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AIIMS भोपाल का दावा, कोरोना के इलाज में माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू दवा के अच्छे नतीजे आए

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences यानी AIIMS) भोपाल ने कोरोना के इलाज में माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू दवा के नतीजे को बेहतर बताया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 16 May 2020 03:09 PM (IST)Updated: Sat, 16 May 2020 09:26 PM (IST)
AIIMS भोपाल का दावा, कोरोना के इलाज में माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू दवा के अच्छे नतीजे आए
AIIMS भोपाल का दावा, कोरोना के इलाज में माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू दवा के अच्छे नतीजे आए

भोपाल, पीटीआइ। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences यानी AIIMS) भोपाल का कहना है कि कोरोना के इलाज में माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू (Mycobacterium W यानी Mw) दवा के नतीजे भी बेहतर आए हैं। मालूम हो कि बीते कुछ दिनों से एम्स भोपाल में इस दवा का क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। AIIMS भोपाल के निदेशक प्रो. सरमन सिंह ने शनिवार को बताया कि अब तक तीन मरीज इस क्लिनिकल ट्रायल में ठीक हो चुके हैं।

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प्रो. सिंह ने कहा कि हम भोपाल के एम्स में कोरोना मरीजों के इलाज में बीते कुछ दिनों से माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू का क्लिनिकल परीक्षण कर रहे हैं। कोरोना मरीजों के इलाज में माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू दवा के प्रयोग के अच्छे नतीजे आए हैं। उन्‍होंने बताया कि इस दवा के क्लिनिकल ट्रायल के लिए अब तक चार कोरोना संक्रमित मरीजों का पंजीकरण किया गया था जिनमें से तीन पूरी तरह से स्वस्थ हो गए हैं। ठीक हो चुके तीनों मरीजों को अब अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

प्रो. सिंह (Dr Sarman Singh) ने बताया कि जल्‍द ही फेवीपिराविर (Favipiravir) दवा भी कोरोना मरीजों के इलाज में परखी जाएगी। कोरोना मरीजों पर इस दवा का प्रयोग जापान में किया जा रहा है। उन्‍होंने बताया कि एक वक्‍त था जब Mycobacterium W एक वैक्सीन मानी जाती थी लेकिन अब दवा कही जाती है। हम इसका क्लिनिकल ट्रायल कर रहे हैं। यदि क्लिनिकल ट्रायल में यह कारगर साबित होती है तो कोरोना संक्रमण के इलाज में यह दवा बन जाएगी।

बता दें कि माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू का इस्तेमाल कुष्ठ रोग में किया जाता है। ड्रग कंट्रोलर ऑफ इंडिया (Drug Controller of India) से वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (Council for Scientific and Industrial Research यानी CSIR) को इस दवा के क्लिनिकल ट्रायल को मंजूरी मिली थी। इस मंजूरी के बाद एम्स भोपाल सहित देश के तीन अस्पतालों में इस दवा का क्लिनिकल ट्रायल किया जा रहा है। यह दवा मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है। 


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