Rising India: 1500 रुपये का एंटी कोरोना वैक्यूम क्लीनर, घर का कोना-कोना करेगा वायरस मुक्त
अब उन वस्तुओं स्थानों या सतहों को इससे विषाणु रहित बनाया जा सकता है जहां सैनिटाइजर का छिड़काव करना या पोंछा लगाना सामान्यतः कठिन होता है।
चंडीगढ़, डॉ. सुमित सिंह श्योराण। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, मोहाली, पंजाब के विज्ञानी डॉ.सम्राट घोष ने कमाल का एंटी-कोविड19 वैक्यूम क्लीनिंग सिस्टम ईजाद किया है। घर, ऑफिस, होटल, रेस्टोरेंट, दुकान, कार इत्यादि के उन स्थानों या सतहों को इससे शतप्रतिशत विषाणुरहित बनाया जा सकता है, जहां सैनिटाइजर का छिड़काव करना या पोंछा लगाना कठिन होता है। जैसे कालीन, डोरमैट, बेड, सोफा, सीट, कुशन, कंप्यूटर की-बोर्ड, मोबाइल या अन्य विद्युत उपकरण इत्यादि। लागत सिर्फ 1500 रुपये आई है। कीमत भी इसी के आस-पास रहेगी। ट्रायल पूरी तरह सफल रहा है। अब प्रमाणन के लिए सरकार को आवेदन भेजा गया है। पढ़ें और शेयर करें ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।
मोहाली स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइसर) एक प्रमुख व प्रतिष्ठित शोध संस्थान है। यह उपकरण विकसित करने वाले यहां के वरिष्ठ विज्ञानी डॉ. सम्राट घोष ने दैनिक जागरण को बताया कि समय की जरूरत के अनुरूप यह एक अहम खोज है। फर्श, दीवार, टेबल, जमीन इत्यादि ऐसी सतहें, जिन्हें सैनिटाइजर के छिड़काव या पोंछे से विषाणुरहित बनाया जा सकता है, बनाया जा रहा है, लेकिन दैनिक उपयोग की तमाम वस्तुओं जैसे कालीन, सोफा, कुशन, बेड, डोरमैट, की-बोर्ड, सीट इत्यादि अनेक ऐसी सतहें या वस्तुएं होती हैं, जहां छिड़काव करना या पोंछा लगाना कठिन होता है। यह एंटी-कोविड19 वैक्यूम क्लीनिंग सिस्टम इस समस्या का बेहद सरल समाधान प्रस्तुत करता है। प्रमाणन के बाद यह बाजार में उतारा जा सकेगा।
कालीन या कुशन पर जमा धूल के अतिसूक्ष्म कणों में विषाणु ठहर सकता है, जिसका सफाया इस वैक्यूम क्लीनर से चुटकियों में हो जाता है। आइसर लैब में एक महीने की मेहनत के बाद तैयार किए गए उपकरण को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है, कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। डॉ. घोष ने बताया कि 85 वर्षीय उनके पिता गंभीर बीमारी से ग्रस्त हैं, ऐसे में घर को कोरोना से पूरी तरह सुरक्षित बनाए रखने के लिए आइडिये की खोज में था। ऐसी सतहों को सैनिटाइज करने में दिक्कत महसूस हो रही थी। तभी यह विचार आया। इस डिवाइस के रिजल्ट बहुत अच्छे आए हैं।
डॉ. घोष बीते 25 साल से रिसर्च वर्क से जुड़े हुए हैं। 2008 में आइसर मोहाली में ज्वाइन करने से पहले उन्होंने अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, कनाडा सहित कुछ अन्य अग्रणी देशों के प्रमुख शोध संस्थानों में सेवाएं दीं। उन्होंने कोविड-19 के लिए टू पीस मास्क भी तैयार किया है।
वैक्यूम क्लीनर के बारे में बताया कि यह साधारण वैक्यूम क्लीनर की तरह ही है, जिसमें सामान्यतः 800 वॉट की मोटर लगी होती है। यह धूल के महीन से महीन कणों और किसी भी तरह के सूक्ष्मजीवी को सफलतापूर्वक सतह से खींच लेता है। अन्य वैक्यूम क्लीनर में जहां पर धूल को एकत्र करने वाला चैंबर होता है, इसमें मैंने विशेष चैंबर तैयार किया है। इस चैंबर में कोविड19 का खात्मा करने वाला रसायन भरा गया है। डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्य किसी भी एंटी कोविड19 केमिकल को इसमें भर सकते हैं।
वैक्यूम से खिंचकर वायरस सीधे इसी चैंबर में आ गिरता है और पांच से दस मिनट में नष्ट हो जाता है। उपकरण को पूरी तरह लीकप्रूफ बनाया गया है। ताकि उपयोग के दौरान कहीं से भी हवा, धूल या रसायन लीक न होने पाए। यह युक्ति इतनी सस्ती, कारगर और सुविधाजन है कि हर कोई इसका इस्तेमाल कर सकता है। इसका एक और फायदा यह है कि सैनिटाइजर के छिड़काव के दौरान रसायन के अनचाहे संपर्क में आने से भी व्यक्ति बचा रह सकता है।
हमारे सभी ट्रायल सफल रहे हैं
आप घर का कोना-कोना सैनिटाइज भले कर दें, लेकिन ऐसी कई सतहें रह जाती हैं, जिन्हें स्प्रे या पोंछे से पूरी तरह सैनिटाइज नहीं कर सकते हैं, यह वैक्यूम क्लीनर इसमें सक्षम है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च में हमने इसे एक माह में तैयार किया है। लागत 1500 रुपये आई है। हमारे सभी ट्रायल सफल रहे हैं। अब इसे स्वीकृति के लिए सरकार के पास भेजा गया है। मौजूदा चुनौती से निबटने के लिए यह उपकरण बेहद कारगर, सस्ता और सुविधाजन है।
-डॉ. सम्राट घोष, वरिष्ठ विज्ञानी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च, मोहाली, पंजाब
(अस्वीकरणः फेसबुक के साथ इस संयुक्त अभियान में सामग्री का चयन, संपादन व प्रकाशन जागरण समूह के अधीन है।)