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धोखाधड़ी व घूस देने के आरोप में विमानन कंपनी एयर एशिया पर कसा शिकंजा

सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार एयर एशिया को जनवरी 2013 से मई 2014 के बीच भारत के भीतर हवाई सेवा शुरू करने की जरूरी इजाजत मिल गई थी।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 29 May 2018 09:13 PM (IST)Updated: Tue, 29 May 2018 09:13 PM (IST)
धोखाधड़ी व घूस देने के आरोप में विमानन कंपनी एयर एशिया पर कसा शिकंजा
धोखाधड़ी व घूस देने के आरोप में विमानन कंपनी एयर एशिया पर कसा शिकंजा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विमानन तथा विदेशी निवेश के नियमों को मनमुताबिक बदलवाने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्रालय और एफआइपीबी के अधिकारियों को रिश्वत देने के आरोप में एयर एशिया पर शिकंजा कस गया है। सीबीआइ ने एयर एशिया के सीईओ टोनी फर्नांडिस समेत तीन अधिकारियों, तीन बिचौलिये और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली है। खास बात ये है कि जिन अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की मंजूरी के लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत दी गई, एयर एशिया को उनकी अनुमति अभी तक नहीं मिली है।

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सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार एयर एशिया को जनवरी 2013 से मई 2014 के बीच भारत के भीतर हवाई सेवा शुरू करने की जरूरी इजाजत मिल गई थी। लेकिन कंपनी को विदेशी रूट पर हवाई सेवा शुरू करने में नियम 5/20 सबसे बड़ी रुकावट था। कंपनी के सीईओ टोनी फर्नांडिस पहले दिन से अंतरराष्ट्रीय उड़ाने शुरू करना चाहते थे। इसके लिए भारतीय साझीदार टाटा सन्स के मनोनीत निदेशक आर. वेंकटरमन के साथ मिलकर संबंधित मंत्रालय के अधिकारियों को रिश्वत देकर कंपनी के सारे क्लीयरेंस कराने और 5/20 नियम से छूट के लिए अधिकारियों को रिश्वत देकर तैयार करने की साजिश रची। 5/20 नियम के मुताबिक, किसी विमानन कंपनी को अंतरराष्ट्रीय रूट पर उड़ान की अनुमति दो शर्तें पूरी करने पर ही दी जा सकती थी। पहली, कंपनी पांच साल से घरेलू रूटों पर उड़ान भर रही हो और दूसरी, उसके पास कम-से-कम 20 विमान होने चाहिए। जाहिर एयर एशिया के पास ये दोनों नहीं थे।

सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टोनी फर्नांडिस, आर. वेंकटरमन और एयर एशिया के डिप्टी सीईओ बो लिंगम ने पहले एफआइपीबी अधिकारियों और फिर उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों को दलालों के मार्फत रिश्वत दी। यही नहीं, कंपनी ने उड्डयन क्षेत्र के लिए विदेशी निवेश के तय मानदंडों का उल्लंघन किया और टाटा संस के साथ संयुक्त उपक्रम के बावजूद मूल कंपनी एयर एशिया मलेशिया ने प्रबंधन अपने हाथ में बनाए रखा। एफआइपीबी के अधिकारियों को रिश्वत देकर क्लीयरेंस ले लिया गया। इसके साथ ही कंपनी ने एनओसी हासिल करने के लिए भी रिश्वत दी।

सीबीआइ के अनुसार 5/20 नियम से छूट पाने के लिए मुंबई के सुनील कपूर को लगाया और इसके लिए तय सौदे के तहत उसकी कंपनी को एयर एशिया में खाने-पीने का सामान आपूर्ति का काम दे दिया गया। सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए सिंगापुर की कंपनी के मार्फत 12.28 करोड़ रुपये भेजे गए। इसके अलावा दिल्ली के दीपक तलवार को 17.42 करोड़ रुपये भेजे गए। इन दलालों की सेवाओं का असर भी दिखा। कंपनी के घरेलू उड़ान शुरू होने के पहले ही फरवरी 2014 में ही 5/20 नियम को हटाने के लिए कैबिनेट नोट तैयार हो गया। लेकिन मार्च में चुनाव की घोषणा होने के कारण इसपर कोई फैसला नहीं हो सका। नई सरकार आने के बाद भी एयर एशिया और उसके दलालों ने कोशिश नहीं छोड़ी। दिसंबर 2014 में मुंबई के होटल फोर सीजन में सुनील कपूर ने श्रीराम को 50 लाख रुपये का पैकेट दिया। यह पैकेट बो लिंगम ने दिया था, जो उस वक्त मौजूद था। सीबीआइ की एफआइआर में यह नहीं बताया गया है कि श्रीराम कौन है।

हैरानी की बात यह है कि करोड़ों रुपये की दलाली देने और इतनी मशक्कत करने के बाद भी कंपनी को 5/20 से पूरी छूट नहीं मिली और केवल पांच वर्ष की शर्त हटाई गई। परंतु चूंकि अभी भी एयर एशिया के पास 20 विमान नहीं हुए हैं, इसलिए आज तक वह अंतरराष्ट्रीय रूटों पर उड़ाने शुरू नहीं कर पाई है। सरकार ने जुलाई 2016 में 5/20 नियम में बदलाव किया था।

एफआइआर दर्ज करने के साथ ही सीबीआइ ने दिल्ली, मुंबई और बंगलुरू में छह जगहों पर छापा मारा। सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने छापे के दौरान घोटाले से जुड़े अहम दस्तावेज बरामद होने का दावा किया है।


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