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बातचीत से सीमा मसले सुलझाने के लिए चीन और भूटान में हुआ समझौता, भारत की है कड़ी नजर

भूटान के विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि विदेश मंत्री लिओन्पो टांडी दोरजी ने चीन के सहायक विदेश मंत्री वू जियांगहाओ के साथ सीमा से जुड़ी असहमतियों को दूर करने के लिए तीन स्तरों वाली वार्ता प्रक्रिया पर दस्तखत किए हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 08:35 PM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 10:34 PM (IST)
बातचीत से सीमा मसले सुलझाने के लिए चीन और भूटान में हुआ समझौता, भारत की है कड़ी नजर
डोकलाम घटना के मद्देनजर भारत की वार्ता के बिंदुओं पर कड़ी नजर

नई दिल्ली, आइएएनएस। चीन और भूटान ने सीमा से जुड़े मामलों को बातचीत के जरिये निपटाने के लिए त्रिस्तरीय तरीका अपनाने के समझौते पर दस्तखत किए हैं। दोनों पड़ोसी देशों के बीच यह समझौता चीन के भारत के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच हुआ है। भारत की इसलिए भी इस समझौते पर नजर है क्योंकि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भूटान के डोकलाम इलाके पर 2017 में चीन ने कब्जे की कोशिश की थी। यह इलाका उत्तर-पूर्वी राज्यों को शेष भारत से जोड़ने वाले चिकेन नेक गलियारे से सटा हुआ है। इसके बाद भारत और चीन की सेनाएं 72 दिन तक आमने-सामने डटी रही थीं। अंतत: चीन को अपने पैर पीछे खींचने पड़े थे।

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भूटान के विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि विदेश मंत्री लिओन्पो टांडी दोरजी ने चीन के सहायक विदेश मंत्री वू जियांगहाओ के साथ सीमा से जुड़ी असहमतियों को दूर करने के लिए तीन स्तरों वाली वार्ता प्रक्रिया पर दस्तखत किए हैं। ये हस्ताक्षर गुरुवार को आयोजित दोनों देशों की ज्वाइंट वर्चुअल सेरेमनी में किए गए। सीमा मसले पर दोनों देशों के बीच बातचीत 1984 में शुरू हुई थी, जो 24 चक्र चली थी लेकिन उसमें कई मसले सुलझ नहीं पाए थे। चीन भूटान के कई सीमा क्षेत्रों के अपना होने का दावा करता है। इनमें एक महत्वपूर्ण वन्य जीव क्षेत्र भी है जिसे दशकों से अंतरराष्ट्रीय सहायता मिल रही है। चीन कई इलाकों की भूटान के साथ अदला-बदली करने की बात भी करता है।

भारत से सटे भूटान के डोकलाम इलाके में चीन ने की थी सड़क बनाने की कोशिश 

2017 में चीन ने भारत से सटे भूटान के डोकलाम इलाके में सड़क बनाने की कोशिश की थी। भारत ने इसके रणनीतिक असर को देखते हुए उस पर विरोध जताते हुए वहां पर अपनी सेना तैनात कर दी थी। 72 दिनों तक दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने डटी रहीं। बाद में चीन की सेना को पीछे हटना पड़ा था।


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