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केंद्रीय मंत्रिमंडल का बड़ा फैसला, एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से मजबूत की जा सकेंगी मंडियां, जाने कैसे

कृषि उपज मंडियों के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने एक अहम फैसला किया है। इसके तहत देश की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के ढांचे को मजबूत बनाने के काम में एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का उपयोग किया जा सकेगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 08 Jul 2021 09:59 PM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 10:23 PM (IST)
केंद्रीय मंत्रिमंडल का बड़ा फैसला, एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड से मजबूत की जा सकेंगी मंडियां, जाने कैसे
कृषि उपज मंडियों के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने एक अहम फैसला किया है।

नई दिल्ली, जेएनएन। कृषि उपज मंडियों के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने एक अहम फैसला किया है। इसके तहत देश की कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) के ढांचे को मजबूत बनाने के काम में एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का उपयोग किया जा सकेगा। इसकी घोषणा करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि कृषि सुधार कानूनों को लेकर आंदोलनकारी संगठनों की आशंकाएं निराधार साबित हुई हैं।

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केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार लगातार मंडियों को मजबूत बनाने की दिशा में कार्य करती रही। कृषि कानून लागू होने के बाद भी मंडियां खत्म नहीं होंगी। मालूम हो कि कृषि और किसानों के हित में सरकार ने 15 मई, 2020 को एक लाख करोड़ रुपये के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्टर फंड की घोषणा की थी। एक फरवरी, 2021 को सरकार ने इस फंड के उपयोग करने वालों की सूची में एपीएमसी (मंडी) को भी जोड़ दिया।

इसे लागू करने के लिए गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी गई। इसके नियमों में कुछ संशोधन भी किए गए हैं ताकि इसका ज्यादा से ज्यादा उपयोग ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास में किया जा सके।

कैबिनेट के फैसले की जानकारी देने आए तोमर ने कृषि कानून विरोधी आंदोलन पर पूछे गए सवालों पर कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को कानून समाप्त करने की जिद छोड़कर वार्ता के लिए आना चाहिए। सरकार उनके हर मसले पर वार्ता को तैयार है। प्रदर्शनकारी किसानों को नए कानूनों की महत्ता को समझना चाहिए, जिसे सारा देश समझ रहा है। तोमर ने कहा कि आंदोलन शुरू होने के बाद से पैदावार बढ़ी है और उपज की रिकार्डतोड़ खरीद हुई है। आंदोलन में जहां के लोग (पंजाब) ज्यादा शामिल हैं, वहां के किसानों को हजारों करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है।


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