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सीबीआइ घूसकांड: बस्‍सी बोले- मेरे पास राकेश अस्थाना के खिलाफ ठोस सबूत

बस्सी ने यह भी दावा किया है कि सीबीआइ के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत केस में उनके पास ठोस सबूत हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 12:35 PM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 01:05 PM (IST)
सीबीआइ घूसकांड: बस्‍सी बोले- मेरे पास राकेश अस्थाना के खिलाफ ठोस सबूत
सीबीआइ घूसकांड: बस्‍सी बोले- मेरे पास राकेश अस्थाना के खिलाफ ठोस सबूत

नई दिल्‍ली, एएनआइ। केंद्रीय जांच ब्‍यूरो(सीबीआइ) के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना केस की जांच कर रहे सीबीआइ अधिकारी एके बस्सी ने अपने ट्रांसफर ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बस्‍सी की अपील पर इस मामले में तत्काल सुनवाई से इन्‍कार कर दिया है।

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बस्सी ने यह भी दावा किया है कि सीबीआइ के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत केस में उनके पास ठोस सबूत हैं। इसीलिए बस्सी ने अस्थाना के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एसआइटी के गठन की भी मांग की है। बता दें कि कांग्रेस पार्टी भी इस मामले की जांच के लिए एसआइटी की मांग करती रही है। हालांकि भाजपा का कहना है कि इस मामले से उनका सीधे तौर पर कोई लेना-देना नहीं है।

बता दें कि एके बस्सी ही राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच कर रहे थे। लेकिन सीबीआई में मचे बवाल के बाद पूरी टीम को बदल दिया गया था, जिस दौरान उनका भी ट्रांसफर हो गया था। दूसरी तरफ मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट में सतीश साना की याचिका पर सुनवाई हुई। सतीश साना ने सुप्रीम कोर्ट में उनकी सुरक्षा बढ़ाए जाने के लिए याचिका दायर की थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट राजी हो गया है।

घूसकांड में छुट्टी पर भेजे गए राकेश अस्थाना ने अपनी याचिका में अपने खिलाफ एफआईआर रद्द करने की मांग की है। हाल ही में राकेश अस्थाना की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर 1 नवंबर तक रोक लगा दी है। साथ ही कोर्ट ने सीबीआइ को भी जवाब देने के लिए 1 नवंबर तक का समय दिया है।

गौरतलब है कि सीबीआइ डायरेक्टर आलोक वर्मा ने एजेंसी के स्पेशल डायरेक्टर पर भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया है। वहीं, स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना ने आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। आरोप-प्रत्यारोप की दोनों वरिष्ठ अफसरों की कलह सार्वजनिक हो गई और मामला बढ़ता देख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोनों अफसरों को तलब भी किया था लेकिन बताया जाता है कि इस बारे में कोई हल नहीं निकला। जिसके बाद सरकार का कहना है कि स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच कराने के लिए दोनों अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया गया है।


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