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149 साल बाद एक साथ गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण, जानें इसका महत्व और पूजन विधि

गुरु पूर्णिमा का हमारे देश में काफी महत्व है। हमारी भारतीय संस्कृति में माता पिता के बाद गुरु और उनके बाद भगवान को स्थान दिया गया है। जानते है आखिर क्यों मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 11:30 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 11:30 AM (IST)
149 साल बाद एक साथ गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण, जानें इसका महत्व और पूजन विधि
149 साल बाद एक साथ गुरु पूर्णिमा और चंद्र ग्रहण, जानें इसका महत्व और पूजन विधि

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।

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नई दिल्ली,जेएनएन। Guru purnima 2019 संत कबीर के इस दोहे से साफ है कि हमारे जीवन में गुरु का क्या महत्व है। इस दोहे का अर्थ है कि गुरु और भगवान एक साथ खड़े है, किसको पहले प्रणाम किया जाए। सबसे पहले गुरु को प्रणाम किया जाए क्योंकि उनकी ही वजह से भगवान के दर्शन करना का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। हमारे देश में गुरुओं का बहुत सम्मान किया जाता है। हमारी भारतीय संस्कृति में माता पिता के बाद गुरु और उनके बाद भगवान को स्थान दिया गया है। एक गुरु कभी अपने शिष्य को गलत रास्ते पर नहीं जाने देता है। वह उसे सही मार्ग दिखाकर नई ऊचाईयों को छूने में मदद करता है। पौराणिक काल में भी आपने कई ऐसी कहानियां सुनी होंगी। जिससे पता चलता है कि किसी व्यक्ति को महान बनाने में गुरु का कितना बड़ा योगदान रहा है। 

जाने गुरु पूर्णिमा का महत्व 
रामायण से लेकर महाभारत तक हम सभी जानते है कि गुरु का स्थान महत्वपूर्ण और सर्वोच्च रहा है। गुरु पूर्णिमा का काफी महत्व रहा है। गुरु पूर्णिमा महर्षि वेद व्यास जी के जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है। वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे। शास्त्रों में बताया गया है कि  महऋषि वेदव्यास तीनों काल के ज्ञाता है। 

ऋर्षि वेद व्यास जी के नाम की पीछे भी एक कहानी है। कहा जाता है कि वेद व्यास जी ने वेदों को अलग-अलग खण्डों में बांटकर उनका नाम ऋगवेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद रख दिया था। जब उन्होंने वेदों का विभाजन कर दिया उसके बाद से ही वह महर्षि वेद व्यास के नाम से मशहूर हो गए। उन्होंने ही महाभारत की रचना की थी।

गुरु पूर्णिमा के साथ चंद्र ग्रहण 
आज रात साल 2019 का दूसरा चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse 2019) लगेगा। गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रग्रहण का संयोग 149 साल बाद बन रहा है। कहा जा रहा है कि यह चंद्रग्रहण दुर्लभ और ऐतिहासिक है। इससे पहले 12 जुलाई 1870 को यह संयोग बना था, जब गुरु पूर्णिमा व चंद्रग्रहण एक साथ पड़े थे। चंद्रग्रहण भारतीय समयानुसार रात्रि 1:31 बजे से शुरू होकर तड़के 4:30 बजे तक प्रभावी रहेगा। इसे पूरे भारत में देखा जा सकेगा।

इस तरह मनाए गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं का पूजन किया जाता है। इस दिन लोग अपने गुरुओं को उपहार देते हैं उनका आशीर्वाद लेते हैं। जिनके गुरु इस दुनिया में नहीं रहे वह गुरुओं की चरण पादुका का पूजन करते है। कहा जाता है कि इस दिन गुरूओं का आशीर्वाद लेने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।

देश के उपराष्ट्रपति ने भी बधाई 
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने गुरु पुर्णिमा की बधाई देते हुए ट्वीट किया। उन्होंने लिखा गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्रद्धेय गुरुजनों के प्रति सादर कृतज्ञता व्यक्त करता हूं। गुरु का आशीर्वाद ही हमें आजीवन अपने संस्कारों के प्रति निष्ठावान रखता है। गुरु ही समाज में जागृति प्रेरित करता है, वही भावी समाज के मूल्यों का संरक्षक है। गुरुवृंद को मेरा विनम्र नमन|


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