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जगन मोहन रेड्डी बोले, ऑनलाइन गेम्‍स व सट्टेबाजी की वेबसाइटों, एप्‍स को राज्‍य में ब्‍लॉक करने का निर्देश दे केंद्र

आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी (YS Jagan Mohan Reddy) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर सभी इंटरनेट प्रदाताओं को निर्देश देने की अपील की है कि वे राज्‍य में सभी तरह के ऑनलाइन गेम्‍स को ब्‍लॉक करें।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 10:50 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 11:25 PM (IST)
जगन मोहन रेड्डी बोले, ऑनलाइन गेम्‍स व सट्टेबाजी की वेबसाइटों, एप्‍स को राज्‍य में ब्‍लॉक करने का निर्देश दे केंद्र
आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है...

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। आंध्र प्रदेश के मुख्‍यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी (YS Jagan Mohan Reddy) ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर सभी इंटरनेट प्रदाताओं को निर्देश देने की अपील की है कि वे राज्‍य में सभी तरह के ऑनलाइन गेम्‍स को ब्‍लॉक करें। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, मुख्‍यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी ने केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्र सभी इंटरनेट प्रोवाइडर्स को निर्देश दे कि वे ऑनलाइन खेलों, जुए और सट्टेबाजी से जुड़ी वेबसाइटों और एप्स को ब्‍लॉक कर दें...  

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विशेषज्ञों की मानें तो मोबाइल गेमिंग बच्चों पर दिन प्रतिदिन हावी होता जो रहा है। इसकी लत पड़ने पर बच्चे कुछ भी कर गुजरने को तैयार हैं। यहां तक कि खुद को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ अपने आसपास के लोगों को भी चोट पहुंचाने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। बीते दिनों धनबाद के एक आठ साल के कक्षा तीसरी में पढ़ने वाला छात्र ने खुदकशी कर ली थी।

विशेषज्ञों का कहना है कि मोबाइल गेमिंग से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। यही नहीं इससे बच्‍चे चिड़चिड़े हो जा रहे हैं। बीते दिनों भारत सरकार ने चीनी पॉपुलर गेम PUBG पर प्रतिबंध लगा दिया था। विशेषज्ञों का कहना है कि गेम्स खेलने की लत से अटेंशन डेफिसिट डिसॉर्डर, हाइपरएक्टिविटी और स्लीप डिसॉर्डर जैसी बीमारियां घर कर रही हैं। बाल रोग विशेषज्ञों के पास ऐसे केस आ रहे हैं जिसमें गेमिंग डिसऑर्डर की वजह से ब्रेन के न्यूरो ट्रांसमीटर में बदलाव हो रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इसी बदलाव से बच्चों के व्यवहार में बदलाव देखने को मिल रहा है। भले ही सरकार ने पबजी को बैन कर दिया है लेकिन अभी भी कई ऑनलाइन गेम हैं जो बच्‍चों के लिए खतरनाक साबित हो रहे हैं।बीते दिनों नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज की एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी जिसके अनुसार उनके यहां 150 से ज्यादा ऐसे मामले आए हैं जिनमें पब्जी का नकारात्मक असर पाया गया था। विशेषज्ञों का कहना है कि काल्पनिक मोबाइल गेम बच्चों के दिमाग पर छाते जा रहे हैं।  


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