Move to Jagran APP

कहीं आपको भी तो कोरोना के इलाज में नहीं दी गईं जरूरत से ज्‍यादा एंटीबायोटिक, वैज्ञानिकों ने बताए क्‍या हो सकते हैं नुकसान

रिपोर्ट के अनुसार 2020 में भारत में एंटीबायोटिक दवाओं की कुल 1629 करोड़ डोज बिकी। यह 2018 और 2019 में बेची गई डोज की तुलना में कुछ कम हैं। वयस्कों में 2018 में एंटीबायोटिक का प्रयोग 72.6 फीसद बढ़ गया। 2019 में 72.55 से 2020 में 76.8 फीसद हो गया।

By TilakrajEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 04:05 PM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 04:11 PM (IST)
कहीं आपको भी तो कोरोना के इलाज में नहीं दी गईं जरूरत से ज्‍यादा एंटीबायोटिक, वैज्ञानिकों ने बताए क्‍या हो सकते हैं नुकसान
भारत में एंटीबायोटिक का उपयोग तेजी से बढ़ा है

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। कोविड महामारी की पिछली लहर के दौरान अगर आप भी वायरस के संक्रमण का शिकार हुए थे और आपको ठीक होने के लिए काफी ज्यादा एंटीबायोटिक दवाएं लेनी पड़ी थीं, तो आप अकेले ऐसे नहीं हैं। एक रिसर्च रिपोर्ट में सामने आया है कि कोविड महामारी के दौरान कुछ एंटीबायोटिक का इस्तेमाल सीमा से अधिक इस्तेमाल हुआ है। वहीं, कई मामलों में देखा गया कि लोगों को जरूरत से ज्यादा समय तक ये एंटीबायोटिक दवाएं दी गई जिनके आने वाले दिनों में उनके स्वास्थ्य पर बुरे प्रभाव देखे जा सकते हैं। यही नहीं रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ एंटीबायोटिक दवाएं ऐसी हैं, जिनका इस्तेमाल बिलकुल गंभीर स्थिति में किया जाता है, उनका भी इस्तेमाल सामान्य स्थिति में किया गया। रिपोर्ट इस बात की भी तसदीक करती है कि इस दौरान एंटीबायोटिक की बिक्री भी बेतहाशा बढ़ी।

loksabha election banner

वैज्ञानिकों ने किया ये दावा

सेल ऑफ 'एंटीबायोटिक्स एंड हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन इन इंडिया ड्यूरिंग द कोविड-19 पेंडेमिक' नाम के रिसर्च पेपर में दावा किया गया है कि कोविड-19 के दौरान एजिथ्रोमाइसिन, डॉक्सीसाइक्लिन, फेरोपेन जैसी एंटीबायोटिक दवाओं का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया। एंटीबायोटिक के अधिक इस्तेमाल से लोगों में एंटीबायोटिक रजिस्टेंस इंफेक्शन (दवा प्रतिरोधी संक्रमण) बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। इस रिसर्च पेपर को चार वैज्ञानिकों वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर सुमंत गांद्रा, मैकगिल यूनिवर्सिटी कनाडा के एपिडिमोलॉजी, बायोस्टेटिस्टिक्स और ऑक्यूपेशनल हेल्थ के पोस्टडॉक्टरल रिसर्चर जियोर्जिया स्यूलिस, डाला लाना स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, कनाडा, दिल्ली विश्वविद्यालय के बल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट की अनीता कोटवानी और मैकगिल यूनिवर्सिटी कनाडा के मधुकर पाई ने मिलकर तैयार किया है।

सबसे ज्यादा बिकी ये एंटीबायोटिक

शोधकर्ता सुमंत गांद्रा और जियोर्जिया स्यूलिस ने ई-मेल के माध्यम से बताया कि हमारी रिपोर्ट के मुताबिक, एंटीबायोटिक की बिक्री में कोरोना के पहले दौर में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। इसमें खासतौर से एजिथ्रोमाइसिन की सेल काफी बढ़ी है। भारत में कोविड-19 के हल्के और मध्यम मामलों के इलाज के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया गया था। ये पूरी तरह से गलत प्रैक्टिस थी, क्योंकि एंटीबायोटिक्स केवल जीवाणु संक्रमण के खिलाफ प्रभावी होते हैं, न कि वायरल संक्रमण जैसे कि कोविड-19 पर। शोधकर्ताओं ने यह डाटा आईक्यूवीआईए से एकत्रित किया है। भारत में अध्ययन इसलिए आवश्यक है, क्योंकि यह दुनिया में एंटीबायोटिक दवाओं का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। गांद्रा ने कहा भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के बावजूद एंटीबायोटिक का उपयोग बढ़ गया।

इतनी बिकीं दवाएं

रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में भारत में एंटीबायोटिक दवाओं की कुल 1629 करोड़ डोज बिकी। यह 2018 और 2019 में बेची गई डोज की तुलना में कुछ कम हैं। वहीं वयस्क में 2018 में एंटीबायोटिक का प्रयोग 72.6 फीसद बढ़ गया और 2019 में 72.5 फीसद से 2020 में 76.8 फीसद हो गया। इसके अतिरिक्त, भारत में वयस्कों के लिए एज़िथ्रोमाइसिन की बिक्री 2020 में 5.9 प्रतिशत थी। 2019 में इसकी सेल 4.5 फीसद थी तो 2018 में इसकी बिक्री 4 फीसद थी। यह एंटीबायोटिक्स के उत्तरोतर बढ़ते इस्तेमाल को दर्शाता है। इसके अलावा सांस की बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाला डॉक्सीसाइक्लिन और फेरोपेन की बिक्री भी इस दौरान काफी बढ़ गई।

एंटीबायोटिक का ये है नुकसान

शोधकर्ता सुमंत गांद्रा और जियोर्जिया स्यूलिस ने ई-मेल के माध्यम से बताया बिना जरूरत के एंटीबायोटिक का इस्तेमाल करना हानिकारक है। किसी रोगी के लिए इसके गलत तरीके से प्रयोग की वजह से किसी रोगी में अनावश्यक टॉक्सिक इफेक्ट हो सकते हैं साथ ही इससे एंटीबायोटिक रजिस्टेंट बैक्टीरिया की संभावना प्रबल हो जाती है। एजिथ्रोमाइसिन ड्रग का प्रयोग भारत में डायरिया और टाइफाइड के इलाज के लिए होता है। इसके गलत इस्तेमाल से दुष्प्रभाव हो सकते हैं। वहीं कार्बापेनम एंटीबायोटिक्स को गंभीर परिस्थितियों में प्रयोग किया जाता है।

इन बीमारियों के इलाज पर पड़ सकता है असर

प्रो. गांद्रा बताती हैं कि एंटीबायोटिक के अत्यधिक इस्तेमाल से रेजिस्टेंट के कारण सामान्य चोट और आमतौर पर होने वाले संक्रमण जैसे निमोनिया आदि को ठीक करना भी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में ये बीमारियां भी गंभीर और जानलेवा रूप ले सकती हैं। पीएलओएस मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में वैज्ञानिकों का कहना है कि महामारी के दौर में एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल सामान्य से बहुत अधिक हुआ है।

वैज्ञानिकों ने दी ये सलाह

रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि एंटीबायोटिक के दुरुपयोग को लेकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी गाइडलाइंस का पालन करना चाहिए। एंटीबायोटिक्स को मेडिकल प्रिसक्रिप्शन होने पर दिया जाना चाहिए। इसके अधिक और बेवजह इस्तेमाल पर नियंत्रण की आवश्यकता है। इसको लेकर लोगों में जागरुकता फैलाने की आवश्यकता है। इसके गलत इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लोगों को बताना होगा।

भारत में हुआ इन एंटीबायोटिक का अधिक इस्तेमाल

प्रो. गांद्रा ने ई-मेल के माध्यम से बताया कि हमारे अध्ययन ने COVID-19 महामारी के दौरान एजिथ्रोमाइसिन के उपयोग में पर्याप्त वृद्धि दिखाई। 2020 के जून और दिसंबर के बीच कम से कम 1.2 करोड़ एज़िथ्रोमाइसिन उपचार पाठ्यक्रम अनावश्यक रूप से निर्धारित किए गए थे। हमने डॉक्सीसाइक्लिन और फैरोपेनेम के उपयोग में भी काफी वृद्धि देखी। हालांकि, दिशानिर्देश (भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय सहित) स्पष्ट रूप से COVID-19 के उपचार के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के खिलाफ अनुशंसा करते हैं। वास्तव में, COVID-19 में एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज नहीं किया जाना चाहिए, जो बैक्टीरिया के खिलाफ काम करते हैं। एंटीबायोटिक दवाओं का यह अनुपयुक्त उपयोग दो मुख्य कारणों से हानिकारक है: पहला, यह बिना किसी लाभ के व्यक्तिगत रोगियों के लिए विषाक्त प्रभाव के एक अनावश्यक जोखिम के साथ आता है। दूसरा इससे एंटीबायोटिक के प्रति रजिस्टेंस बन जाता है।

एजिथ्रोमाइसिन भारत में टाइफाइड बुखार और दस्त के इलाज के लिए एक महत्वपूर्ण दवा है। एज़िथ्रोमाइसिन के अनावश्यक उपयोग से इन दोनों बीमारियों का कारण बनने वाले जीवाणुओं में प्रतिरोध पैदा होगा। नतीजतन, ऐसे रोगियों को संभालने के लिए हमेशा अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होगी। कार्बापेनम एंटीबायोटिक्स को अंतिम उपाय एंटीबायोटिक माना जाता है जो अस्पतालों में गंभीर संक्रमण के इलाज के लिए आवश्यक हैं।

कमी की बजाए बढ़ा इस्‍तेमाल

रिपोर्ट कहती है कि ये आंकडे़ चिंता बढ़ाने वाले इसलिए हैं क्योंकि 2020 में कोरोना के कारण लगे लाकडाउन के चलते लोग घरों में थे। कहीं आना-जाना नहीं हो रहा था। मलेरिया और चिकुनगुनिया जैसे संक्रमण के मामलों में उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। ऐसे में एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल में भी कमी आनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहीं, अमेरिका और अन्य अमीर देशों में 2020 में एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई।

ये रिपोर्ट भी चेताती है

भारत में एंटीबायोटिक का उपयोग तेजी से बढ़ा है, पिछले एक दशक के दौरान उनके प्रति व्यक्ति उपयोग में लगभग 30% की वृद्धि हुई है। स्टेट ऑफ द वर्ल्ड्स एंटीबायोटिक्स 2021 की रिपोर्ट इस बात की तसदीक करती है। चीन, भारत, ब्राजील और केन्या में यह इस्तेमाल सबसे अधिक है।

डॉक्टरों ने बताए ज्यादा एंटीबायोटिक के नुकसान

एम्स के डॉक्टर अमित कुमार डिंडा का कहना है कि लोगों को ये समझना चाहिए की कोविड 19 एक वायरस है और एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरिया पर असर करती हैं। कोई भी एंटीबायोटिक दवा बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लेनी चाहिए। अलग अलग एंटीबायोटिक दवा का अलग अलग नेचर है। कोई एंटीबायोटिक ज्यादा लेने पर किडनी को नुकसान पहुंचता है तो किसी से लीवर या किसी अन्य शरीर अंग को। एंटीबायोटिक दवाएं लेने से आपके पाचनतंत्र में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया मर जाते हैं। इससे आपको खाने की इच्छा नहीं होती है।

दिल्ली मेडिकल काउंसिल की साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर नरेंद्र सैनी के मुताबिक, कोविड के दौरान बिना डॉक्टर के लिखे बड़ी संख्या में लोगों ने एंटीबायोटिक खाए हैं। ये काफी घातक है। ऐसे में आने वाले दिनों में लोगों में एंटी बैक्टीरियल रजिस्टेंस की मुश्किल देखने को मिल सकती है। ज्यादा एंटीबायोटिक लेने पर वैक्टीरिया में उसके लिए रजिस्टेंस पैदा हो जाता है। ऐसे में बैक्टीरिया के संक्रमण पर जब ये एंटीबायोटिक दी जाएगी, तो ये काम ही नहीं करेगी। 90 फीसदी बुखारों के इलाज के लिए एंटीबायोटिक की जरूरत पड़ती ही नहीं है, जबकि कोरोना तो एक वायरस है। ऐसे में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कोरोना में किया जाना आपके शरीर को नुकसान पहुंचाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.