जानें- कोरोना की वजह से महीनों तक समुद्र में फंसे रहने वाले एक नाविक की कहानी उसकी ही जुबानी
कोविड-19 की वजह से पूरी दुनिया में लगे लॉकडाउन की मार समुद्र में फंसे नाविकों को भी झेलनी पड़ी है। ये नाविक महीनों तक जहाज पर फंसे रहे और अपने घर जाने का इंतजार करते रहे। ये इंंतजार काफी लंबा रहा।
नई दिल्ली (संयुक्त राष्ट्र न्यूज)। जनवरी 2020, जब चीन के वुहान शहर से कोरोना महामारी निकलकर दूसरे देशों की तरफ रुख कर रहा था तो उस वक्त कोई नहीं जानता था कि ये महामारी कुछ माह के अंदर ही कितना भयानक रूप ले लेगी। मार्च के अंत तक पूरी दुनिया की इसकी चपेट में आ चुकी थी और दुनिया के कई देशों में इससे बचाव के लिए उठाए गए कदमों के फलस्वरूप लॉकडाउन लगाया जा चुका था। पूरी दुनिया के देश अपने ही अंदर सिमट कर रह गए थे। न कोई बाहर जा सकता था और न ही कोई बाहर से आ सकता था। ऐसे समय में पूरी दुनिया के चारों तरफ मौजूद समुद्र और महासागर में हजारों की तादाद में जहाज अपने गंतव्य की तरफ बढ़ रहे थे। इन जहाजों पर मौजूद थे चार लाख से अधिक नाविक। इनमें से कई इस इंतजार में थे कि जल्द अवधि समाप्त होने के बाद वो घर जाकर अपने परिवार से मिल सकेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
अब जबकि पूरी दुनिया को कोरोना वायरस से लड़ते हुए एक वर्ष बीत चुका है तो इस बुरे समय को काटकर अपने घर पहुंचने वाले नाविक खुद को काफी खुशनसीब मान रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के इंटरनेशनल मेरीटाइम ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक वर्ष 2020 के अंत तक हजारों जहाजों पर करीब चार लाख नाविक फंसे हुए थे। संगठन का कहना है कि छह माह पहले जब ये समस्या सामने आई थी तब उम्मीद की जा रही थी कि जल्द सबकुछ ठीक होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। समुद्र में फंसे जहाजों पर मौजूद नाविकों का हर दिन मुश्किल से कट रहा था। ये उन जहाजों पर रहने के लिए मजबूर हो रहे थे जहां पर इनके रहने की अवधि काफी समय पहले ही खत्म हो चुकी है।
संगठन की तरफ से इन लोगों की तारीफ करते हुए ये भी कहा गया है कि इन नाविकों की बदौलत ही कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में जरूरी चीजों की आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकी। इसके बाद भी इन लोगों के लिए दुनिया के देशों ने अपनी सीमाओं को बंद ही रखा। अपने घर जाने की बारी का इंतजार कर रहे इन नाविकों के लिए अपने परिवार का पालन पोषण करना भी मुश्किल हो गया था। इस कारण इन नाविकों को कठिन मानसिक परिस्थिति से भी गुजरना पड़ रहा है।
मध्य पूर्व और एशिया क्षेत्र में मौजूद एक तेल टैंकर के चीफ इंजीनियर मैट फोर्स्टर पाबंदियों की ही वजह से कई माह तक जहाज पर ही फंसे रहे थे। हाल ही में जब वो अपने घर वापस पहुंचे तो उन्होंने यूएन न्यूज से बात करते हुए कहा हे कि बीते वर्ष जुलाई में ही उनका कॉन्ट्रेक्ट खत्म हो गया था। इसके बाद भी वो कई महीनों तक अपने घर नहीं जा सके। उनके लिए अपने बच्चों से अलग रह पाना काफी मुश्किल हो रहा था। एक समय वो भी आया जब उन्हें इस परेशानी का हल होता उन्हें दिखाई नहीं दे रहा था। उनके बच्चे अक्सर उनसे पूछते थे कि वो आखिर कब घर वापस आ रहे हैं। इसका उनके पास कोई जवाब नहीं होता है। उन्हें समझाना भी काफी मुश्किल होता है। अब वो अपने करियर की दिशा बदलने के बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जहाज पर उनके लिए हर दिन एक अनचाहे कारावास जैसा ही था।