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BS Dhanoa Retired: कारगिल युद्ध में खोजी हमले की नई तकनीक, Balakot में हुआ यूज

एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ व राकेश भदौरिया दोनों को आज ही रिटायर होना था। राकेश भदौरिया को वायु सेना प्रमुख बनाने के लिए सेवा विस्तार दिया गया है।

By Amit SinghEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 05:23 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 05:42 PM (IST)
BS Dhanoa Retired: कारगिल युद्ध में खोजी हमले की नई तकनीक, Balakot में हुआ यूज
BS Dhanoa Retired: कारगिल युद्ध में खोजी हमले की नई तकनीक, Balakot में हुआ यूज

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। वायु सेना प्रमुख (Air Chief Marshal) बीरेंद्र सिंह धनोआ उर्फ बीएस धनोआ (BS DHANOA) आज सेवानिवृत्त हो गए हैं। उनकी जगह नए वायु सेना प्रमुख राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने सोमवार को पदभार ग्रहण कर लिया है। बीएस धनोआ वायुसेना के 25वें एयर चीफ मार्शल थे। यूं तो उनका कार्यकाल उपलब्धियों से भरा हुआ है लेकिन वायुसेना में उन्हें हमेशा एक ऐसी युद्ध कला के जनक के तौर पर जाना जाएगा, जिसने पाकिस्तान को दो बार करारी मात दी। पहला कारगिल युद्ध में और दूसरा बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक। दोनों समय एयरफोर्ट ने एक खास युद्ध कला का इस्तेमाल किया, जिसका प्रयोग पहले कभी नहीं हुआ था। इस खास तकनीक ने भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) को विश्वि की सबसे ताकतवर सेनाओं में शामिल कर दिया।

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द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़ा है इतिहास

वायुसेना अध्यक्ष रहे बीएस धनोआ का जन्म झारखंड (पहले बिहार) के देवघर में हुआ था। हालांकि, उनका पुश्तैनी गांव घारूअन है, जो पंजाब में स्थित है। बीएस धनोआ के पिता सारायण सिंह एक आईएएस अधिकारी थे। 1980 के दशक में वह पंजाब और बिहार सरकार के मुख्य सचिव रहे थे। सेवानिवृत्ति के बाद वह पंजाब में गवर्नर के सलाहकार भी बने। धनोआ का इतिहास द्वितीय विश्व युद्ध (World War II) से भी जुड़ा हुआ है। उनके दादा कैप्टन संत सिंह, ब्रिटिश भारतीय सेना में कप्तान थे और उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ाई लड़ी थी। बीएस धनोआ भारतीय राष्ट्रीय सैन्य विद्यालय, देहरादून के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से स्नातक किया। वर्ष 1992 में उन्होंने वेलिंगटन में रक्षा सेवाओं के स्टाफ कॉलेज में एक स्टाफ कोर्स भी किया है। उनकी पत्नी का नाम कमलप्रीत है। उनका एक बेटा है जिसका नाम जासमान है। बेटे ने कानून की डिग्री ली है।

फाइटर पायलट ही नहीं, प्रशिक्षक भी हैं धनोआ

भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान उड़ाने वाले दल में जून 1978 में नियुक्त होने वाले बीएस धनोआ को कई तरह के फाइटर प्लेन उड़ाने में महारत हासिल है। वह भारतीय वायु सेना के कुशल फाइटर पायल ही नहीं, बल्कि बेहतरीन प्रशिक्षक भी हैं। वायु सेना प्रमुख अपने सेवाकाल में HJT-16 किरण, मिग-21, एसईपीईसीएटी जगुआर, मिग-29 और सुखोई-30 एमकेआई सहित कई तरह के लड़ाकू विमान उड़ाने में माहिर हैं। कुछ दिनों पहले ही उन्होंने विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान के साथ मिग-21 बायसन उड़ाया था। उनका ये वीडियो सोशल मीडिया पर काफी पसंद किया गया था।

अंतिम COSC हैं धनोआ

वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ, वर्तमान में चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (Chiefs of staff committee) और चीफ ऑफ द एयर स्टाफ (Chief of the air staff) के चेयरमैन पद पर भी थे। चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (COSC) का पद संभालने वाले वह अंतिम सेना प्रमुख हैं। उन्होंने ये पद एक जून 2019 को संभाला था। दरअसल भारत सरकार ने अब इस पद को खत्म कर इसकी जगह चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) की व्यवस्था लागू की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के कार्यक्रम के दौरान इसकी घोषणा की थी। CDS तीनों सेनाओं का प्रमुख होगा, जो उनमें बेहतर तालमेल और उनकी भविष्य की योजनाओं को कारगर बनाने की दिशा में काम करेगा।

दिसंबर 2016 में बने थे वायु सेना प्रमुख

बीएस धनोआ को उनके बेहतरीन सेवा काल के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। 1999 में राष्ट्रपति ने उन्हें युद्ध सेवा पदक से सम्मानित किया था। वायु सेना में रहते हुए वर्ष 2016 में उन्हें परम विशिष्ट सेवा पदक, 2015 में अति विशिष्ट सेवा पदक और वायु सेना पदक से सम्मानित किया जा चुका है। धनोआ ने 31 दिसंबर 2016 को 25वें वायु सेना प्रमुख का पदभार संभाला था। उन्होंने इस पद का चार्ज तत्कालीन वायु सेना प्रमुख अरुप राहा (Arup Raha) से उनकी सेवानिवृत्ति पर लिया था।

कारगिल युद्ध से बालाकोट का कनेक्शन

वर्ष 1999 में हुए कारगिल युद्ध के दौरान बीएस धनोआ, अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों के दल के कमांडिंग ऑफिसर थे। धनोआ के नेतृत्व में ही कारगिल युद्ध के दौरान वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने पहली बार ऊंचाई वाले इलाकों में रात के वक्त बमबारी करने की नई तकनीक का इस्तेमाल किया था। इससे पहले भारतीय वायु सेना ने कभी भी रात के वक्त दुश्मन पर हमला करने के लिए इस तकनीक का इस्तेमाल नहीं किया था। कारगिल युद्ध में धनोआ के स्क्वाड्रन को मुख्यालय डब्ल्यूएसी के सर्वश्रेष्ठ फाइटर स्क्वाड्रन के तौर पर चुना गया था। इसी साल उन्हें युद्ध सेवा पदक और वायु सेना पदक से नवाजा गया था। कारगिल में प्रयोग की गई रात में बममारी की नई तकनीक का इस्तेमाल, वायु सेना ने बालाकोट एयर स्ट्राइक (Balakot Air Strike) में भी किया था। वायुसेना के फाइटर विमानों ने बालाकोट में जैश के जिस ठिकाने को तबाह किया था वह भी पहाड़ पर मौजूद था।

Air Marshal RKS Bhadauria के वायुसेना चीफ बनाने के पीछे एक नहीं कई हैं वजह

कौन हैं नए वायुसेना अध्यक्ष राकेश भदौरिया

बीएस धनोआ की सेवानिवृत्ति के बाद आज वायु सेना अध्यक्ष की कमाल संभालने वाले राकेश कुमार सिंह भदौरिया (Air Marshal Rakesh Kumar Singh Bhadauria) ऐसे दूसरे वायुसेना प्रमुख हैं, जिन्हें इस पद पर तैनात करने के लिए सरकार ने एक्सटेंशन दिया है। राकेश भदौरिया को भी 30 सितंबर को ही रिटायर होना था, लेकिन सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ा दिया है। उन्हें सेवा विस्तार देकर वायु सेना प्रमुख बनाने के पीछ सबसे बड़ी वजह अगले माह भारत को मिलने वाले अत्याधुनिक राफेल विमान हैं। उन्हें 1 मई 2019 को एयर मार्शल बनाया गया था। राकेश भदौरिया भारतीय वायुसेना के उन गिने-चुने अधिकारियों में शामिल हैं, जो राफेल विमान उड़ाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। राफेल उड़ाने का प्रशिक्षण उन्होंने फ्रांस में लिया था।

नए वायु सेना प्रमुख राकेश भदौरिया के बारे में विस्तार से जानने के लिए यहां क्लिक करें।


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