सौ देशों के राजदूत सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया का करेंगे दौरा, कोरोना की वैक्सीन का लेंगे जायजा
पीएम मोदी की विजिट के बाद 100 देशों के राजदूत भी सीरम इंस्टीट्यूट का दौरा करेंगे। 100 देशों के राजदूत चार दिसंबर को यहां पहुंचेगे और सीरम इंस्टीट्यूट के साथ ही जिनोवा बायोफार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (Gennova Biopharmaceuticals Limited) का भी दौरा करेंगे।
पुणे, एएनआइ। पूरी दुनिया कोरोना महामारी के बीच इसकी वैक्सीन का इंतजार कर रही है। अमेरिका व अन्य देशों की कई कंपनियों ने वैक्सीन में सफल होने का दावा किया है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही कोरोना वैक्सीन के वितरण और उत्पादन की तैयारियों का जायजा लेने वाले हैं। पीएम मोदी 28 नवंबर को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) जाएंगे। पीएम मोदी की विजिट के बाद 100 देशों के राजदूत भी सीरम इंस्टीट्यूट का दौरा करेंगे। 100 देशों के राजदूत चार दिसंबर को यहां पहुंचेगे और सीरम इंस्टीट्यूट के साथ ही जिनेवा बायोफार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड (Gennova Biopharmaceuticals Limited) का भी दौरा करेंगे।
पुणे के डिविजनल कमिश्नर सौरभ राव ने बताया कि पहले की योजना के अनुसार इन राजदूतों को 27 नवंबर को पुणे का दौरा करना था। जो कि अब उनका दौरा 4 दिसंबर को निर्धारित किया गया है। सौ देशों के राजदूत सीरम इंस्टीट्यूट में कोविड 19 वैक्सीन और वितरण योजना का उत्पादन देखेंगे। इसी तरह के कार्यक्रम की योजना जेनोवा बायो फार्मास्युटिकल्स में भी बनाई गई है जो कि वह भी कोरोना की वैक्सीन तैयार कर रहा है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से सीरम इंस्टीट्यूट ने किया है करार
दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने ब्रिटिश-स्वीडिश फार्मा कंपनी AstraZeneca के साथ मिलकर जेनर इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा विकसित वैक्सीन के निर्माण के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका दोनों ने सोमवार को कहा कि उनके कोरोना वायरस वैक्सीन के अंतिम चरणों के परीक्षणों में 90 फीसद प्रभावी है। इस साल के अंत तक भारत में टीके लगाए जाने की उम्मीद है।
बता दें कि कोवीशील्ड वैक्सीन (Covishield Vaccine) के अंतिम चरण के ट्रायल के लिए सीरम ने भारत में 1,600 प्रतिभागियों को नामांकित किया है। जबकि पुणे की फर्म वैश्विक स्तर पर वैक्सीन शॉट्स वितरित करने की योजना बना रही है, लेकिन भारत के लिए इसका उत्पादन आधे से अधिक करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस महीने की शुरुआत में विदेश मंत्रालय ने मिशनों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों के साथ एक सत्र आयोजित किया था, जिसमें उन्हें भारत की कोरोना महामारी से निपटने, वैक्सीन वितरण के लिए सॉफ्टवेयर विकास और महामारी और अनुसंधान पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के बारे में जानकारी दी गई थी।