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किशोरावस्था में ही जासूस बन गया था अशफाक

दो माह पहले तक कोलकाता के हरिमोहन घोष कॉलेज में छात्र नेता रहे अशफाक अंसारी की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तारी के बाद उसकी करतूतों के राज खुलने लगे है।

By Abhishek Pratap SinghEdited By: Published: Wed, 02 Dec 2015 07:21 PM (IST)Updated: Wed, 02 Dec 2015 07:45 PM (IST)
किशोरावस्था में ही जासूस बन गया था अशफाक

कोलकाता : दो माह पहले तक कोलकाता के हरिमोहन घोष कॉलेज में छात्र नेता रहे अशफाक अंसारी की पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए जासूसी करने के आरोप में गिरफ्तारी के बाद उसकी करतूतों के राज खुलने लगे है।

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सूत्रों की मानें तो 23 वर्षीय अशफाक पढ़ाई की आड़ में किशोरावस्था से ही आइएसआइ के लिए जासूसी शुरू कर दी थी। जासूसी को उसने अपना शौक बना लिया था और इसमें उसे काफी मजा आता था। अशफाक इस काम में अपने पिता इरशाद अंसारी और मामा मुहम्मद जहांगीर की पूरी मदद करता था।

एसटीएफ के एक अधिकारी का कहना है कि अशफाक अपने पिता व मामा के साथ 2006 से ही जासूसी में लिप्त था लेकिन स्थानीय खुफिया एजेंसी इस तिकड़ी पर नजर रखने में नाकाम रहीं। वर्ष 2008 में किशोरावस्था में ही अशफाक ने अपने पिता के हाथों से जासूसी की बागडोर संभाल ली थी।

तकनीकी रूप से काफी मजबूत होने के कारण धीरे-धीरे वह आइएसआइ के लिए जासूस तिकड़ी का मुख्य संपर्क बिंदु बन गया। पूछताछ में पता चला है कि पिछले सात माह में अशफाक ने दो बार ढाका का भी दौरा किया है। यहां आइएसआइ के एक एजेंट व अधिकारी से उसकी मुलाकात की बात सामने आई है।

इस दौरान अशफाक ने रक्षा प्रतिष्ठानों से जुड़ा एक गोपनीय चिप भी सौंपा था। इसके अलावा अशफाक कई सालों से सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय था। वह बराबर नई-नई पोस्ट व जानकारी साझा करता, इस पर उसे बड़ी संख्या में जवाब भी मिलता था।

तृणमूल से हटाया गया था अशफाक

हरिमोहन कॉलेज में तृणमूल छात्र संसद के महासचिव मुहम्मद अशफाक अंसारी की कारगुजारी की जानकारी पश्चिम बंगाल सचिवालय को पहले ही लग गई थी। यही वजह रही कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आदेश पर अशफाक को दो माह पूर्व ही पद से हटा दिया गया था। गार्डनरीच शिप बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड में बतौर ठेका श्रमिक काम करने वाले अशफाक के पिता इरशाद अंसारी की भी पहचान तृणमूल श्रमिक संगठन नेता के रूप में थी।


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