अनिल देशमुख ने मोहन देलकर आत्महत्या मामले में भी किया हस्तक्षेप, जानें परमबीर सिंह ने क्या लगाए आरोप
महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने न सिर्फ पुलिस अधिकारियों को हर महीने एक बड़ी रकम वसूलने के का निर्देश दिया बल्कि राजनीतिक उद्देश्यों से दादरा-नगर हवेली के सांसद मोहन देलकर आत्महत्या मामले में मुंबई में प्राथमिकी भी दर्ज करवाई।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने न सिर्फ पुलिस अधिकारियों को हर महीने एक बड़ी रकम वसूलने के का निर्देश दिया, बल्कि राजनीतिक उद्देश्यों से दादरा-नगर हवेली के सांसद मोहन देलकर आत्महत्या मामले में मुंबई में प्राथमिकी भी दर्ज करवाई। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री को लिखे अपने आठ पृष्ठों के कथित पत्र में खुलासा किया है कि गृहमंत्री अनिल देशमुख दादरा-नगर हवेली के सांसद मोहन देलकर की आत्महत्या मामले पहले दिन से ही आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला मुंबई में दर्ज करवाना चाहते थे।
बता दें कि मोहन देलकर ने मुंबई के सी ग्रीन होटल में 22 फरवरी को आत्महत्या कर ली थी। आत्महत्या से पहले लिखे गए अपने सुसाइड नोट में देलकर ने दादरा-नगर हवेली के एक प्रशासक पर खुद को परेशान करने का आरोप लगाया था। यह घटना मुंबई में होने के कारण मरीन ड्राइव पुलिस ने इस मामले में नियमानुसार एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट (एडीआर) दर्ज की थी। चूंकि दादरा-नगर हवेली का उक्त प्रशासक कथित रूप से भाजपा से जुड़ा था, इसलिए शिवसेना पहले दिन से इस मामले का उपयोग भाजपा का मुंह बंद करने के लिए करना चाहती थी। शिवसेना ने विधानमंडल के बजट सत्र में भी इस मुद्दे को बड़े जोर-शोर से उठाया था।
परमबीर कहते हैं कि गृहमंत्री अनिल देशमुख पहले दिन से इस मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला मुंबई में दर्ज कराना चाहते थे, ताकि इस मामले की जांच मुंबई पुलिस से करवाई जा सके। परमबीर के अनुसार कानूनी राय लेने के बाद वह इस बात के बिल्कुल खिलाफ थे, क्योंकि आत्महत्या के लिए उकसाने की हटना दादरा-नगर हवेली में हुई थी, न कि मुंबई में।
कथित पत्र में सिंह ने मुख्यमंत्री को याद दिलाया है कि इस घटना के बाद उनके सरकारी आवास पर हुई प्रेस कान्फ्रेंस में भी मैंने (परमबीर ने) यही कहा था कि आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दादरा-नगर हवेली में ही दर्ज होना चाहिए। इसके बावजूद गृहमंत्री राजनीतिक कारणों से यह मामला मुंबई में ही दर्ज करवाना चाहते थे, और उनके दबाव में न सिर्फ यह मामला मुंबई में दर्ज हुआ, बल्कि इसकी जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन भी करना पड़ा।
परमबीर के अनुसार इसके अलावा भी गृहमंत्री अक्सर पुलिस अधिकारियों को सीधे अपने बंगले पर बुलाकर राजनीतिक उद्देश्यों से अन्य मामलों की जांच भी प्रभावित करते रहे हैं। जबकि सर्वोच्च न्यायालय तक की निगाह में यह गैरकानूनी एवं असंवैधानिक है।