कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सेना भी जुटी, प्रशासन की मदद को 8,500 से अधिक डॉक्टर उपलब्ध
सेना प्रमुख Gen MM Naravane ने रक्षा मंत्री को बताया है कि नागरिक प्रशासन को जरूरी मदद देने के लिए 8500 से अधिक डॉक्टर और सहायक कर्मचारी उपलब्ध हैं।
नई दिल्ली, एएनआइ। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में हर स्तर पर मोर्चाबंदी तेज हो गई है। सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवाने (Army Chief Gen MM Naravane) ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को बताया है कि नागरिक प्रशासन को जरूरी मदद देने के लिए 8,500 से अधिक डॉक्टर और सहायक कर्मचारी उपलब्ध हैं। यही नहीं उन्होंने यह भी बताया कि शीघ्र ही नेपाल को भी मदद के तौर पर चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति की जाएगी। रक्षा मंत्रालय के हवाले से समाचार एजेंसी एएनआइ ने यह जानकारी दी है।
वहीं चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने रक्षा मंत्री को बताया कि खास तौर पर कोरोना वायरस के मरीजों के इलाज के लिए विभिन्न अस्पतालों की पहचान की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि 9000 से अधिक अस्पताल बेड कोरोना संक्रमितों के इलाज के लिए उपलब्ध हैं। रक्षा मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जैसलमेर, जोधपुर, चेन्नई, मानेसर, हिंडन और मुंबई में 1,000 से अधिक लोगों रखा गया हैं। आगामी सात अप्रैल, 2020 तक उनका क्वारंटाइन पीरियड खत्म हो जाएगा।
रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) की ओर से यह भी बताया गया कि वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया (Air Chief Marshal RKS Bhadauria) ने रक्षा मंत्री को बताया कि पिछले पांच दिनों में वायु सेना के विमानों (Air Force planes) ने 25 टन चिकित्सा आपूर्ति (medical supplies) को विभिन्न जगहों पर पहुंचाया है। उन्होंने यह भी बताया कि सभी सावधानियों को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण ऑपरेशनल कार्य (critical operational work) जारी हैं।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए भारतीय सेना ने बीते दिनों 'ऑपरेशन नमस्ते' की शुरुआत करने का ऐलान किया था। आर्मी चीफ एमएम नरवणे ने खुद इसका ऐलान करते हुए कहा था कि इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में सरकार की मदद करना सेना का कर्तव्य है। नागरिकों की मदद करना हमारी जिम्मेदारी है। अतीत के सभी अभियानों को सेना ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया है और ऑपरेशन नमस्ते को भी हम सफलतापूर्वक अंजाम देंगे। सेना प्रमुख ने यह भी उल्लेख किया था कि 2001-02 में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान सेना के जवानों ने आठ से दस महीने तक छुट्टी नहीं ली थी।