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जीएसटी: एमआरपी में सभी टैक्स शामिल, अलग से नहीं वसूल सकते

थोक दुकानदार से रिटेलर को सामान बेचने पर ही सरकार को टैक्स मिल जाता है। लेकिन कंपोजिशन या छूट हासिल करने वाले डीलर को इसकी जरूरत नहीं है।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 05 Jul 2017 08:59 AM (IST)Updated: Wed, 05 Jul 2017 11:31 AM (IST)
जीएसटी: एमआरपी में सभी टैक्स शामिल, अलग से नहीं वसूल सकते
जीएसटी: एमआरपी में सभी टैक्स शामिल, अलग से नहीं वसूल सकते

नई दिल्ली, एजेंसी। जीएसटी में अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में सभी टैक्स शामिल हैं। अलग से कोई टैक्स नहीं देना होगा। उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश श्रीवास्तव ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि जीएसटी लागू होने के बाद खुदरा कीमत में संशोधन हो सकता है। एमआरपी से कीमत अधिक है तो निर्माता को 2 अखबारों में विज्ञापन देना होगा और पैकेट पर संशोधित कीमत लिखना होगी। कीमत एमआरपी से कम होने पर विज्ञापन नहीं देना होगा, पर संशोधित कीमत अलग से लिखनी होगी। 30 सितंबर तक नई कीमतों के स्टिकर केंद्र की ओर से जारी अधिसूचना में पैकेज्ड कमोडिटी रूल्स में ढील दी गई है।

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इसके मुताबिक, व्यापारियों और कंपनियों को 30 सितंबर तक स्टिकर लगाकर दामों में बदलाव करने की छूट मिल गई है। स्टिकर इस तरह लगाना होगा कि नई-पुरानी कीमत दोनों दिखे। 30 सितंबर के बाद पहले से पैक कमोडिटी पर जीएसटी रेट प्रिंट करना होगा। कीमत घटने पर भी स्टिकर लगाया जा सकता है। मालूम हो, कारोबारियों और फर्मो ने केंद्र से अनुरोध किया था कि उनके पास अनबिके माल का भारी स्टॉक जमा है, जिन पर जीएसटी लागू होने से पहले की कीमतें दर्ज हैं। दरअसल, नई कर प्रणाली के लागू होने के बाद कई सामानों पर टैक्स दरें बदल गई हैं। इसकी वजह से इनकी कीमत बढ़ानी या घटानी पड़ेगी।

थोक दुकानदार से रिटेलर को बेचने पर मिल जाएगा टैक्स
राजस्व सचिव हसमुख अढि़या के मुताबिक, लोग पूछ रहे हैं कि 20 लाख से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों से जीएसटी नहीं वसूला जाएगा, तो सरकार को कमाई कैसे होगी। उनके मुताबिक, थोक दुकानदार से रिटेलर को सामान बेचने पर ही सरकार को टैक्स मिल जाता है। लेकिन कंपोजिशन या छूट हासिल करने वाले डीलर को इसकी जरूरत नहीं है। वहीं छोटे कारोबारियों को बिक्री का टैक्स बिल देने की जरूरत नहीं है। 75 लाख रुपए से कम का सालाना कारोबार करने वाले कंपोजीशन स्कीम के व्यापारियों को न तो टैक्स का बिल जारी करने की जरूरत है और न ही हिसाब-किताब रखने की। इससे अधिक कारोबार वाले व्यापारियों को ही टैक्स बिल जारी करने की जरूरत होगी।

टोल टैक्स और एंट्री टैक्स जीएसटी के दायरे में नहीं
अढि़या ने स्पष्ट किया कि टोल टैक्स, मंडी शुल्क और एंट्री टैक्स जीएसटी के दायरे में नहीं है। इसी तरह एक राज्य से दूसरे राज्य में वाहनों पर लगने वाला परमिट शुल्क भी खत्म नहीं होगा। जीएसटी की निगरानी के लिए 15 विभागों के सचिवों की कमेटी बनाई गई है। इसमें 175 अधिकारी होंगे। एक अधिकारी के पास 4 से 5 जिलों की जिम्मेदारी होगी।

दूरदर्शन पर 6 दिन जीएसटी की क्लास
जीएसटी से जुड़े सवालों के आसानी से जवाब देने के लिए दूरदर्शन के राष्ट्रीय चैनल पर 6 दिन जीएसटी क्लास चलेगी। यह 3 दिन हिंदी और 3 दिन अंग्रेजी में होगी। शुरुआत गुरुवार 6 जुलाई से होगी। हिंदी की क्लास गुरुवार-शुक्रवार को शाम 4.30 से 5.30 बजे तक और शनिवार को दोपहर 12 से 1 बजे तक चलेगी। अंग्रेजी में यह सोमवार, मंगलवार और बुधवार को होगी।

दिव्यांगों से जुड़े सामानों के टैक्स पर सफाई
राजस्व सचिव के मुताबिक, विकलांगों के सामान पर 5 फीसदी टैक्स उनके फायदे के लिए ही है। उनके मुताबिक, इन्हें बनाने में प्लास्टिक और शीशे का इस्तेमाल होता है जिन पर 18 फीसदी टैक्स है। इन पर सिर्फ 5 फीसदी ही टैक्स है।

सरकार ने लगा रखा है दो लाख से ज्यादा कैश लेनदेन पर प्रतिबंध
क्रेडिट कार्ड के बिल का पेमेंट करने पर दो लाख रुपए के नकदी लेनदेन की सीमा लागू नहीं होगी। बैंक करेस्पांडेंट और प्रीपेड इंस्ट्रूमेंट जारी करने वाले भी बाहर होंगे। कालेधन पर अंकुश लगाने और डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की खातिर सरकार ने यह कदम उठाया था। वित्त अधिनियम 2017 के तहत एक अप्रैल से दो लाख रुपए या उससे अधिक के कैश ट्रांजैक्शन पर पाबंदी लागू की गई है। करेंसी नोटों के जरिये इस सीमा से बाहर लेनदेन करने पर अतिरिक्त राशि के बराबर जुर्माना लगेगा। हालांकि कुछ मामलों में छूट दी गई है।

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