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अर्नब को मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होने से मिली राहत, बांबे हाई कोर्ट 23 अप्रैल को करेगा सुनवाई

इंटीरियर डिजायनर अन्वय नाइक को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में बांबे हाई कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को मजिस्ट्रेट की अदालत में हाजिर होने से अंतरिम राहत की समय सीमा बढ़ा दी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 10:01 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 10:01 PM (IST)
अर्नब को मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होने से मिली राहत, बांबे हाई कोर्ट 23 अप्रैल को करेगा सुनवाई
इंटीरियर डिजायनर को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला।

मुंबई, प्रेट्र। इंटीरियर डिजायनर अन्वय नाइक को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में बांबे हाई कोर्ट ने रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को मजिस्ट्रेट की अदालत में हाजिर होने से अंतरिम राहत की समय सीमा बढ़ा दी है।

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इंटीरियर डिजायनर को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला

अर्नब के अलावा दो अन्य व्यक्तियों- फीरोज शेख और नितीश सारदा पर अलीबाग के इंटीरियर डिजायनर को 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। इन लोगों की कंपनियों ने कथित रूप से अन्वय के बकाए का भुगतान नहीं किया था। इन तीनों ने इस मामले में प्राथमिकी और इसके बाद पुलिस द्वारा दर्ज आरोपपत्र रद करने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इन तीनों ने अलीबाग की मजिस्ट्रेट अदालत में उपस्थित होने से अंतरिम राहत की मांग की थी।

बांबे हाई कोर्ट 23 अप्रैल को याचिकाओं पर करेगा सुनवाई 

हाई कोर्ट ने पांच मार्च को तीनों आरोपितों को मजिस्ट्रेट अदालत में पेशी से छूट देते हुए कहा था कि वह 16 अप्रैल को याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। अर्नब के वकील संजोग परब ने कहा कि चूंकि 16 अप्रैल को हाई कोर्ट में अवकाश रहेगा, इसलिए याचिकाओं पर बाद में सुनवाई की जा सकती है। उन्होंने कहा कि अर्नब को मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने से छूट 26 अप्रैल तक बढ़ाई जा सकती है। जस्टिस एसएस शिंदे और मनीष पिटाले की खंडपीठ ने इससे सहमति जताते हुए कहा कि वह 23 अप्रैल को याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

अर्नब के खिलाफ मानहानि की याचिका खारिज

सत्र अदालत ने अर्नब गोस्वामी के खिलाफ मुंबई पुलिस के अधिकारी अभिषेक त्रिमुखे द्वारा दायर आपराधिक मानहानि की याचिका को खारिज कर दिया है। त्रिमुखे ने अपनी शिकायत में कहा था कि अर्नब ने अपने ट्वीट में उन्हें गलत तरीके से उद्धृत किया। हालांकि, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने पाया कि त्रिमुखे की शिकायत सीआरपीसी की धारा 199 (2) के तहत संज्ञान लेने लायक नहीं है।


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