डोभाल की यात्रा से पहले चीन का बढ़ा दबाव
ब्रिक्स बैठक की तैयारियों के सिलसिले में गुरुवार को बीजिंग जाएंगे डोभाल....
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चीन के तल्ख तेवर जस के तस बने हुए हैं। भारत की तरफ से डोकलाम विवाद का निपटारा कूटनीतिक स्तर से करने के संकेतों को दरकिनार करते हुए चीन अभी भी आक्रामक अंदाज अपनाये हुए है। मंगलवार को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भी दबाव बनाने की रणनीति को आगे बढ़ाते हुए भारत को पहले विवादित क्षेत्र से फौज वापस बुलाने की मांग की। इससे बुधवार को बीजिंग जा रहे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल की यात्रा से कोई खास नतीजा निकलने के आसार कम हैं। डोभाल ब्रिक्स देशों की शिखर बैठक की तैयारियों के सिलसिले में बीजिंग जा रहे हैं।
चीन के इस तल्ख तेवर के बावजूद भारत बेहद गंभीर प्रतिक्रिया दिखा रहा है और उम्मीद कर रहा है कि मामले को कूटनीतिक विमर्श से सुलझाया जा सकता है। बीजिंग स्थित भारतीय दूतावास लगातार वहां के विदेश मंत्रालय के साथ संपर्क में है। अगर डोभाल की इस हफ्ते की यात्रा से बर्फ को पिघलाने में मदद नहीं मिलती है तो उसके बाद विदेश सचिव एस जयशंकर और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी बीजिंग की यात्रा जल्द ही करनी है। यह यात्रा ब्रिक्स देशों की बैठक के संदर्भ में ही संभवत: अगस्त, 2017 में होगी। हर शीर्ष बैठक से पहले सभी देशों के विदेश मंत्री औपचारिक निरीक्षण करने आयोजन स्थल पर जाते हैं। पिछले वर्ष गोवा बैठक से पहले वांग यी नई दिल्ली व गोवा गये थे।
कूटनीतिक जानकारों का कहना है कि ब्रिक्स शिखर बैठक संभवत: 5-7 सितंबर, 2017 को होगी। ऐसे में भारत व चीन नहीं चाहेंगे कि इस शिखर बैठक तक मौजूदा सीमा विवाद खींचता रहे। यह भी एक वजह हो सकता है कि चीन ज्यादा तल्ख तेवर अपनाये हुए है। यह एक वजह है कि चीन ने इस बात के साफ संकेत नहीं दिए हैं कि डोभाल की इस हफ्ते की यात्रा के दौरान द्विपक्षीय मुद्दों पर बात होगी या नहीं। साथ ही चीन के विदेश मंत्री ने पहली बार पूरे मामले पर बोलते हुए कहा है कि, इस मामले का बहुत ही आसान समाधान है। भारत अपनी फौज को चीन के क्षेत्र से वापस बुलाये। उन्होंने यह भी कहा है कि ''भारत के अधिकारी भी यह बात कह रहे हैं की घुसपैठ भारतीय सेना की तरफ से की गई है। किसी ने यह नहीं है कि चीन के सैनिकों ने भारत के क्षेत्र में प्रवेश किया है।'' ऐसे में भारत को संयम दिखाने के साथ ही चीन के चालाकी भरे कूटनीतिक दांव पेंच का भी सामना करना पड़ेगा।
सनद रहे कि भूटान सीमा के डोकलाम क्षेत्र में जून, 2017 के दूसरे हफ्ते से भारत व चीन के बीच विवाद बना हुआ है। इस क्षेत्र में दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे से महज कुछ सौ मीटर की दूरी पर डटी हुई हैं। भारत ने कहा है कि चीन की तरफ से विवादित क्षेत्र में सड़क बनाने की कोशिश हो रही है जिससे उसकी सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा हो जाएंगी। दूसरी तरफ से चीन की सरकारी मीडिया व वहां की सरकार भारत को लगातार धमकी दे रही है।
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