दस्तारबंदी की कानूनी वैधता नहीं, फिलहाल रोक से हाईकोर्ट का इनकार
जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के बेटे शाबान के दस्तारबंदी समारोह पर रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट ने मना कर दिया है। हालांकि, कोर्ट की तरफ से यह टिप्पणी जरूर की गई है कि इस समारोह को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी के बेटे शाबान के दस्तारबंदी समारोह पर रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट ने मना कर दिया है। हालांकि, कोर्ट की तरफ से यह टिप्पणी जरूर की गई है कि इस समारोह को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है। इस मामले में शाही इमाम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। साथ ही संबंधित अन्य पक्षों को भी नोटिस भेजा गया है। मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी।
इस बीच मामला खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। शाही इमाम की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट में दस्तारबंदी समारोह के विरोध में दायर तीन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिल्ली वक्फ बोर्ड ने कहा कि यह समारोह गैरकानूनी है।
इसे आयोजित करने के लिए उससे, केंद्र सरकार, एएसआइ और दिल्ली पुलिस से स्वीकृति नहीं ली गई है। जल्द ही तय किया जाएगा कि बुखारी पर क्या कार्रवाई की जाए। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति आरएस एंडलॉ की खंडपीठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
अदालत ने वक्फ बोर्ड और केंद्र सरकार से पूछा कि जब यह समारोह गैर कानूनी है तो वे किस तरह की कार्रवाई करेंगे। इस मामले में कानूनी स्थिति क्या है। वक्फ बोर्ड ने बताया कि वह जल्द ही कार्रवाई के संबंध में अपने निर्णय से हाई कोर्ट को अवगत करा देगा। केंद्र की तरफ से पेश एडिशनल सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि समारोह का आयोजन जामा मस्जिद के अंदर बिना किसी कानूनी मान्यता के नहीं किया जा सकता।
कार्यक्रम यदि जामा मस्जिद से बाहर होता है तो उसके लिए कानूनी मान्यता की जरूरत नहीं है। फिर भी नायब इमाम की नियुक्ति पर फैसला लेने का अधिकार वक्फ बोर्ड का है, न कि शाही इमाम का। ज्ञात हो कि 22 नवंबर को शाही इमाम बुखारी अपने पुत्र को नायब इमाम नियुक्त करने के लिए दस्तारबंदी समारोह आयोजित कर रहे हैं। इसमें उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को तो न्योता दिया है पर अपने देश के पीएम नरेंद्र मोदी को नहीं। हाई कोर्ट में सुहेल अहमद खान, अजय गौतम और अधिवक्ता वीके आनंद ने तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर कर दस्तारबंदी समारोह पर रोक लगाने की मांग की है।
बहादुरशाह के प्रपौत्र भी पहुंचे कोर्ट
अंतिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर के प्रपौत्र प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन टूसी ने भी बुखारी के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने भी शाही इमाम के बेटे के दस्तारबंदी समारोह पर रोक लगाने की मांग की है। हैदराबाद निवासी प्रिंस याकूब का कहना है कि उनके पूर्वजों ने जामा मस्जिद को बनवाया था। शाही इमाम को यह अधिकार नहीं है कि वह दादाशाही प्रथा चलाते हुए अपना पद अपने ही वंशज को सौंपे। यह अधिकार दिल्ली वक्फ बोर्ड का है। कोर्ट याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा।