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Janmashtami 2020: कृष्ण भक्ति में लीन अमेरिकी उद्योगपति, जिन्होंने बदल लिया धर्म और नाम

बंगाल के नदिया जिला स्थित मायापुर में भगवान श्रीकृष्ण की आरती करते फोर्ड कंपनी के मालिक अंबरीश दास (अल्फ्रेड फोर्ड। सौ. इस्कान

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 12:23 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 12:28 PM (IST)
Janmashtami 2020: कृष्ण भक्ति में लीन अमेरिकी उद्योगपति, जिन्होंने बदल लिया धर्म और नाम
Janmashtami 2020: कृष्ण भक्ति में लीन अमेरिकी उद्योगपति, जिन्होंने बदल लिया धर्म और नाम

जयकृष्ण वाजपेयी, कोलकाता। बंगाल के नदिया जिला स्थित मायापुर में 113 मीटर ऊंचा श्रीकृष्ण मंदिर निर्माणाधीन है, जो दो साल में पूर्ण हो जाएगा। श्री मायापुर चंद्रोदय नामक इस मंदिर का निर्माण कृष्णभक्त अंबरीश दास करा रहे हैं, जिनका पूर्व नाम अल्फ्रेड फोर्ड है और जो विश्वविख्यात कार कंपनी फोर्ड के मालिक हैं।

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अल्फ्रेड की कृष्णभक्ति की इस रोचक गाथा में माया भी है, तो माया को हरने वाले मायापति श्री कृष्ण भी और मायापुर में बन रहा श्री मायापुर वैदिक तारामंडल चंद्रोदय मंदिर भी इसमें जुड़ गया है। अल्फ्रेड से अंबरीश बने इस कृष्णभक्त की भक्ति की यह प्रेरक यात्रा निरंतर जारी है। मंदिर का एक हिस्सा एक लाख वर्गफुट में तैयार हो चुका है। मंदिर 2022 में पूर्ण आकार ले लेगा।

बंगाल के नदिया जिले में स्थित मायापुर में बन रहे 113 मीटर ऊंचे चंद्रोदय मंदिर का मॉडल। सौ. इस्कॉन

अंबरीश दास का कहना है कि कृष्णभक्ति ने उन्हें पूर्णता दी है। वह बताते हैं, जन्म लेने के बाद तमाम भौतिक सुख-संसाधनों और माया में लिप्त था। मेरे पास माया थी और माया जनित भौतिक सुख। सब कुछ था, लेकिन मुझे लगता था कि भीतर से कुछ खाली है, बेहद खाली है। मैंने उस मिसिंग लिंक (खालीपन के कारण) को भरने के लिए खोज शुरू की। इसी क्रम में गुरु महाराज श्रील प्रभुपाद से मिला। इसके बाद मैंने श्रीकृष्ण के जरिए उस मिसिंग लिंक को खोज लिया। यह मंदिर मेरे गुरु महाराज का सपना है, जिसे पूरा कर उनके चरणों में सर्मिपत करना मेरा एक लक्ष्य है। हम ऐसी दुनिया में रहते हैं, जहां हर कोई महत्वाकांक्षी है। ईष्या है। लड़ाई है। लोग वह सब कुछ पाना चाहते हैं, जो उनके पास नहीं है, इसलिए यहां हमेशा प्रतिस्पर्धा है। लेकिन संसार से साथ कुछ भी नहीं जाता। इसलिए मैं और मेरी पत्नी इस आध्यात्मिक संसार में मोहमाया से दूर कहीं अधिक खुश हैं। यह प्रसन्नता स्थायी है।

तन पर धोती और कुर्ता। माथे पर तिलक। दाहिने हाथ में एक पोटली और उसमें चलते माला के अनवरत फेरे। चेहरे पर गहरी शांति और संतोषजनित सौम्यता। अधरों पर मुस्कान और मन में हरे कृष्ण का सतत जाप। अमेरिका के प्रसिद्ध उद्योगपति अल्फ्रेड फोर्ड उर्फ अंबरीश दास की अब यही पहचान है। विश्वविख्यात कार निर्माता कंपनी फोर्ड मोटर्स के संस्थापक हेनरी फोर्ड के पोते और कंपनी के निदेशक अल्फ्रेड फोर्ड अब पूरी दुनिया में अंबरीश दास के नाम और भगवान कृष्ण की भक्ति के लिए विख्यात हो चुके हैं। उनकी भक्ति ही है जो वह हर वर्ष फरवरी- मार्च में होने वाले गौर पूर्णिमा महोत्सव में अमेरिका से सपरिवार नदिया जिले के मायापुर आते हैं और पूजा में रम जाते हैं। यहां चैतन्य महाप्रभु की जन्मस्थली पर स्थित इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के मुख्यालय के माध्यम से अंबरीश दास करीब 800 करोड़ रुपये की लागत से 113 मीटर ऊंचा मंदिर बनवा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अपने पास से 250 करोड़ दान दिया है, जबकि शेष राशि भी वह चंदे के रूप में जुटा रहे हैं।

अल्फ्रेड इस्कॉन के संस्थापक स्वामी श्रील भक्तिवेदांत प्रभुपाद की कृष्ण भक्ति पर लिखी किताबें पढ़ने के बाद कृष्णभक्ति की ओर आर्किषत हुए। इसके बाद जब श्रील प्रभुपाद अमेरिका गए तो उनसे मुलाकात के बाद अल्फ्रेड फोर्ड ने वर्ष 1975 में सनातन हिंदू धर्म अपनाने के साथ नाम अंबरीश दास रख लिया। इसके बाद पूरी तरह से कृष्ण भक्ति में रम गए। 1984 में उन्होंने नदिया जिले की ही रहने वाली कृष्णभक्त शर्मिला भट्टाचार्य से शादी कर ली। इन दोनों की दो बेटी हैं  अनीशा फोर्ड और अमृता फोर्ड।

इस मंदिर के निर्माण में छह देशों से मार्बल मंगाया गया है। इस्कॉन के मीडिया प्रभारी सुब्रत दास ने दैनिक जागरण को बताया कि यह ऐसा मंदिर है, जिसमें कहीं भी पेंटर का काम नहीं है। यह मंदिर विश्व में अपने तरह का अनूठा स्थापत्य होगा। सात तल का मंदिर है। पहला पुजारी तल तैयार हो गया है, जिस पर एक साथ दस हजार भक्त प्रार्थना व पूजा में सम्मिलित हो सकते हैं। बोलिविया, वियतनाम, फ्रांस, इटली समेत छह देशों से तरह-तरह के मार्बल और स्टोन लाए गए।


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