबाव डाला।
एक गलती मानवता पर पड़ेगी भारी
हाल के महीनों में उस खबर के बाद तो चिंताएं और बढ़ गई जिसमें कहा गया था कि ट्रंप सुरक्षित और प्रभावी वैक्सीन साबित होने से पहले ही अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) पर इसको जल्दबाजी में मंजूरी देने के लिए दबाव डालने वाले हैं। चौंकाने वाली बात यह कि एफडीए प्रमुख डॉ. स्टीफन हैन पहले ही कह चुके हैं कि एजेंसी दोगुनी उपलब्धता के साथ वैक्सीन लोगों के बीच में लाने के लिए कानूनी प्रक्रिया तक को बाइपास करने को तैयार है।
अमेरिकी चुनाव से कोई लेना देना नहीं
हालांकि अमेरिकी सरकार के शीर्ष संक्रामक रोग विशेषज्ञ और व्हाइट हाउस कोरोनो टास्क फोर्स के एक सदस्य डॉ. एंथोनी फॉसी ने एलान कर दिया है कि चाहे जो हो जाए अब तो जब तक यह वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी नहीं हो जाती तब तक अमेरिकियों के लिए इसको लाने के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी। फॉसी ने उन अटकलों को भी खारिज कर दिया जिनमें कहा जा रहा था कि अमेरिकी चुनाव से पहले वैक्सीन बाजार में लाई जाएगी।