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पहले IPS फिर IAS होते हुए छत्‍तीसगढ़ के CM तक, जानें क्‍यों कांग्रेस से बागी हुए थे अजीत जोगी?

Ajit Jogi profile लंबे समय तक कलेक्टर जैसे दबदबे वाले पद पर रहने के बाद त्यागपत्र देकर राजनीति में आने वाले जोगी को तेज तर्रार अफसर के साथ ही तुर्क नेता भी माना गया।

By Vijay KumarEdited By: Published: Fri, 29 May 2020 04:49 PM (IST)Updated: Fri, 29 May 2020 09:43 PM (IST)
पहले IPS फिर IAS होते हुए छत्‍तीसगढ़ के CM तक, जानें क्‍यों कांग्रेस से बागी हुए थे अजीत जोगी?
पहले IPS फिर IAS होते हुए छत्‍तीसगढ़ के CM तक, जानें क्‍यों कांग्रेस से बागी हुए थे अजीत जोगी?

नई दिल्‍ली, जेएनएन। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में गोल्ड मेडलिस्ट होने के बाद वे आईपीएस बने और दो साल बाद आइएएस। लंबे समय तक कलेक्टर जैसे दबदबे वाले पद पर रहने के बाद त्यागपत्र देकर राजनीति में आने वाले जोगी को तेज तर्रार अफसर के साथ ही तुर्क नेता भी माना गया। गंभीर दुर्घटना में पैरों से लाचार होने के बाद भी जोगी जीीवटता के साथ राजनीति के मैदान में डटे रहे। अजीत जोगी के जीवन पर लिखी पुस्तक 'अजीत जोगी: अनकही कहानी" में कई अहम बातों का जिक्र है। इस किताब को अजीत जोगी की पत्‍नी डॉ. रेणु जोगी ने लिखा।नेत्र चिकित्सक से विधायक तक का सफर तय करने वाली रेणु जोगी कहती हैं कि अपने 40 वर्ष के वैवाहिक जीवन के उतार-चढ़ाव आदि के सफर को उन्होंने इस पुस्तक में समाहित करने का प्रयास किया है। अजीत जोगी के प्रशासनिक अनुभव (कलेक्टर के रूप में) व राजनीतिक क्षमता का भी जिक्र है। पुस्तक में झीरम घाटी नरसंहार, जग्गी हत्याकांड, जर्सी गाय प्रकरण, जूदेव प्रकरण, जाति प्रकरण व जकांछ स्थापना आदि का जिक्र है।

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अजीत जोगी के बागी होने के पीछे किसका हाथ

एक विवाद की वजह से 2016 में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अजीत जोगी को कांग्रेस से अलग हो जाना पड़ा। अजीत जोगी ने बगावती तेवर पहले से तय किसी प्लान के तहत नहीं, बल्कि पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी की झिड़की से आहत होने के बाद अपनाए।

राहुल ने उन्हें उस समय झिड़की लगाई, जब वह राज्यसभा का टिकट मांगने 25 मई 2016 को उनके पास दिल्ली पहुंचे थे। राहुल ने उन्हें तवज्जो नहीं देते हुए बेरुखी दिखाई। जोगी ने 27 मई को राहुल से फोन पर बात की थी। उसमें भी राहुल ने उन्हें दो टूक कह दिया था कि राज्यसभा का टिकट नहीं मिलेगा। राहुल के करीबी नेताओं की मानें तो जोगी ने नाटकीय अंदाज में पार्टी उपाध्यक्ष पर दबाव बनाने की कोशिश की थी।

यूं हुई राहुल-जोगी में फोन पर बातचीत

राहुल : नहीं मिलेगा राज्यसभा का टिकट।

जोगी : ऐसे में पार्टी में काम कर पाना मुश्किल होगा..।

राहुल : आप तय कर लो..

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मैंने कच्ची गोली नहीं खेली

मैंने भी कच्ची गोली नहीं खेली है, मेरी गोली पक गई है। 20 साल प्रशासनिक सेवा में रहा, उसके बाद 30-35 साल से राजनीति में हूं। मैं बहुमत ला सकता हूं।

-अजीत जोगी, पूर्व मुख्यमंत्री (कांग्रेस छोड़ते समय दिया गया बयान)

कांग्रेस को फायदा होगा

जोगी के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को ही फायदा होगा। अगर वह नई पार्टी बनाते हैं तो वह रमन की बी टीम होगी। अंतागढ़ टेपकांड के बाद वह और उनके पुत्र अमित जोगी बेनकाब हो गए। उन्होंने पार्टी के प्रत्याशी को ही रमन के हाथों बेच दिया था। भूपेश बघेल (जोगी के कांग्रेस छोड़ने पर तत्‍कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का बयान)

जोगी का चर्चित बयान, 'हां, मैं सपनों का सौदागर हूं...

जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने मध्य प्रदेश से अलग करके छत्तीसगढ़ को राज्य का दर्जा दिया तो अजीत जोगी वहां के पहले मुख्यमंत्री बने। उस समय का उनका एक बयान बहुत चर्चित हुआ कि 'हां, मैं सपनों का सौदागर हूं और मैं सपने बेचता हूं।'

अजीत जोगी बोले- BJP का साथ देने से अच्छा है सूली पर चढ़ जाना

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष अजीत जोगी ने नवंबर 2018 में कहा था कि जरूरत पड़ने पर वह भाजपा से समर्थन लेने या देने के बारे में सोच सकते हैं, लेकिन मायावती ने कहा कि विपक्ष में बैठना मंजूर पर भाजपा का साथ देना नहीं। उसके बाद पार्टी मुख्यालय पर आठ धर्मग्रंथों की शपथ खाकर जोगी ने कहा कि सूली पर चढ़ना पसंद करुंगा पर भाजपा को समर्थन देना नहीं। माना गया कि मायावती का रुख देख जोगी ने यू-टर्न लिया है।


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