Move to Jagran APP

कृषि शिक्षा की खत्म होगी बेहाली, बढ़ेगा छात्रों का नामांकन, बदलेगी विश्वविद्यालयों की तस्वीर

कृषि शिक्षा में आवासीय शिक्षण जैसी शर्त को हटा दिया गया है। छात्र अपने घर अथवा किराये का घर लेकर रह सकता है। इससे जहां विश्वविद्यालयों पर अतिरिक्त बुनियादी ढांचा खड़ा करने का बोझ नहीं पड़ेगा वहीं छात्रों का नामांकन बढ़ सकता है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 07 Oct 2021 09:23 PM (IST)Updated: Thu, 07 Oct 2021 09:31 PM (IST)
कृषि शिक्षा की खत्म होगी बेहाली, बढ़ेगा छात्रों का नामांकन, बदलेगी विश्वविद्यालयों की तस्वीर
कृषि विश्वविद्यालयों की बदलेगी तस्वीर, मांग आधारित कृषि उत्पादकता पर जोर

सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। ग्रामीण आर्थिक ढांचे को मजबूत बनाने और कृषि क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन की भारी कमी को पूरा करने की कवायद तेज कर दी गई है। नई शिक्षा नीति की मूल भावना के अनुरूप कृषि शिक्षा क्षेत्र की तंग हालत में सुधार होगा। छात्र नामांकन बढ़ाने से कृषि विश्वविद्यालयों की तस्वीर बदल जाएगी। इससे देश में बाजार आधारित विस्तार के माध्यम से कृषि उत्पादकता बढ़ाने वाली शिक्षा के प्रसार में मदद मिलेगी। नई शिक्षा नीति को कारगर तरीके से लागू करने के लिए डीन कमेटी का गठन कर दिया गया है, जो मौजूदा कृषि शिक्षा प्रणाली में अहम बदलावों की भी सिफारिश करेगी। कृषि विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।

loksabha election banner

देश में फिलहाल 800 से अधिक सरकारी विश्वविद्यालय हैं, जबकि कृषि विश्वविद्यालयों की संख्या 72 है। कुल विश्वविद्यालयों के नौ फीसद होने के बावजूद कृषि विश्वविद्यालयों व इससे जुड़े अन्य शिक्षण संस्थानों में छात्र नामांकन एक फीसद से भी कम है। इससे कृषि क्षेत्र के लिए जरूरी मानव संसाधन की भारी कमी है। नई शिक्षा नीति के तहत इसे बढ़ाकर कम से कम नौ फीसद तक करने की जरूरत है। लेकिन इसके लिए मौजूदा कृषि शिक्षा नीति में कई अहम बदलाव करने की सिफारिश की गई है। इसके तहत पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) और पीएचडी कराने वाले संस्थानों अथवा विश्वविद्यालयों को समग्र और जीवंत शिक्षा के लिए स्नातक कार्यक्रम भी शुरू करने होंगे।

बुनियादी ढांचा और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को प्राथमिकता

कृषि शिक्षा में आवासीय शिक्षण जैसी शर्त को हटा दिया गया है। छात्र अपने घर अथवा किराये का घर लेकर रह सकता है। इससे जहां विश्वविद्यालयों पर अतिरिक्त बुनियादी ढांचा खड़ा करने का बोझ नहीं पड़ेगा, वहीं छात्रों का नामांकन बढ़ सकता है। नई शिक्षा नीति को समय से लागू करने और कृषि शिक्षा को पटरी पर लाने के लिए छठी डीन कमेटी का गठन समय से पहले कर दिया गया है। सभी कृषि विश्वविद्यालयों को मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन रिसर्च यूनिवर्सिटी में तब्दील किया जाएगा।

विदेशी छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया होगी आसान

छात्र नामांकन अनुपात बढ़ाने के लिए विदेशी छात्रों को प्रवेश देने का प्रविधान किया जाएगा। विश्वविद्यालयों में नामांकन के साथ वित्त बढ़ाने के लिए अफ्रीका और एशिया के छात्रों को प्रवेश दिया जा सकता है। इसमें इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) विशेष प्रयास कर सकता है। विदेशी विश्वविद्यालयों से छात्रों की अदला-बदली कर कृषि शिक्षा के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। नई शिक्षा नीति की मंशा के अनुरूप प्रविधानों को लागू करने के लिए गठित प्राथमिक समिति ने सभी राज्यों को तत्काल प्रभाव से ऐसा कृषि विश्वविद्यालय स्थापित करने की सिफारिश की है, जहां एग्रीकल्चरल, फारेस्ट्री, वेटनरी, फिशरीज समेत संबद्ध विषयों की पढ़ाई की व्यवस्था हो।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.