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जम्मू-पठानकोट हाईवे पर आतंकियों की मौजूदगी का अलर्ट, सुरक्षा बलों ने लगाए विशेष नाके

जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना के बाद सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट जारी किया गया है। जानें क्‍या है मौजूदा हालात...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 23 Feb 2020 08:57 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 09:03 PM (IST)
जम्मू-पठानकोट हाईवे पर आतंकियों की मौजूदगी का अलर्ट, सुरक्षा बलों ने लगाए विशेष नाके
जम्मू-पठानकोट हाईवे पर आतंकियों की मौजूदगी का अलर्ट, सुरक्षा बलों ने लगाए विशेष नाके

जम्मू, जेएनएन। जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर आतंकियों की मौजूदगी की खुफिया सूचना के बाद सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है। सुरक्षाबलों के कई शिविर होने के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग पर जगह-जगह नाके लगा दिए गए हैं। वाहनों विशेषकर ट्रकों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, जम्मू सांबा कठुआ रेंज के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस विवेक गुप्‍ता ने बताया कि आतंकियों की मौजूदगी की कोई सटीक जानकारी नहीं है। फ‍िर भी किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा बल पूरी तरह से तैयार है।

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कड़ी चौकसी

राजमार्ग की सुरक्षा का जिम्मा जम्मू-कश्मीर पुलिस के केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल औैर सेना के जवानों के पास है। सांबा के मानसर और जम्मू के पुरमंडल में सैन्य छावनी के साथ जवानों के रिहायशी क्वार्टर बने हुए हैं, जहां पर पहले भी आतंकी हमला कर चुके हैं। इनसे सबक लेते हुए जवानों के सभी शिविरों में निगरानी कक्ष बढ़ा दिए गए हैं। बिना पहचान पत्र की जांच किए किसी को भी शिविर के भीतर प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है।

बरसाती नालों से होती है घुसपैठ

दरअसल, जम्मू-पठानकोट राजमार्ग पाकिस्तान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा के बहुत नजदीक है। सीमा पर कई ऐसे बरसाती नाले हैं, जिन पर तारबंदी मुमकिन नहीं हो पाती है। इसका लाभ उठाकर आतंकी रात में घुसपैठ कर भारतीय सीमा में घुस आते हैं और तड़के आतंकी हमले को अंजाम देते हैं।

नगरोटा और झज्जर कोटली में विशेष नाके स्थापित

बीते 31 जनवरी को नगरोटा के बन टोल प्लाजा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ के बाद से ही जम्मू के नगरोटा और झज्जर कोटली में पुलिस ने नाकों को मजबूत कर दिया है। हाईवे के नजदीक संदिग्ध आतंकियों की मौजूदगी की सूचना के बाद जवानों ने वहां औचक नाके लगाए और वाहनों की जांच की। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी स्वयं नाकों पर मौजूद रहे।

अलग-थलग पड़े आतंकी

सेना की मानें तो घाटी में आतंकी अलग-थलग पड़ गए हैं। ऑपरेशन मां के कारण आतंकी गुटों में स्थानीय युवकों की भर्ती में भी कमी आई है। स्‍थानीय लोग भी उनका साथ नहीं दे रहे हैं। आतंकियों के अधिकांश कमांडर मारे जा चुके हैं। इससे भी नए लड़कों की आतंकी भर्ती में कमी आई है। वर्ष 2019 में आतंकी बनने वाले लड़कों की संख्या वर्ष 2018 से लगभग आधी रही है। अब आलम यह है कि आतंकियों के जनाजों पर भीड़ भी नजर नहीं आती। यही वजह है कि आतंकी बौखलाए हुए हैं और किसी न किसी तरह अपनी मौजूदगी दिखाना चाह रहे हैं।


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