धोखाधड़ी व घूस देने में एयर एशिया पर शिकंजा कसा
सीईओ टोनी फर्नाडिस पर विमानन मंत्रालय के अफसरों को रिश्वत देने का आरोप --करो़़डों की रिश्वत देने के बाद कंपनी को अंतरराष्ट्रीय उ़़डान भरने की नहीं मिल सकी इजाजत
नई दिल्ली (ब्यूरो)। पिछली संप्रग सरकार के कार्यकाल में विमानन तथा विदेशी निवेश के नियमों को मन मुताबिक बदलवाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एफआईपीबी के अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप में एयर एशिया पर शिकंजा कस गया है। सीबीआई ने एयर एशिया के सीईओ टोनी फर्नांडिस समेत तीन अधिकारियों, तीन बिचौलिए और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है।खास बात ये है कि जिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की मंजूरी के लिए करोड़ों रुपए की रिश्वत दी गई, एयर एशिया को उनकी अनुमति अभी तक नहीं मिली है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि हमें एयर एशिया की जांच पर अब तक सीबीआई की कोई रिपोर्ट नहीं मिली है और मंत्रालय कोई अलग से जांच प्रक्रिया आयोजित नहीं करेगी।
पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री प्रफुल पटेल ने कहा कि जब ये मामला हुआ तब मैं मंत्री नहीं था, इसलिए मुझे इस बारे में कोई आइडिया नहीं है। एयर एशिया के सीईओ के द्वारा दावा किया गया है कि तत्कालीन यूपीए मंत्री को 5 अरब डॉलर की रिश्वत दी गई थी इस रिपोर्ट पर पूर्व मंत्री ने ये बयान दिया।
नियम 5/20 से चाही छूट
सीबीआई की एफआईआर के अनुसार निजी एयरलाइंस एयर एशिया को जनवरी 2013 से मई 2014 के बीच भारत के भीतर हवाई सेवा शुरू करने की जरूरी इजाजत मिल गई थी। लेकिन कंपनी को विदेशी रूट पर हवाई सेवा शुरू करने में नियम 5/20 सबसे बड़ी रुकावट था। कंपनी के सीईओ टोनी फर्नांडिस पहले दिन से अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करना चाहते थे। इसके लिए भारतीय साझेदार टाटा संस के मनोनीत निदेशक आर. वेंकटरमन के साथ मिलकर संबंधित मंत्रालय के अधिकारियों को रिश्वत देकर कंपनी के सारे क्लीयरेंस कराने और 5/20 नियम से छूट के लिए अधिकारियों को रिश्वत देकर तैयार करने की साजिश रची। 5/20 नियम के मुताबिक किसी विमानन कंपनी को अंतरराष्ट्रीय रूट पर उड़ान की अनुमति दो शर्ते पूरी करने पर ही दी जा सकती थी। पहली, कंपनी पांच साल से घरेलू रूटों पर उ़़डान भर रही हो और दूसरी, उसके पास कम-से-कम 20 विमान होने चाहिए। एयर एशिया के पास ये दोनों नहीं थे।
दलालों के मार्फत रिश्वत दी
सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टोनी फर्नांडिस, आर. वेंकटरमन और एयर एशिया के डिप्टी सीईओ बो. लिंगम ने पहले एफआईपीबी के अफसरों और फिर उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों को दलालों के मार्फत रिश्वत दी। यही नहीं, कंपनी ने उड्डयन क्षेत्र के लिए विदेशी निवेश के तय मानदंडों का उल्लंघन किया और टाटा संस के साथ संयुक्त उपक्रम के बावजूद मूल कंपनी एयर एशिया मलेशिया ने प्रबंधन अपने हाथ में बनाए रखा। जिसके बाद एफआईपीबी के अधिकारियों को रिश्वत देकर क्लीयरेंस ले लिया गया। इसके साथ ही कंपनी ने एनओसी हासिल करने के लिए भी रिश्वत दी।
किसे, कैसे 'सेट' किया
5/20 नियम से छूट पाने के लिए मुंबई के सुनील कपूर को लगाया और इसके लिए तय सौदे के तहत उसकी कंपनी को एयर एशिया में खाने-पीने का सामान आपूर्ति का काम दे दिया गया।
अफसरों को रिश्वत: सिंगापुर की कंपनी के मार्फत 12.28 करोड़ रुपए भेजे गए। दिल्ली के दीपक तलवार को 17.42 करोड़ रुपए भेजे गए।
कैबिनेट नोट तैयार हो गया: इन दलालों की सेवाओं का असर भी दिखा। कंपनी के घरेलू उड़ान शुरू होने के पहले फरवरी, 2014 में ही 5/20 नियम को हटाने के लिए कैबिनेट नोट तैयार हो गया। लेकिन मार्च में चुनाव की घोषणा होने के कारण इस पर कोई फैसला नहीं हो सका।
नई सरकार बनने के बाद श्रीराम को 50 लाख दिए
केंद्र में नई सरकार आने के बाद भी एयर एशिया और उसके दलालों ने कोशिश नहीं छोड़ी। दिसंबर 2014 में मुंबई के होटल फोर सीजन में सुनील कपूर ने 'श्रीराम' को 50 लाख रुपए का पैकेट दिया। यह पैकेट बो लिंगम ने दिया था, जो उस वक्त मौजूद था। सीबीआई की एफआईआर में यह नहीं बताया गया है कि श्रीराम कौन है।
करोड़ों देने पर भी नहीं मिली छूट
हैरानी की बात यह है कि करोड़ों रुपए की दलाली देने और इतनी मशक्कत करने के बाद भी कंपनी को 5/20 से पूरी छूट नहीं मिली और केवल पांच वर्ष की शर्त हटाई गई। परंतु चूंकि अभी भी एयर एशिया के पास 20 विमान नहीं हुए हैं, इसलिए आज तक वह अंतरराष्ट्रीय रूटों पर उ़़डानें शुरू नहीं कर पाई है। सरकार ने जुलाई 2016 में 5/20 नियम में बदलाव किया था।
छह ठिकानों पर छापे मारे
एफआइआर दर्ज करने के साथ ही सीबीआई ने दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरू में छह जगहों पर छापा मारा। सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने छापे के दौरान घोटाले से जुड़े अहम दस्तावेज बरामद होने का दावा किया है।
एयर एशिया इंडिया ने आरोपों का खंडन किया
एयर एशिया इंडिया के निदेशक शुवा मंडल ने बयान में कहा है कि कंपनी की ओर से कोई गलत कार्य नहीं किया गया है और वह सभी नियामकों तथा जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग कर रही है। बयान में कहा गया है कि कंपनी ने स्वयं नवंबर, 2016 में ही अपने पूर्व सीईओ के विरुद्ध आपराधिक आरोपों की जांच शुरू कर दी थी। साथ ही बेंगलुरू में इस तरह की अनियमितताओं के खिलाफ दीवानी कार्रवाई भी प्रारंभ कर दी गई थी। हमें उम्मीद है कि इन सभी मसलों का शीघ्र समाधान होगा।