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सेना को जल्द मिलेगा देश का 'ब्रह्मास्त्र' अग्नि-5, जद में होगा चीन और यूरोप

भारत के पास पहले से ही अग्नि-1, अग्नि-2 और अग्नि-3 मिसाइलें हैं। इन्हें पाकिस्तान के खिलाफ बनाई गई रणनीति के तहत तैयार किया गया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 01 Jul 2018 06:09 PM (IST)Updated: Mon, 02 Jul 2018 06:55 AM (IST)
सेना को जल्द मिलेगा देश का 'ब्रह्मास्त्र' अग्नि-5, जद में होगा चीन और यूरोप
सेना को जल्द मिलेगा देश का 'ब्रह्मास्त्र' अग्नि-5, जद में होगा चीन और यूरोप

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत देश की सबसे उन्नत और लंबी दूरी तक मार करने वाली अग्नि-5 मिसाइल को जल्द ही अपने हथियारों के जखीरे में शामिल करेगा। परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम पांच हजार किलोमीटर मारक क्षमता वाली इस अंतर महाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल के निशाने पर पूरा चीन और आधा यूरोप होगा। सरकार के इस फैसले से सेना के मनोबल में खासा इजाफा होने की उम्मीद है।

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परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है बैलेस्टिक मिसाइल
युद्ध का पासा पलटने में सक्षम अग्नि-5 मिसाइल इलीट स्टै्रटेजिक फोर्सेज कमांड (एसएफसी) का हिस्सा होगी। इससे पहले अग्नि-5 के इस्तेमाल के कुछ और परीक्षण पूरे किए जाएंगे, जो कुछ हफ्तों का समय लेंगे। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार अग्नि-5 के सेना में शामिल होने से भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई बढ़त हासिल होगी।

भारत की ये मिसाइल चीन के कोने-कोने को कर सकती है तबाह

यह मिसाइल चीन के प्रमुख शहर- बीजिंग, शंघाई, ग्वांग्झू और हांगकांग तक मार करने में सक्षम होगी। अग्नि-5 प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारी के अनुसार यह वास्तव में सामरिक संतुलन वाला हथियार है। इसके सेना में शामिल होने मात्र से भारत सामने वाले को सोचने के लिए मजबूर कर देगा। उन्होंने बताया कि अग्नि-5 दुनिया की सबसे उन्नत तकनीक पर आधारित बैलेस्टिक मिसाइल है। इसमें परमाणु हथियार को बेहतर तरीके से ले जाने की क्षमता है।

प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों के अनुसार अग्नि-5 मिसाइलों की पहली खेप जल्द एसएफसी को सौंप दी जाएगी। लेकिन इसके लिए कोई समय सीमा बताने से उन्होंने इन्कार कर दिया। अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) अभी तक अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और उत्तर कोरिया के पास हैं। भारतीय सेना के पास अभी चार श्रेणी की अग्नि मिसाइलें हैं। इनकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर से लेकर 3,500 किलोमीटर तक है।

पिछले महीने अग्नि-5 का ओडि़शा तट से सफल परीक्षण किया गया था। सूत्रों का कहना है कि सामरिक बल कमान (एसएफसी) में शामिल किए जाने से पहले कई अन्य परीक्षण अगले कुछ हफ्तों में होने वाले हैं। अग्नि-5 कार्यक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘यह एक सामरिक संपत्ति है जो दूसरे देशों के लिए रोक का काम करेगी। हम इस सामरिक परियोजना के अंतिम चरण में हैं।’ उन्होंने कहा कि अपनी श्रृंखला में यह सबसे आधुनिक हथियार है जिसमें नौवहन के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियां हैं और परमाणु सामग्री साथ ले जाने की इसकी क्षमता दूसरी मिसाइल प्रणालियों से कहीं ज्यादा है। सूत्रों ने बताया कि अग्नि-5 का पहला बैच जल्द ही एसएफसी को सौंप दिया जाएगा। हालांकि, उन्होंने इस परियोजना के बारे में इससे ज्यादा बताने से इनकार कर दिया।

रक्षा विशेषज्ञों ने बताया कि यह मिसाइल बीजिंग, शंघाई, ग्वांगझाऊ और हांगकांग जैसे शहरों सहित चीन के किसी भी इलाके को लक्ष्य बनाकर भेद सकती है। भारत अपनी अंतर-महाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली ‘अग्नि-5’ के पहले बैच को शामिल करने की प्रक्रिया में है। ‘अग्नि-5’ की मारक क्षमता के दायरे में पूरा चीन आता है। इस मिसाइल प्रणाली से देश की सैन्य ताकत में जबर्दस्त इजाफा होने की उम्मीद है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि 5,000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली यह मिसाइल प्रणाली परमाणु सामग्री ले जाने में सक्षम है। इस मिसाइल प्रणाली को सामरिक बल कमान (एसएफसी) में शामिल करने की तैयारी है।उन्होंने बताया कि देश के सबसे अत्याधुनिक हथियार को एसएफसी को सौंपे जाने से पहले कई परीक्षण किए जा रहे हैं।

पिछले महीने ‘अग्नि-5’ का ओड़िशा तट से सफल परीक्षण किया गया था। सूत्रों का कहना है कि एसएफसी में शामिल किए जाने से पहले कई अन्य परीक्षण अगले कुछ हफ्तों में होने वाले हैं। ‘अग्नि-5’ कार्यक्रम से जुड़े एक अधिकारी ने बताया, ‘यह एक सामरिक संपत्ति है जो दूसरे देशों के लिए रोक का काम करेगी. हम इस सामरिक परियोजना के अंतिम चरण में हैं।’ उन्होंने कहा कि अपनी श्रृंखला में यह सबसे आधुनिक हथियार है। जिसमें नौवहन के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकियां हैं और परमाणु सामग्री साथ ले जाने की इसकी क्षमता दूसरी मिसाइल प्रणालियों से कहीं ज्यादा है।

अग्नि-5 का पहला परीक्षण 19 अप्रैल, 2012 को किया गया था। दूसरी बार सितंबर 15, 2013 को, तीसरी बार 31 जनवरी 2015 को, चौथी बार 26 दिसबंर 2016 को और पांचवीं बार 18 जनवरी, 2018 को इसका परीक्षण हुआ था। अग्नि-5 का पांचवीं बार दिसंबर 2016 में जब परीक्षण किया गया था तब इसे यह कहकर परिभाषित किया गया था कि यह इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का आखिरी परीक्षण है। अग्नि-5, अग्नि सीरीज की मिसाइलें हैं जिसे डीआरडीओ ने विकसित किया है।

बता दें कि भारत के पास पहले से ही अग्नि-1, अग्नि-2 और अग्नि-3 मिसाइलें हैं। इन्हें पाकिस्तान के खिलाफ बनाई गई रणनीति के तहत तैयार किया गया है। वहीं अग्नि-4 और अग्नि-5 को चीन को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। ज्ञात हो कि 50 टन के भार वाली इस मिसाइल की लंबाई 17 मीटर और चौड़ाई 2 मीटर है। यह अपने साथ एक टन से ज्यादा के परमाणु हथियार ले जा सकती है।

सफल रहे हैं सभी छह परीक्षण
अग्नि-5 मिसाइल के अभी तक छह परीक्षण हो चुके हैं। सभी परीक्षण सफल रहे हैं। पहला परीक्षण 19 अप्रैल, 2012 और दूसरा परीक्षण 15 सितंबर 2013 को हुआ था। तीसरा परीक्षण 31 जनवरी, 2015 और चौथा परीक्षण 26 दिसंबर 2016 को हुआ था। पांचवां परीक्षण इसी साल 18 जनवरी को और छठा परीक्षण तीन जून को हुआ।

सुखोई में लगाए जा रहे ब्रह्मोस
मारक क्षमता बढ़ाने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल को सुखोई-30 लड़ाकू विमान में फिट करने का प्रयोग भी सफल रहा है। यह प्रयोग 22 नवंबर, 2017 को किया गया। इससे दुनिया की सबसे तेज गति की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की मारक क्षमता और बढ़ गई है। हिंदुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड 40 सुखोई विमानों में ब्रह्मोस मिसाइल लगाने के लिए उनमें बदलाव कर रहा है।


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