Move to Jagran APP

Jammu and kashmir: अनुच्छेद-370 हटाने में पीएम मोदी के इस विश्वासपात्र अफसर की अहम भूमिका

जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बनाने व अनुच्छेद 370 खत्म करने की पटकथा करीब एक वर्ष पहले ही लिख दी गई थी। इसे अमलीजामा पहनाने में आईएएस अफसर बीवीआर सुब्रमण्यम की अहम भूमिका है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 06:24 PM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 06:24 PM (IST)
Jammu and kashmir: अनुच्छेद-370 हटाने में पीएम मोदी के इस विश्वासपात्र अफसर की अहम भूमिका
Jammu and kashmir: अनुच्छेद-370 हटाने में पीएम मोदी के इस विश्वासपात्र अफसर की अहम भूमिका

संजीत कुमार, रायपुर। जम्मू-कश्मीर से अनुछेद-370 हटाने और उसे केंद्र शासित राज्य बनाने में पीएम मोदी के इस विश्वासपात्र अफसर की अहम भूमिका है। दरअसल जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित राज्य बनाने की पटकथा करीब एक वर्ष पहले ही लिख दी गई थी।

loksabha election banner

सूत्रों के अनुसार उसी पटकथा के हिसाब से केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में अफसरों की पोस्टिंग से लेकर फोर्स की गतिविधियां तय कर रही थी। इस पटकथा में एक अहम पात्र आइएएस अफसर बीवीआर सुब्रमण्यम हैं। छत्तीसगढ़ कैडर के 1987 बैच के आइएएस सुब्रमण्यम इस वक्त जम्मू-कश्मीर के मुख्य सचिव हैं।

छत्तीसगढ़ कैडर में अतिरिक्त मुख्य मुख्य सचिव (एसीएस) रैंक के अफसर सुब्रमण्यम करीब 15 वर्ष से अधिक समय तक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर रहें हैं। यूपीए से लेकर एनडीएस सरकार के दौरान करीब आठ- नौ वर्ष वे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में पदस्थ रहे। वे वर्ल्ड बैंक में भी काम कर चुके हैं।

बड़ी जिम्मेदारी के साथ केंद्र ने भेजा जम्मू-कश्मीर

सुब्रमण्यम के बेहद करीबी सूत्रों का दावा है कि उनका न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ उनका तलमेल बेहतर बल्कि दोनों एक-दूसरे की कार्यशैली को भी बेहतर समझते हैं। सुब्रमण्यम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का भी विश्वास हासिल है। यही वजह है कि छत्तीसगढ़ लौटने के महज तीन वर्ष के भीतर ही केंद्र सरकार ने उन्हें वापस बुला लिया। एनएसए की सलाह पर ही जून 2018 में उन्हें जम्मू-कश्मीर का मुख्य सचिव बनाया गया।

जम्मू- कश्मीर में भरोसेमंद अफसरों की टीम

सुब्रमण्यम को जम्मू-कश्मीर का मुख्य सचिव बनाने के साथ ही केंद्र सरकार ने एक वर्ष में वहां अपने भरोसेमंद अफसरों की पूरी टीम खड़ी की। रणनीति के तहत ही तमिलनाडू कैडर सेवानिवृत्त आइपीएस के. विजय कुमार को राज्यपाल का सलाहकार बनाया। केंद्र सरकार के आंतरिक सुरक्षा सलाहकार के नाते विजय कुमार छत्तीसगढ़ से भी जुड़े रहे। उस दौरान छत्तीसगढ़ के गृह विभाग की कमान सुब्रमण्यम के पास थी। बस्तर में नक्सलवाद पर लगाम कसने और वहां के विकास के लिए प्लान बनाने में इन दोनों अफसरों की भूमिका महत्वपूर्ण रही।

दायरे में रहकर करते हैं काम

सुब्रमण्यम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वे दायरे में रहते हुए अपना काम करते हैं। प्रचार- प्रसार से पूरी तरह दूर रहते हैं। मीडिया में आने वाला उनका बयान भी बेहद नपा-तुला रहता है। उनकी इसी विशेषता के कारण वे यूपीए के बाद एनडीए सरकार का विश्वास जीतने में सफल रहे।

राज्य बनने के बाद मात्र तीन वर्ष रहे छत्तीसगढ़ में

अविभाजित आंध्र प्रदेश के सुब्रमण्यम ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है। छत्तीसगढ़ राज्य बनने से पहले ही 1998 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में चले गए थे। इस दौरान 2004 से 2008 तक यूपीए सरकार के दौरान वे पीएमओ में पदस्थ रहे। 2008 से 2011 तक विश्वबैंक में सलाहकार के स्र्प में पदस्थ रहे। मार्च 2012 में फिर वे पीएमओ में संयुक्त सचिव के पद पर पदस्थ किए गए। 2014 में उन्हें छत्तीसगढ़ वापस लौटना था। इस बीच एनडीए सरकार ने उनकी प्रतिनियुक्ति मार्च 2015 तक बढ़ा दी।

नक्सल मोर्चे पर भी रही महत्वपूर्ण भूमिका

छत्तीसगढ़ पुलिस और गृह विभाग के आला अफसरों के अनुसार सुब्रमण्यम बेहद सुलझे हुए हैं। राज्य में गृह विभाग की कमान संभालने के दौरान उन्होंने नक्सलवाद को नियंत्रित करने और प्रभावित क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के अपने लंबे अनुभव और संबंधों का भी इसमें उन्हें फायदा मिला।

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.