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ये है PoK में मानवाधिकारों का सच, आवाज उठाने पर कुचल दिए जाओगे : रिपोर्ट

पाकिस्तान का सच क्या है। शायद वो खुद नहीं जानता। कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन की बात वो करता है। लेकिन पीओके में आम नागरिकों के दमन पर वो चुप्पी साध लेता है।

By Lalit RaiEdited By: Published: Thu, 11 Aug 2016 11:22 AM (IST)Updated: Thu, 11 Aug 2016 03:22 PM (IST)
ये है PoK में मानवाधिकारों का सच, आवाज उठाने पर कुचल दिए जाओगे : रिपोर्ट

नई दिल्ली। कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामले को पाकिस्तान जोरशोर से उठाता है। लेकिन जब पाक अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकार दमन का मुद्दा उठता है तो पाकिस्तान चुप्पी साध लेता है। एशियन ह्यूमन राइट कमीशन ने जो रिपोर्ट पेश की है वो दिल दहलाने वाली है। जो तस्वीरें जारी की है उसे दिखा पाना मुश्किल है। गिलगित के रहने वालों का कहना है कि जहालत और जलालत अब उनकी नियति बन चुकी है। हर सवाल का जवाब मारपीट, हर आंसू का हिसाब किताब हिंसा होता है। उन लोगों के दर्द को केवल सिसकियों और चीखों में समझा जा सकता है। बुनियादी सुविधाओं की मांग करने पर उनके साथ जुल्म की इंतेहा होती है। जिसे वो कहीं बयां नहीं कर सकते हैं।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि गिलगित में पाक अधिकारियों ने कुछ लोगों से काम करने के एवज में पैसे मांगे। जब उन्होंने रिश्वत देने से मना किया तो उनकी बेरहमी से पिटाई की गयी। रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ साल पहले बाबा जान नाम के एक शख्स को दो साल तक पुलिस हिरासत में रखकर टॉर्चर किया गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि छोटी सी छोटी बात पर टॉर्चर करनी इतनी आम बात है कि लोग शिकायत करने से भी बचते हैं। पुलिस स्टेशन अपराधियों और आतंकियों के अड्डे बन गए हैं। पुलिस स्टेशन खुद अपराधों में शामिल हो गए हैं।

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इंस्टीट्यूट ऑफ गिलगित-बाल्टीस्तान स्टडीज इन वाशिंगटन के डायरेक्टर सिंगे हसनान सेरिंग ने कहा कि गिलगित-बाल्टीस्तान मे पाकिस्तान तानाशाह रवैया चला रहा है। मानवाधिकारो का उल्लंघन हो रहा है। जनता को अपनी बात कहने का हक नही है। भारत और पाकिस्तान के सभ्य समाज को आगे आकर आपस मे रूबरू होना चाहिए ताकि निहित स्वार्थ वाले तत्वो को अपने नापाक इरादो को अंजाम देने का मौका न मिल सके।


सिंगे हसनान सेरिंग गिलगित-बाल्टीस्तान के लोगो की व्यथा सुनाई। उन्होने गिलगित-बाल्टीस्तान मे पाकिस्तान की तरफ से किए जा रहे मानवाधिकारो के उल्लंघन, बुनियादी अधिकारो से वंचित करने, लोगो की रोजगार की समस्या, पाकिस्तान के लोगो को वहां पर बसाए जाने के मुद्दो पर अपनी बात रखी। उन्होने गिलगित-बाल्टीस्तान के रास्ते को खोलकर व्यापार शुरू करने की वकालत की।

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उन्होंने कहा कि हम पुराने जमाने मे नही रह रहे है कि हमें महाराजा का हुक्म मानना पड़े। तबदील होने का समय आ गया है। यह तभी संभव हो सकता है कि भारत व पाकिस्तान के लोगो का आपस मे मेल मिलाप हो। गिलगित-बाल्टीस्तान के लोग सामन्य माहौल चाहते है लेकिन पाकिस्तान वहां पर अपना तानाशाह रवैया अपना कर अधिकार नही दे रहा।

गिलगित-बाल्टीस्तान की आबादी बीस पच्चीस लाख के करीब है। दस जिले है, लेकिन नियंत्रण रेखा पर तनावपूर्ण स्थिति रहने के कारण अर्थ व्यवस्था चौपट हो चुकी है। वहां पर साम्राज्यवाद जैसा सिस्टम है और सभी फैसले इस्लामाबाद लेता है। वहां पर मानवाधिकारो का उल्लंघन होता है और अपनी बात कहने का किसी को हक नही है। हम समाधान चाहते है क्रांति नही।

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