सेना प्रमुख एमएस नरवणे ने कहा, चीन के साथ तनाव में एक भी इंच जमीन नहीं गंवाई
भारत चीन संबंधों को लेकर उन्होंने कहा कि चीन के साथ कोर कमांडर लेवल की वार्ता के 9 वें दौर के बाद हम फ्रिक्शन क्षेत्रों से चरणबद्ध तरीके से सेना को हटाने के लिए सहमत हुए हैं। यह प्रक्रिया 10 फरवरी को शुरू हुई।
नई दिल्ली, एएनआइ। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने मंगलवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ महीनों से जारी गतिरोध के दौरान भारत ने एक भी इंच जमीन नहीं गंवाई। उन्होंने कहा कि पिछले महीने शुरू हुई सेनाओं की पीछे हटने की प्रक्रिया से क्षेत्र में अपेक्षाकृत शांति है। लद्दाख की स्थिति पर जनरल नरवणे ने कहा, 'हमने कोई भी इलाका नहीं खोया है, यह सब शुरू होने से पहले हम जहां थे, हम वहीं हैं.. एक भी इंच जमीन नहीं खोई है।'
वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात के बारे में जनरल नरवणे ने कहा, 'कोर कमांडर स्तर की नौ दौर की वार्ता के बाद हम गतिरोध वाले इन इलाकों से चरणबद्ध तरीके से पीछे हटने पर सहमत हुए थे और उसके मुताबिक 10 फरवरी के बाद पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई। यह योजना के मुताबिक हुई और पैंगोंग झील के उत्तरी व दक्षिणी किनारे के साथ-साथ कैलास रेंज से भी लोग अपनी-अपनी नजदीकी स्थायी लोकेशंस पर लौट गए हैं।' सेना प्रमुख ने कहा कि इसकी वजह से गलतफहमी की आशंका काफी कम हो गई है।
गोगरा हाटस्पि्रंग जैसे चीन के आक्रामक रुख वाले इलाकों पर जनरल नरवणे ने कहा कि पूरी स्थिति से चरणबद्ध तरीके से निपटा जा रहा है। आगे के दौर की वार्ता भी जारी रहेगी और उन्हें विश्वास है कि वार्ता के जरिये मतभेदों को कम कर लिया जाएगा।
सेना प्रमुख जनरल एमएस नरवणे ने कहा कि कश्मीर में हाल ही में कुछ आतंकी घटनाएं हुई है। अभी भी घाटी में युवा आतंकी संगठनों में शामिल हो रहे हैं। हालांकि आतंकी घटनाओं में काफी सुधार हुआ है। हमारा प्रयास युवाओं को गलत रास्ते में जाने से रोकना है। उन्होंने कहा कि हमारे कुछ स्थानीय आतंकवादी भी हैं जो हाल के दिनों में हाशिए पर महसूस करते हैं। हाल के दिनों में 1 या 2 में ऐसे काम हुए हैं, जो उन्हें और हताशा कर सकते हैं।
सेना प्रमुख ने कहा कि एलओसी के दूसरी तरफ अभी भी आतंकी कैंप और इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद हैं। आतंकवाद को कम करने के लिए आतंकी शिविरों को खत्म करना होगा। यह केवल तभी होगा जब बर्फ पिघलेगी, तब हमें पता चलेगा कि पाकिस्तान लोगों के आतंक के बुनियादी ढांचे को खत्म करने के लिए कितना गंभीर है?
पेपर लीक मामले पर उन्होंने कहा कि जब ये मामले सामने आए तो हमने महसूस किया कि इसमें बैंक को किए गए लेन-देन, कॉल रिकॉर्ड्स, अन्य दल, नागरिक शामिल हैं। इस प्रकार की जांच करने का अधिकार हमारे पास नहीं है, इसलिए हमने इसे सीबीआई को देने का फैसला किया।
सेना प्रमुख ने कहा कि ऐसे कुछ उदाहरण हैं, दोनों में सैनिकों की भर्ती में जहां प्रश्नपत्र लीक हो गए थे और अधिकारी कैडेट के लिए चयन प्रक्रिया में जहां सेवा चयन बोर्ड में कर्मचारियों के बीच सहमति थी। हमारी अपनी आंतरिक जांच के कारण दोनों मामले सामने आए।