Afghanistan Conflict: अफगानिस्तान में अमेरिका के हथियारों ने मजबूत किए तालिबान के हाथ
अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के पूर्व सलाहकार जोनाथन स्क्रोडन का कहना है कि लड़ाकू विमानों और हेलीकाप्टर पर कब्जा कर लेना आसान है लेकिन आतंकियों के लिए इनका इस्तेमाल आसान नहीं होगा। किसी भी वायुसेना को तकनीशियनों की पूरी टीम की जरूरत पड़ती है।
नई दिल्ली, जेएनएन। 1996 से 2001 तक तालिबान आतंकियों का अफगानिस्तान पर कब्जा रहा था और आज 20 साल बाद फिर तालिबान ने काबुल पर नियंत्रण कर लिया है। इस दो दशक के अंतराल में तस्वीरों में जमीन-आसमान सा अंतर आ गया है। ढाई दशक पहले कंधे पर क्लाशनिकोव राइफल लटकाए ट्रकों पर सवार आतंकियों के हावभाव बदल चुके हैं।
अमेरिका ने जो अत्याधुनिक हथियार और लड़ाकू विमान आदि अपने व अफगान सैनिकों के लिए रखे थे, उनमें से कुछ पर अब तालिबान का कब्जा है। इनकी बदौलत तालिबान की ताकत आज कई छोटे देशों की सेनाओं से भी ज्यादा हो गई है। आधुनिक हथियारों के साथ इंटरनेट मीडिया पर तस्वीरें देखकर यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि ये आतंकी हैं या किसी देश सुसज्जित सैनिक। अमेरिका में फिर 9/11 जैसे आतंकी हमले की आशंका वाले बयान से पाकिस्तान के एनएसए मोईद यूसुफ भले मुकर गए हों, लेकिन आतंकियों के असलहे देखकर ऐसी आशंका को सिरे से खारिज भी नहीं किया जा सकता है।
आतंकियों के कब्जे में आधुनिक क्षमता से लैस लड़ाकू विमान: एक रिपोर्ट के मुताबिक, 30 जून तक अफगान सेना के पास 43 एमडी-530 हेलीकाप्टर, 33 सी-208/एसी-208 विमान, 33 यूएच-60 ब्लैक हाक, 23 ए-29 हल्के लड़ाकू विमान, 32 एमआइ-17 हेलीकाप्टर और तीन सी-130 हरक्यूलिस विमान थे। इन 167 लड़ाकू विमानों व हेलीकाप्टर में से कुछ को आतंकियों के कब्जे में आने से पहले अन्य जगह पहुंचा दिया गया था, लेकिन कुछ तालिबान के कब्जे में हैं। काबुल पर आतंकियों के कब्जे के हफ्तेभर बाद ली गई कंधार एयरबेस की कुछ सेटेलाइट तस्वीरों के आधार पर जानकारों का अनुमान है कि कम से कम पांच विमान व हेलीकाप्टर आतंकियों के पास हैं। इनमें अत्याधुनिक एमआइ-17 हेलीकाप्टर और यूएच-60 ब्लैक हाक शामिल हैं। आतंकियों ने हेरात, कुंदूज और मजार-ए-शरीफ समेत अन्य एयरबेस को भी कब्जे में ले लिया है। अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि यहां आतंकियों के हाथ कितने विमान और हेलीकाप्टर लगे हैं।
खतरा अफगानिस्तान के बाहर भी जा सकता है: जानकारों का मानना है कि तालिबान आतंकियों के हाथ नए और आधुनिक हथियार लगने से खतरा केवल अफगानिस्तान तक ही सीमित नहीं है। जितने बड़े पैमाने पर हथियार होने का अनुमान लगाया जा रहा है, उसे देखते हुए कुछ समय में इनकी कालाबाजारी भी हो सकती है। तालिबान भले ही खुद को बदला हुआ दिखाने की कोशिश करे, लेकिन उसके लिए अन्य आतंकी संगठनों से दूरी बनाकर चलना संभव नहीं है। ऐसे में ये अत्याधुनिक हथियार अन्य आतंकी संगठनों के हाथ भी लग सकते हैं, जिससे खतरा आसपास के अन्य देशों तक भी फैल सकता है।
और भी बहुत कुछ लगा है आतंकियों के हाथ: लड़ाकू विमानों और हेलीकाप्टर के इस्तेमाल में तालिबान आतंकी कितने सक्षम और दक्ष हैं, इस पर तो सवाल उठ सकता है, लेकिन नवीनतम बंदूकों व राइफलों का इस्तेमाल आतंकी बखूबी जानते हैं और अफगानिस्तान में इनकी भरमार है। विभिन्न रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 से 16 के बीच अमेरिका ने अफगान सुरक्षाबलों के लिए बहुत बड़े पैमाने पर हथियार पहुंचाए थे। इनमें 3.58 लाख विभिन्न प्रकार की राइफल, 64 हजार से ज्यादा मशीनगन, 25 हजार से ज्यादा ग्रेनेड लांचर और 22 हजार से ज्यादा हमवी (हर तरह के इलाके में चलने में सक्षम गाड़ियां) शामिल हैं। 2017 में 20 हजार एम-16 राइफल भी अमेरिका ने दिए थे। इसके बाद के वर्षो में भी कई हथियार और वाहन आदि की आपूर्ति अमेरिका ने की थी।
क्या कर सकते हैं आतंकी?: अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के पूर्व सलाहकार जोनाथन स्क्रोडन का कहना है कि लड़ाकू विमानों और हेलीकाप्टर पर कब्जा कर लेना आसान है, लेकिन आतंकियों के लिए इनका इस्तेमाल आसान नहीं होगा। किसी भी वायुसेना को तकनीशियनों की पूरी टीम की जरूरत पड़ती है। रिपेयरिंग से लेकर बहुत से काम होते हैं। इनकी देखभाल में ज्यादातर निजी कांट्रेक्टर थे, जो तालिबान के कब्जे से पहले ही निकल गए थे। हालांकि खतरे से पूरी तरह इन्कार नहीं किया जा सकता है। आतंकियों के हाथ में ऐसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों का होना चिंता बढ़ाने वाला है। तकनीशियनों की टीम तैयार कर लेना आतंकियों के लिए बहुत असंभव भी नहीं है।