Move to Jagran APP

देखो कहीं गिर न पड़े..., यह लटकता पहाड़ पर्यटकों को करता है आकर्षित

हमारे देश में ऐसे अनेकों अनोखे नजारे हैं, जिन्हें देखकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है। इसे देखने वाले कभी नहीं भूल पाते और प्रकृति की कारीगरी की तारीफ किए बिना भी नहीं रहते।

By Digpal SinghEdited By: Published: Sat, 17 Feb 2018 04:10 PM (IST)Updated: Sat, 17 Feb 2018 05:03 PM (IST)
देखो कहीं गिर न पड़े..., यह लटकता पहाड़ पर्यटकों को करता है आकर्षित
देखो कहीं गिर न पड़े..., यह लटकता पहाड़ पर्यटकों को करता है आकर्षित

गुमला, [रमेश कुमार पांडेय]। प्रकृति के कई अनोखे रूप हैं। कहीं तपते रेगिस्तान में पानी का इकलौता स्रोत तो कहीं अथाह समुद्र के बीच भी आग उगलता ज्वालामुखी। प्रकृति के नजारे हम सभी को अचंभित करते रहते हैं। हमारे देश में भी ऐसे अनेकों अनोखे नजारे हैं, जिन्हें देखकर कोई भी हैरत में पड़ सकता है। ऐसी ही एक जगह झारखंड में है, जिसे देखने वाले कभी नहीं भूल पाते और प्रकृति की कारीगरी की तारीफ किए बिना भी नहीं रहते।

loksabha election banner

लटकता पहाड़ है कौतूहल का विषय

जंगलों व पहाड़ों से घिरे झारखंड में जगह-जगह प्रकृति के अनोखे नजारे भी देखने को मिलते हैं। गुमला जिले के पालकोट में स्थित गोबरसिल्ली पहाड़, घोड़लता पहाड़ की गुफा में स्थित हनुमान मंदिर में टपकती पानी की बूंदे और जमीन के भीतर से निकलता पानी इन्हीं नजारों में शामिल है। यहां का लटकता पहाड़ व बिना स्रोत का टपकता पानी लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है। प्रकृति की ये सुंदर रचनाएं पालकोट को सरकारी फाइलों में भले ही पर्यटन स्थल के रूप में जगह न दिला सकीं हों, लेकिन जनमानस में सदियों से खूबसूरत दर्शनीय स्थल के रूप में यह स्थापित है।

आश्चर्य से कम नहीं पत्थरों का चुंबकीय जुड़ाव

पालकोट से अलंकेरा की ओर जाने वाले मार्ग में विशाल शिलाखंड के बगल में एक पहाड़ है जिसे स्थानीय लोग गोबरसिल्ली पहाड़ के नाम से जानते हैं। इस पहाड़ पर एक के ऊपर एक टिकी हुई तीन-चार चट्टानें ध्यान खींचती हैं। तीन-चार खंड की ये चट्टानें एक-दूसरे के ऊपर इस तरह रखी हैं मानो किसी ने उन्हें सजा-संभालकर और संतुलन बनाकर रखा हो। ऊपर की चट्टानें देखें तो ऐसा लगेगा जैसे इन्हें बीच में किसी चिपकाने वाली चीज से चिपका दिया गया हो या किसी चुंबकीय आकर्षण से ये शिलाखंड आपस में जुड़े हैं। इसे देखकर ऐसा लगता है कि ये चट्टान कभी भी जमीन की ओर लुढ़क पड़ेगी, लेकिन सदियों से से ये अपनी जगह पर स्थिर रहकर ऐसा ही रोमांच पैदा कर रही हैं।

शिलाखंडों के बीच में कुछ रिक्त स्थान भी दिखाई पड़ते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार युग युगांतर से यह शिलाखंड इसी रूप में यथावत हैं। इस पहाड़ के नामकरण को लेकर कई किंवदंतियां और कहानियां भी ग्रामीणों के बीच प्रचलित हैं, जो उन्हें इस आकर्षण और रहस्य से जोड़े रखती है।

घोड़लता पहाड़ में टपकते पानी का रहस्य भी है अनसुलझा

इसी तरह घोड़लता पहाड़ का अवलोकन करने से वहां के दृश्य आश्चर्य और विस्मय पैदा करते हैं। पालकोट में घोड़लता पहाड़ के भीतर एक गुफा बनी हुई है। गुफा में हनुमान की प्रतिमा रखी हुई है, जिसकी पूजा श्रद्धा और भक्ति से की जाती है। इस पहाड़ की विशेषता यह है कि गुफा में ऊपर से पानी की बूंद अनवरत टपकती रहती है, जबकि गुफा में पानी का कोई स्रोत दिखाई नहीं पड़ता। इसलिए जलस्रोत की खोज भी अनुसंधान का विषय बना हुआ है। इतिहास और पुरातत्व विभाग के लोग लगातार इसपर शोध भी करते रहे हैं।

वैज्ञानिकों की नजर अभी इस ओर नहीं पड़ी है। घोड़लता पहाड़ के बगल में ही एक झरना है जिससे अनवरत पानी निकलता रहता है, जिससे पालकोट के लोगों की प्यास बुझती है। झरने का पानी स्वास्थ्य की दृष्टि के अनुकूल माना जाता है। गर्मी के दिनों में भी यह झरना कभी सूखता नहीं है। भूगर्भीय वैज्ञानिकों के अनुसार वैसे तो पालकोट ड्राइ जोन में शामिल है। लेकिन इसी स्थल पर झरने के पानी का स्रोत कहां है यह पता लगना अभी बाकी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.