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अमित शाह के कश्मीर दौरे से अर्धसैनिक बलों का मनोबल बढ़ा, कश्मीरी युवाओं में भरोसे का संचार

जम्मू-कश्मीर में शांति व विकास की गति को हिंसक घटनाओं के जरिये बाधित करने की कुछ लोगों की कोशिशों के बीच शाह ने जहां युवाओं की क्षमताओं और आकांक्षाओं को अस्त्र बनाया वहीं उग्रवादियों और अलगाववादियों को सख्त संदेश भी गया।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 29 Oct 2021 04:35 PM (IST)Updated: Fri, 29 Oct 2021 04:35 PM (IST)
अमित शाह के कश्मीर दौरे ने शांति, स्थायित्व और विकास की नींव मजबूत की।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संविधान के अनुच्छेद 370 को रद करने के दो साल बाद जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की यात्रा कई बड़े संकेत दे गई है। प्रदेश में शांति व विकास की गति को हिंसक घटनाओं के जरिये बाधित करने की कुछ लोगों की कोशिशों के बीच शाह ने जहां युवाओं की क्षमताओं और आकांक्षाओं को अस्त्र बनाया वहीं उग्रवादियों और अलगाववादियों को सख्ती से यह संदेश भी गया है कि अब रुकने और पीछे मुड़ने की चर्चा भी नहीं हो सकती है। ठीक उसी तरह जैसे कश्मीर में अब स्वायत्तता और स्वाधीनता जैसे शब्द गायब हो चुके हैं।

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कश्मीर में यह परंपरा बन गई थी कि राष्ट्रीय स्तर के किसी नेता व मंत्री के आने से पहले विरोध में दुकानें बंद हो जाती थीं। स्थानीय प्रशासन ने अलगाववादियों की इस कुत्सित मंशा पर तो लगाम लगा दी थी लेकिन अनुच्छेद 370 और 35 ए को हटाने वाले गृहमंत्री अमित शाह के आने की खबर होते ही फिर से छिटपुट ¨हसा की आग लगाई गई। जिस तरह कश्मीरी पंडितों को घाटी से भागने के लिए मजबूर किया गया उसी तरह इस बार दूसरे प्रदेश से आकर रोजगार करने वालों को निशाना बनाया गया।

सरकार किसी भी दबाव में नहीं आएगी

जानकारों का मानना है कि अलगाववादी आखिरी लड़ाई लड़ रहे थे। लेकिन शाह ने पहले से तय दो दिन की बजाय तीन दिन वहां रुककर और बुलेट प्रूफ सुरक्षा से बाहर निकल लोगों से मिलकर यह संदेश दे दिया है कि सरकार किसी भी दबाव में नहीं आएगी। सुरक्षा भी दुरुस्त करेगी और विकास की गति को भी धीमा नहीं होने देगी।

हेलीकाप्टर की बजाय सड़क मार्ग से यात्रा की

गौरतलब है कि वहां ऐसी घटनाएं भी होती रही हैं जब तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से अर्धसैनिक बलों के मनोबल को ही तोड़ा गया। इसके विपरीत शाह ने सीआरपीएफ के कैंप में रात गुजार कर जहां उनकी पीठ थपथपाई, वहीं कश्मीरी युवाओं को साथ जोड़ा। जिन राजनीतिक दलों पर अलगाववादियों से साठगांठ का आरोप लगता रहा है उन्हें कठघरे में खड़ा किया और कहा कि वे पाकिस्तान के साथ नहीं कश्मीरी युवाओं से बात करने आए हैं। तीन दिवसीय यात्रा की अहम बात यह रही कि उन्होंने हेलीकाप्टर की बजाय सड़क मार्ग से यात्रा की। कैंप में रुके, सड़क चलते रुककर चाय पी और लोगों के साथ सीधा संवाद किया। आंतरिक सुरक्षा की समीक्षा और कश्मीरी युवा उनकी यात्रा के केंद्र में रहे।

बीएसएफ और आम नागरिकों के लिए बने बंकरों का भी निरीक्षण किया

विश्लेषकों का मानना है कि भारत पाकिस्तान सीमा के सीमांत गांव मकवाल में गृहमंत्री शाह के जाने से सुरक्षा को लेकर विश्वास बहाली में खासी मदद मिलेगी। वहां शाह ने बीएसएफ और आम नागरिकों के लिए बने बंकरों का भी निरीक्षण किया। उनका निरीक्षण इतना बारीक था कि उन्होंने अधिकारियों से छोटी से छोटी जानकारी ली।

ग्रामीण चुन्नीलाल के घर भी गए और चाय भी पी

इसी गांव में वे एक ग्रामीण चुन्नीलाल के घर भी गए और चाय भी पी। खुद उसका नंबर अपने फोन में सेव भी किया। ध्यान रहे कि शाह के वहां मौजूद रहते और आने के सप्ताह भर बाद भी ¨हसा की कोई घटना नहीं हुई है। विश्लेषक मानते हैं कि इस दौरे ने आम लोगों और पैसे से जरिये भ्रमित किए जा रहे युवाओं को सकारात्मक सोच के लिए विवश किया है। इसका परिणाम आने वाले दिनों में दिखेगा। वैसे भी पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद की कमर टूटी है।

विकास कार्य में लोगों की भूमिका बढ़ी

अगर 2019 के बाद की बात की जाए तो हिंसा की घटनाएं भी कम हुई हैं और हताहत होने वाले आमलोगों की संख्या भी कमी आई है। पंचायत और डीडीसी चुनाव हो चुके हैं। स्थानीय स्तर पर विकास कार्य में लोगों की भूमिका बढ़ी है। अब केंद्र से भेजा गया पैसा कुछ लोगों की जेब में जाने के बजाय नीचे के स्तर तक जा रहा है। परिसीमन का काम चल रहा है।

सकारात्मक नतीजा दिखने की उम्मीद

शाह ने दोहराया है कि प्रदेश में चुनाव भी होंगे और प्रदेश को संपूर्ण राज्य का दर्जा भी मिलेगा,लेकिन यह तय स्थानीय जनता को ही करना है कि वह आगे बढ़ना चाहते हैं या फिर नकारात्मक सोच के साथ खड़े रहना चाहते हैं जहां विकास की बजाय विनाश इंतजार करता है। इसमें शक की गुंजाइश नहीं कि शाह ने लोगों की सोच को झकझोरा है, इसका सकारात्मक नतीजा दिखने की उम्मीद जताई जा रही है।


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