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मध्य प्रदेश: यूरिया और चावल वितरण घोटाले के बाद एक और घोटाला, बड़ी धांधली की आशंका

मंदसौर के एक किसान की शिकायत पर उज्जैन लोकायुक्तपुलिस ने इसकी जांच शुरू की तब जाकर इस धांधली का पता चला।

By Manish PandeyEdited By: Published: Sun, 06 Sep 2020 08:01 AM (IST)Updated: Sun, 06 Sep 2020 08:01 AM (IST)
मध्य प्रदेश: यूरिया और चावल वितरण घोटाले के बाद एक और घोटाला, बड़ी धांधली की आशंका
मध्य प्रदेश: यूरिया और चावल वितरण घोटाले के बाद एक और घोटाला, बड़ी धांधली की आशंका

उज्जैन/भोपाल, जेएनएन। यूरिया और घटिया चावल वितरण घोटाले के बाद मध्य प्रदेश में अब एक और नया घोटाला सामने आया है। करीब 100 करोड़ रुपये का यह घोटाला केंद्र और प्रदेश शासन द्वारा उद्यानिकी से जु़ड़े किसानों के लिए यंत्र खरीदने की योजना से संबंधित है। इसके तहत किसानों को कृषिष यंत्र खरीदी पर अनुदान दिया जाना था मगर कुछ अधिकारियों ने धांधली कर अनुदान की राशि निजी कंपनियों के बैंक खातों में जमा करवा दी। मंदसौर के एक किसान की शिकायत पर उज्जैन लोकायुक्तपुलिस ने इसकी जांच शुरू की तो तीन करोड़ रुपये की धांधली का पता चला। जब इस मामले में उद्यानिकी विभाग भोपाल से जानकारी ली गई तो प्रदेश में बड़ा घोटाला सामने आया।

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जानकारी के अनुसार जनवरी 2020 में मंदसौर के दालोदा निवासी किसान मुकेश पाटीदार की शिकायत पर लोकायुक्त पुलिस ने जांच शुरू की। जांच अधिकारी डीएसपी वेदांत शर्मा ने बताया कि मंदसौर में इसके लिए तीन करोड़ रुपये का बजट था। जांच में पता चला है कि किसानों के लिए जारी की गई अनुदान राशि तीन निजी कंपनियों के बैंक खातों में डाल दी गई।

कंपनियों के भी संदिग्ध होने की आशंका

लोकायुक्त पुलिस ने मंदसौर जिले के गरोठ, सीतामऊ, मल्हारगढ़ आदि क्षेत्र के किसानों से बयान लिए हैं। जिन कंपनियों के खाते में अनुदान की राशि जमा हुई है, उन्हें नोटिस जारी कर बयान देने के लिए बुलाया गया है। खास बात यह है कि ये कंपनियां शासन द्वारा प्रमाणित भी नहीं हैं। तीन कंपनियों किसान एग्रो लिमिटेड, जेएम इंटरप्राइजेज और गणेश ट्रेडिंग से कृषिष उपकरणों की खरीदी हुई है। इनमें जेएम इंटरप्राइजेज को छतीसगढ़ में ग़़डब़़डी के कारण ब्लैक लिस्ट किया जा चुका है। इन तीनों कंपनियों का रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज या फ‌र्म्स एवं सोसायटी में पंजीयन भी नहीं था। एमपी एग्रो से एमओयू के बिना ही तीनों कंपनी ने यंत्रों की आपूर्ति कर दी। तीनों कंपनियों का कर्ताधर्ता गुजरात के आणंद का रहने वाला जिग्नेश पटेल बताया जा रहा है। उसे पूछताछ के लिए लोकायुक्त पुलिस ने 10 सितंबर को उज्जैन बुलाया है।

किसानों को दिए उपकरण अमानक स्तर के

यह भी पता चला है कि कंपनी ने जो उपकरण एमपी एग्रो के माध्यम से किसानों को दिए थे वो अमानक स्तर के थे। डीएसपी वेदांत शर्मा के अनुसार फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। प्रथम दृष्टया कुछ अधिकारियों द्वारा पद के दुरपयोग का मामला सामने आया है। फिलहाल इस मामले में कोई केस दर्ज नहीं हुआ है। जांच पूरी होने के बाद वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।

जांच कमेटी ने रिपोर्ट उद्यानिकी विभाग को सौंपी

उज्जैन लोकायुक्त पुलिस ने उद्यानिकी विभाग, भोपाल को इस शिकायत के संबंध में पत्र लिखकर योजना संबंधित जानकारी मांगी थी। उद्यानिकी विभाग की प्रमुख सचिव कल्पना श्रीवास्तव ने इस संबंध में एक जांच कमेटी भी गठित की है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट विभाग को दे दी है।

निजी कंपनी को फायदा पहुंचाने बदल दिए थे नियम

शुरुआती प़़डताल में पता चला है कि निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए उद्यानिकी विभाग के तत्कालीन मंत्री सचिन यादव और उप संचालक राजेंद्र कुमार राजौरिया ने केंद्र सरकार के नियम भी बदल डाले थे। केंद्र द्वारा भेजी गई राशि कृषिष उपकरण खरीदी लिए किसानों के खाते में भेजी जानी थी, लेकिन आरोप है कि दोनों ने राशि किसानों के खाते के बजाय प्रदेश सरकार की संस्था एमपी एग्रो के खाते में अग्रिम जमा कर दी। फिर एमपी एग्रो ने गुजरात की तीन निजी कंपनियों से उपकरण खरीद लिए। इसमें एक आइएफएस स्तर के अधिकारी की भूमिका की जांच भी की जा रही है।

सचिन यादव, विधायक एवं तत्कालीन उद्यानिकी मंत्री

मैं जांच में लोकायुक्त पुलिस को पूरा सहयोग करूंगा। जो भी जानकारी मुझसे मांगी जाएगी मैं उपलब्ध कराऊंगा।


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