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जानिए- क्या है Arctic Blast, जिसकी वजह से ठिठुर रहे हैं भारत व अमेरिका समेत कई देश

वर्ष 2016 में भी आर्कटिक ब्लास्ट से कई देशों में कड़ाके की ठंड पड़ी थी। साइबेरिया में पारा -62 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था। लोगों की भौहों और दाढ़ी तक पर बर्फ जम जा रही थी।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 02:35 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 06:14 PM (IST)
जानिए- क्या है Arctic Blast, जिसकी वजह से ठिठुर रहे हैं भारत व अमेरिका समेत कई देश
जानिए- क्या है Arctic Blast, जिसकी वजह से ठिठुर रहे हैं भारत व अमेरिका समेत कई देश

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। भारत, अमेरिका और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में इस बार कड़ाके की ठंड ने कई साल के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। कड़ाके की ये ठंड इस बार न केवल बहुत जल्दी शुरू हुई, बल्कि लंबी चल रही है। आलम ये है कि इस वर्ष भारत के उन पहाड़ी इलाकों में भी भारी बर्फबारी हुई है, जहां 10 साल से ज्यादा समय से बर्फ नहीं गिरी थी। बर्फ गिरने का ये सिलसिला अब भी जारी है। इसकी वजह आर्कटिक ब्लास्ट है। इसी वजह से अमेरिका में खून जमा देेने वाली सर्दी पड़ रही है और लोगों को ठंड से बचने के लिए घर से बाहर निकलने पर गहरी सांस न लेने और कम बात करने की चेतावनी जारी की गई है। वहीं ब्रिटेन में भी हवाई यात्रा बुरी तरह से प्रभावित हो रही है।

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मंगलवार को राजस्थान के चूरू में तापमान -1.1 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। भारतीय मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार राजस्थान समेत समस्त उत्तर भारत में भीषण ठंड पड़ने की वजह, पोलर वोर्टेक्स (ध्रुवीय चक्रवात) का टूटना हो सकता है। मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारत में जनवरी के अंतिम पश्चिमी विक्षोभ ने दस्तक दी है। लिहाजा, गुरुवार तक इसका असर देखने को मिलेगा। इसकी वजह से पश्चिमी हिलायन क्षेत्र (जम्मू-कश्मीर, हिमाचल व उत्तराखंड) में बर्फबारी और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बारिश होने की संभावना है।

मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में इस वर्ष पड़ रही कड़ाके की सर्दी का संबंध आर्कटिक की बर्फीली हवाओं से है। वहां की बर्फीली हवाओं के कारण ही उत्तर भारत समेत यूरोप व अमेरिका में भी इस बार रिकॉर्ड तोड़ सर्दी पड़ रही है। आर्कटिक से ठंड यूरोप और अमेरिका में फैल रही है, जो पश्चिमी विक्षोभ के साथ उत्तर भारत तक पहुंच रही है।

अमेरिका में पारा -53 डिग्री गिरने की ओर
आर्कटिक ब्लास्ट की वजह से अमेरिका में पड़ रही कड़ाके की सर्दी ने कई वर्ष का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अमेरिका में भारी बर्फबारी से जनजीवन अस्त-व्यस्त है और पारा -53 डिग्री सेल्सियस तक गिरने की ओर है। ये सब पोलर वोर्टेक्स (ठंडी हवाओं) की वजह से हुए आर्कटिक ब्लास्ट के कारण हो रहा है। ऐसे में मध्य पश्चिमी राज्य जैसे विस्कोंसिन, मिशिगन और इलिनोइस आदि में आपातकाल घोषित कर दिया गया है। संभावना जताई जा रही है कि अमेरिका के दक्षिणी राज्यों अलाबामा और मिसीसिपी आदि में भी जल्द मौसम की मार पड़ने वाली है, लिहाजा यहां भी आपातकाल लागू किया जा सकता है। आयोवा राज्य के मौसम अधिकारियों के अनुसार अमेरिका में खून जमाने वाली सर्दी पड़ रही है। ऐसे में अधिकारियों ने लोगों के लिए चेतावनी जारी की है कि वह घर से बाहर निकलते वक्त गहरी सांस न लें और कम से कम बात करें। अमेरिका में मौसम की मार की वजह से 1100 उड़ाने रद कर दी गई हैं।

10 मिनट में जानलेवा हो सकती है ठंड
अमेरिका में इन दिनों इतनी ज्यादा सर्दी पड़ रही है कि राष्ट्रीय मौसम सेवा ने अलर्ट जारी करते हुए कहा है कि ऐसे मौसम में 10 मिनट तक खुले आसमान के नीचे रहना जानलेवा साबित हो सकता है। मौसम सेवा केंद्र ने अमेरिका में मंगलवार से गुरुवार तक मौसम की सबसे ज्यादा मार पड़ने की चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग ने आशंका व्यक्त की है कि इस दौरान शिकागो का तापमान पृथ्वी के सबसे ठंडे आर्कटिक से भी कम हो सकता है। इस दौरान इलिनोइस, विस्कोंसिन, अलाबामा और जॉर्जिया में भीषण बर्फबारी होने की संभावना व्यक्त की गई है। मौसम के कहर को देखते हुए अमेरीका और ब्रिटेन में स्कूल बंद कर दिए गए हैं। दोनों देशों में हवाई यात्रा बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। अमेरिका में ट्रेन संचालन बरकरार रखने के लिए पटरियों किनारे आग जलानी पड़ रही है, ताकि बर्फ जमा न हो। लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं।

क्या होता है पश्चिमी विक्षोभ
पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यसागर से पश्चिम और आसपास की ओर आता है। इसमें कम दबाव की हवाओं के कण होते हैं। इससे ठंडी और नम हवाएं चलती हैं। पश्चिमी विक्षोभ दो तरह से चलता है, पहला ये हिमालय से टकराकर उत्तर भारत को प्रभावित करता है और दूसरा ये उत्तर की ओर उड़ जाता है। मौसम विभाग के अनुसार जनवरी 2019 में अब तक सात पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में दस्तक दे चुके हैं। पश्चिमी विक्षोभों की ये संख्या काफी ज्यादा है, इस दौरान अमूमन इनकी संख्या लगभग चार होती है।

मंगलवार को कांपती रही दिल्ली
मंगलवार को उत्तर भारत का अधिकतम तापमान 20.6 डिग्री और न्यूनतम तापमान 5.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री और न्यूनतम तापमान सामान्य से तीन डिग्री सेल्सियस कम था। इस दौरान हवा में नमी का स्तर 52 से 94 फीसद के बीच रहा। मंगलवार को दिल्ली के लोदी रोड पर पारा 4.4, आया नगर पर 5.2, पालम पर 5.1, जफरपुर पर 3.8, मंगेशपुर पर 4.4 और नजफगढ़ पर 4.5 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। मौसम विभाग ने एक फरवरी तक हल्की बारिश के आसार जताए हैं।

आर्कटिक ब्लास्ट या कोल्ड ब्लास्ट का मतलब
पृथ्वी पर सबसे ठंडी जगह अंटार्कटिका महासागर है, जो उत्तरी ध्रुव पर मौजूद है। यहां हर वक्त तापमान शून्य से नीचे तकरीबन -89.2 डिग्री सेल्सियस रहता है। ठंड के सीजन में तापमान बहुत कम हो जाने पर अक्षांश वाले इलाकों में बर्फीला तूफान चलने लगता है। इससे पूरे इलाके में मोटी-मोटी बर्फ जम जाती है। इसी को आर्कटिक ब्लास्ट या कोल्ड ब्लास्ट भी कहा जाता है। साइबेरिया, आर्कटिक के सबसे करीब है। इसलिए आर्कटिक ब्लास्ट का असर भी सबसे ज्यादा साइबेरिया पर होता है। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक उत्तर भारत समेत दुनिया के अन्य देशों में इस बार पड़ रही कड़ाके की सर्दी की वजह आर्कटिक ब्लास्ट हो सकता है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार मोरक्को की तरफ से गई गर्म हवाओं के चलते उत्तरी ध्रुव पर गर्मी बढ़ी और वहां आर्कटिक ब्लास्ट हुआ।

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