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तीनों सेनाओं के संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम का खाका तैयार

इससे तीनों सेनाओं के बीच बेहतरीन समन्वय स्थापित होगा तो एक दूसरे की चुनौतियों के प्रति समझ भी विकसित होगी।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Tue, 14 Nov 2017 11:12 PM (IST)Updated: Tue, 14 Nov 2017 11:12 PM (IST)
तीनों सेनाओं के संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम का खाका तैयार
तीनों सेनाओं के संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम का खाका तैयार

नई दिल्ली, प्रेट्र: चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी व नौसेना के प्रमुख सुनील लांबा ने तीनों सेनाओं के संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रपत्र को जारी कर दिया है। इससे तीनों सेनाओं के बीच बेहतरीन समन्वय स्थापित होगा तो एक दूसरे की चुनौतियों के प्रति समझ भी विकसित होगी। इसे तैयार करने के 90 के दशक में हुए खाड़ी युद्ध से सबक लिया गया। इसमें तीनों सेनाओं ने एकीकृत कार्रवाई करके जंग जीती थी।

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सूत्रों का कहना है कि ज्वाइंट ट्रेनिंग डाक्ट्राइन इंडियन आ‌र्म्ड फोर्सेज 2017 को तैयार करते समय तीनों सैन्य मुख्यालयों को शामिल किया गया। यह उस कार्यक्रम की अगली कड़ी है, जिसे अप्रैल 2017 में जारी किया गया था। तब इसका नाम ज्वाइंट डाक्ट्राइन इंडियन आ‌र्म्ड फोर्सेज 2017 था। इससे न केवल सेनाओं की कार्यक्षमता में वृद्धि होगी बल्कि आने वाले समय में उनकी दक्षता बढ़ाने में मदद मिलेगी। जरूरी संसाधनों का बेहतरीन इस्तेमाल कैसे किया जाए इसमें यह कोशिश कारगर साबित होने वाली है। मौजूदा समय को देखते हुए यह बेहद जरूरी कवायद है। सारे विश्व में इस पर काम किया जा रहा है। रूस के साथ चले प्रशिक्षण कार्यक्रम इंदिरा में भी कुछ इसी तरह की कवायद थी। जरूरत के हिसाब से प्रशिक्षण की रणनीति में परिवर्तन भी किए जाएंगे। मौजूदा समय में हो रहे युद्धों को देखा जाए तो यह रणनीति बेहद जरूरी है।

आइसीएमएम में युद्ध में महिलाओं की भागीदारी पर होगी चर्चा

नई दिल्ली में 19 से 24 नवंबर तक होने जा रही आइसीएमएम (इंटरनेशनल कमेटी आन मिलिट्री मेडिसिन) में इस बात पर प्रमुख तौर पर चर्चा की जाएगी कि महिलाओं को युद्ध में शामिल किया जाए तो चिकित्सकीय तौर पर क्या-क्या चुनौतियां सामने आएंगी और उनसे निपटने के उपाय क्या होंगे। 80 राष्ट्रों के लगभग 350 चिकित्सक इसमें भागीदारी करेंगे। 26 सत्रों तक चलने वाली चर्चा में कई अन्य अहम विषयों को पर भी चर्चा होनी है। एयर कमॉडोर राजेश वैद्य का कहना है कि वायु सेना में हाल ही में तीन महिला लड़ाकू पायलट शामिल की गई हैं, लेकिन हमारे पास इस बात का कोई अनुभव नहीं है कि युद्ध में उन्हें शामिल किया जाए तो क्या विशेष परिवर्तन किए जाने चाहिए। उनका कहना है कि कांफ्रेंस में इस पर चर्चा की जाएगी। ले. जनरल बिपिन पुरी का कहना है कि इस दौरान जैविक, रासायनिक व परमाणु हथियारों के प्रभाव पर भी मंथन होगा। उल्लेखनीय है कि आइसीएमएम का गठन 1921 में किया गया था। भारत 112वें सदस्य के तौर पर 1949 में शामिल हुआ था।

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