Move to Jagran APP

ऐतिहासिक जलियांवाला बाग में केंद्र सरकार द्वारा किए गए सुधार कार्यों पर भ्रमित करने का एक और प्रयास

अमृतसर के ऐतिहासिक जलियांवाला बाग में केंद्र सरकार द्वारा किए गए सुधार कार्यों पर बेजा सवाल खड़े करना एक प्रकार से देशविरोधी मानसिकता का परिचय देना ही कहा जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कैसी छवि बनेगी इस मुद्दे पर भी कोई सोचेगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 02 Sep 2021 11:30 AM (IST)Updated: Thu, 02 Sep 2021 11:30 AM (IST)
ऐतिहासिक जलियांवाला बाग में केंद्र सरकार द्वारा किए गए सुधार कार्यों पर भ्रमित करने का एक और प्रयास
हाल में किए गए जीर्णोद्धार के बाद अमृतसर स्थित ऐतिहासिक जलियांवाला बाग स्मारक। फाइल

सचिन श्रीधर। अपना राजनीतिक वजूद बनाए रखने के लिए शायद विपक्ष के जरूरी हो गया है कि नरेंद्र मोदी सरकार के हर कदम की आलोचना की जाए। केंद्र सरकार को निरंतर विवादों के कठघरे में खड़ा करने के प्रयासों की कड़ी में अब एक नया अध्याय जुड़ गया है, ऐतिहासिक जलियांवाला बाग के शहादत स्मारक का जीर्णोद्धार। दरअसल केंद्र सरकार ने जलियांवाला बाग स्मारक को नया स्वरूप प्रदान किया है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त को किया था।

loksabha election banner

अमृतसर स्थित इस ऐतिहासिक स्थल पर कई बदलाव किए गए हैं। मुख्य स्मारक की मरम्मत की गई है, शहीदी कुएं का जीर्णोद्धार किया गया है, नए चित्र और मूर्तियां लगाई गई हैं और आडियो-विजुअल व थ्रीडी तकनीक के जरिये नई गैलरियां बनाई गई हैं। इसके अलावा कमल के फूलों का एक तालाब बनाया गया है और एक लाइट एंड साउंड शो भी शुरू किया गया है। अब सुनिये विरोध क्या है। विरोध यह है कि रंग-बिरंगी रोशनी और तेज संगीत के माहौल से शहीदों की मर्यादा का अपमान हो रहा है। यह कैसा अजीब कुतर्क है। सोचने वाली बात है कि क्या सरकार ने यह सब गलत किया है। स्मारक के स्वरूप को नवीनता प्रदान करने से शहीदों का अपमान कैसे हो गया। या इससे देश की स्थिरता को कैसे खतरा पहुंच गया। प्रधानमंत्री विरोधी शक्तियों का यह मानसिक दीवालियापन देखिये कि किसी प्राचीन शहीद स्मारक के जीर्णोद्धार पर भी चीख पुकार मचा दी है।

याद रहे कि अमृतसर के जलियांवाला बाग में जनरल डायर द्वारा किए गए एक अभूतपूर्व और हिंसक हमले में महिलाओं और बच्चों सहित एक हजार से अधिक भारतीयों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। फिर भी पंजाब में पंजाब के लोगों ने ब्रिटिश राज का विरोध करना बंद नहीं किया। स्वतंत्रता संग्राम में पंजाब के लोगों के अभूतपूर्व योगदान, उनके अकल्पनीय बलिदान और औपनिवेशिक बंधनों से मुक्ति पाने के लिए उनके अद्भुत समर्पण को नई पीढ़ी तक पहुंचाना, दुनिया को अपने शहीदों की बेजोड़ वीरता से परिचित कराना क्या किसी भी देश या समुदाय के लिए पाप के समान है। यह तो किसी भी देश और उसके नागरिकों के लिए गौरव की बात है कि वह अपने शहीदों को निरंतर याद करता रहे।

केंद्र सरकार के इस कदम का अंधा विरोध करने वाले क्या आम नागरिकों को यह बता रहे हैं कि पिछले दशकों में बाग में जो संरचनाएं तैयार की गई थीं, उनकी दशा अब बहुत खराब हो चुकी थी। तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने 14 अप्रैल 2010 को उस समय की केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी की मौजूदगी में शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरूप 52 मिनट की अवधि का ‘साउंड एंड लाइट शो’ शुरू किया था जो कुछ ही समय बाद पूरी तरह से निष्क्रिय हो गया था। इस स्मारक की दो संग्रहालय दीर्घाएं बहुत जर्जर हो चुकी थीं। पहली मंजिल पर थिएटर भी नाम के लिए था। ज्वाला स्मारक और परिसर के आसपास के फव्वारे बेहद खराब दशा में पहुंच चुके थे। शहीदी कुएं की सुपर संरचना जो स्मारक बनने के समय विकसित की गई थी, खराब हो गई थी। इतना ही नहीं, पानी के पंप आदि की वजह से वहां के ऐतिहासिक कुएं ने अपनी पवित्रता खो दी थी। बाग के प्रवेश द्वार के आसपास पानी के जमाव की समस्या थी। इसके साथ ही मूल प्रवेश मार्ग पर बनाए गए ढांचे की मरम्मत की आवश्यकता थी। इसलिए जलियांवाला बाग स्मारक के जीर्णोद्धार का निर्णय लिया गया।

ऐसा नहीं है कि वर्तमान केंद्र सरकार ने चुपचाप रातों-रात यह काम कर दिया हो। दरअसल इस परियोजना को पूर्व में आठ नवंबर 2018 को गृहमंत्री की अध्यक्षता में राष्ट्रीय कार्यान्वयन समिति (एनआइसी) द्वारा अनुमोदित किया गया था। साथ ही, एएसआइ यानी आर्कियोलाजिकल सर्वे आफ इंडिया के नेतृत्व में इतिहासकारों, विद्वानों और शिक्षाविदों की एक अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया था। पूरी अवधारणा को एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा अनुमोदित किया गया था। लेकिन विरोधियों द्वारा ये सारे तथ्य नहीं बताए जा रहे हैं, क्योंकि फिर विरोध किस बता का करेंगे। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि लोगों में भ्रम पैदा कर राजनीतिक लाभ उठाने के फेर में सरकार विरोधी ताकतें पूरी ताकत से शोर मचा रही हैं।

सरकार देश के गौरवशाली अतीत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए कैसे भी प्रयास कर ले उसका विरोध किए बिना ये शक्तियां रह ही नहीं सकतीं। मगर सोचने वाली बात यह है कि विपक्षी दलों द्वारा भ्रम फैलाने वाली इस पूरी मुहिम से भारतीय समाज और इस देश का कितना नुकसान हो रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कैसी छवि बनेगी इस मुद्दे पर भी कोई सोचेगा।

[पूर्व आइपीएस अधिकारी]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.