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महाकाल के आंगन से बाहर आ रहे सदियों पुराने रहस्य, 1732 ईस्वी से चला आ रहा सिलसिला

महाकाल मंदिर के समीप खोदाई में एक हजार साल पुराने मंदिर के अवशेष मिले हैं। इसे मंदिर की दीवार बताया जा रहा है। मंदिर के आसपास विभिन्न निर्माण कार्य चल रहे हैं। इसके तहत क्षेत्र का सुंदरीकरण किया जा रहा हैं। मूर्तियां भी लगाई जा रही हैं।

By Manish PandeyEdited By: Published: Wed, 23 Dec 2020 10:10 AM (IST)Updated: Wed, 23 Dec 2020 10:10 AM (IST)
महाकाल के आंगन से बाहर आ रहे सदियों पुराने रहस्य, 1732 ईस्वी से चला आ रहा सिलसिला
महाकाल मंदिर के विस्तारीकरण के तहत कई जगहों पर खोदाई चल रही है।

उज्जैन, राजेश वर्मा। विश्व प्रसिद्ध ज्योतिìलग उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर सभ्यता, संस्कृति व प्राचीन इतिहास को समझने का केंद्र रहा है। बीते 300 साल में इस मंदिर के आसपास जब भी खोदाई हुई, नए रहस्य सामने आए हैं। यह सिलसिला 1732 ईस्वी से चला आ रहा है। सिंधिया राजवंश के सचिव बाबा रामचंद्र शैडंवी ने महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था, उस समय 11 वीं शताब्दी के देवनागरी लिपि में लिखे हुए तीन महत्वपूर्ण शिला लेख प्राप्त हुए थे। आज भी दो शिला लेख मंदिर की दीवार तथा एक विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्व संग्रहालय में संरक्षित हैं। बीते चार दशक में भी नवनिर्माण के लिए की गई खोदाई में कई बार परमारकालीन पुराअवशेष प्राप्त हुए हैं। ताजा मामला मंदिर के समीप की जा रही खोदाई में निकले एक हजार साल पुराने मंदिर के अवशेषों का है। इसके बाद से फिर मंदिर देश दुनिया में चर्चा का केंद्र बन गया है। पुराविदों के अनुसार काल गणना का केंद्र माने जाने वाले महाकाल मंदिर के आसपास अगर विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में खोदाई की जाए तो विक्रमादित्य, मौर्य, गुप्त की सभ्यता का पता चल सकता है।

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चार दशक में नवनिर्माण की गति बढ़ी

ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में बीते चार दशक से लगातार दर्शनाíथयों की संख्या बढ़ रही है। प्रतिदिन देश विदेश से हजारों भक्त भगवान महाकाल का दर्शन करने आते हैं। जैसे-जैसे श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी मंदिर में भक्तों की सुविधा के लिए नए निर्माण किए जाने लगे। इसको लेकर मंदिर के आसपास लगातार खोदाई की जा रही है। वर्ष 1980 से लेकर 2020 तक करीब छह बार मंदिर के आसपास गहरी खोदाई हुई है।

दिल्ली के एएसआइ की टीम का इंतजार

हाल ही में मिले एक हजार साल पुराने मंदिर के अवशेषों की जांच के लिए महाकाल मंदिर समिति और स्थानीय प्रशासन द्वारा भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण (एएसआइ) को पत्र लिखा गया है। मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया मंदिर के समीप मिले पुरातात्विक महत्व के स्ट्रक्चर की जांच के लिए एएसआइ के दिल्ली व इंदौर स्थित कार्यालय को पत्र लिखा है। विशेषज्ञों के आने का इंतजार किया जा रहा है। तब तक खोदाई का काम बंद रहेगा।

कब-कब हुई खोदाई

-सन 1980 : सिंहस्थ महापर्व के समय मंदिर में नंदी हॉल का निर्माण किया गया था। इस दौरान हुई खुदाई में प्राचीन मूíतयां प्राप्त हुई थीं।

- 2004 : नंदी हॉल विस्तार के लिए वर्ष 2004 में पुन: खोदाई की गई। इस हॉल को जूना महाकाल मंदिर परिसर तक बढ़ाया गया। उस दौरान भी कुछ मूíतयां मिली थीं।

- 2014 : फैसिलिटी सेंटर व टनल निर्माण के लिए मंदिर में गहरी खोदाई की गई। उस समय खोदाई से नर कंकाल मिले थे। बताया जाता है मंदिर परिक्षेत्र में समाधियां हैं।

- 2019 : मंदिर समिति ने सभा मंडप विस्तारीकरण का काम किया। इस दौरान खोदाई में प्राचीन सूर्य यंत्र प्राप्त हुए थे, जो बाद में देखरेख के अभाव में खंडित हो गए।

- 2020 : मंदिर के मुख्य द्वार तथा आसपास के क्षेत्र में नवनिर्माण के लिए खोदाई की जा रही है। इस खोदाई में एक हजार साल पुराने मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए हैं। अवशेष मंदिर की दीवार जैसे हैं, जिन पर कलाकृतियां उकेरी गई हैं।

शहर के अन्य हिस्सों में भी मिली प्राचीन सभ्यता

महाकाल मंदिर के अलावा उज्जैन शहर के अन्य हिस्सों में भी मानवीय सभ्यता व संस्कृति की पड़ताल के लिए विशेषज्ञों ने खोदाई की है। इसमें बौद्ध स्तूप व प्राचीन बस्ती होने के प्रमाण मिले हैं।

-1937-38 : कानीपुरा स्थित वैश्य टेकरी की खोदाई की गई। यहां प्राचीन बौद्ध स्तूप मिले।

-1956-57 : गढ़कालिका के टीले पर खोदाई की गई। यहां प्राचीन बस्ती होने के प्रमाण मिले।

-1962 : चौबीसखंभा मंदिर : यहां मानव निवास की स्थिति की जानकारी मिली।

जानकारों का कहना

जब भी खोदाई हुई पुरासाक्ष्य मिले हैं

विक्रम विश्वविद्यालय की उत्खनन शाखा के निदेशक पुराविद् डॉ.रमण सोलंकी ने बताया महाकाल मंदिर के आसपास जब भी खोदाई हुई पुरासाक्ष्य मिले हैं। यह सिलसिला 1732 ईस्वी से आज तक जारी है। अगर मंदिर के आसपास पुरात्तव के जानकारों के निर्देशानुसार खोदाई की जाए, तो भारतीय सभ्यता,संस्कृति व प्राचीन इतिहास से जुड़े महत्वपूर्ण साक्ष्य प्राप्त हो सकते हैं। जिनके द्वारा हम प्राचीन मानवीय सभ्यता का पता लगा सकते हैं।

मूर्तियां व शिलालेख मिले हैं

महाकाल मंदिर के पं.महेश पुजारी ने बताया ज्योतिìलग महाकाल स्वयंभू हैं। कालांतर में मंदिर का अनेकों बार जीर्णोद्धार होने के प्रमाण मिलते हैं। वर्तमान दौर में महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए नवनिर्माण कराती रहती है। बीते चार दशक में जब भी खोदाई हुई है, पुरासंपदा प्राप्त हुई है। इनमें मूíत, प्राचीन यंत्र आदि शामिल हैं। समिति इन्हें सहजती है। कुछ शिलालेख संग्रहालय में रखे हैं।


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