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एलएसी पर टकराव का हल निकालने के लिए भारत-चीन के कमांडरों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता

कमांडर स्तर के छठे दौर की वार्ता के नतीजों को लेकर दोनों पक्षों की ओर से अभी कोई जानकारी साझा नहीं की गई है। एलएसी पर तनाव घटाने और गतिरोध खत्म करने के लिए सैनिकों को पीछे हटाना सबसे अहम है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 10:35 PM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 10:35 PM (IST)
एलएसी पर टकराव का हल निकालने के लिए भारत-चीन के कमांडरों के बीच हुई छठे दौर की वार्ता
14वीं कोर के अगले कमांडर पीजीके मेनन ने भी वार्ता में भाग लिया।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर जारी सैन्य टकराव का हल निकालने के लिए भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच सोमवार को बहुचर्चित छठे दौर की वार्ता हुई। इस दौरान आमने-सामने के सैन्य टकराव के हालात खत्म करने से लेकर एलएससी से सैनिकों को हटाने के एजेंडे पर चर्चा हुई।

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भारत और चीन के बीच बनी सहमति को जमीनी स्तर पर आगे बढ़ाना चुनौती है

विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेशमंत्री वांग यी के बीच 10 सितंबर को मास्को में तनाव घटाने के लिए पांच सूत्री फार्मूले पर बनी सहमति को जमीनी स्तर पर आगे बढ़ाना दोनों देशों के लिए चुनौती है।

भारत ने विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी को प्रतिनिधिमंडल में किया शामिल

इस चुनौती के मद्देनजर ही सैन्य कमांडर स्तर की वार्ता में भारत ने विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के एक अधिकारी को अपने प्रतिनिधिमंडल में शामिल किया।

14वीं कोर के अगले कमांडर पीजीके मेनन ने भी वार्ता में भाग लिया

सेना की 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरजिंदर सिंह ने बातचीत में भारतीय दल की अगुआई की। इस दौरान सेना मुख्यालय ने एक और लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन को भी इस वार्ता के लिए विशेष रूप से भेजा है। मेनन को जल्द ही 14वीं कोर का अगला कोर कमांडर बनाया जाना है।

चीन के मोल्डो में हुई वार्ता में चीनी पक्ष का नेतृत्व मेजर जनरल लिन ने किया

भारत के चुशूल सेक्टर के निकट चीन के मोल्डो में हुई इस वार्ता में चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिणी जिनजियांग क्षेत्र के कमांडर मेजर जनरल लियू लिन ने किया। बताया जाता है कि चीनी दल में भी वहां के विदेश मंत्रालय के अधिकारी शामिल थे।

कमांडर स्तर के छठे दौर की वार्ता के नतीजों को साझा नहीं किया गया

कमांडर स्तर के छठे दौर की वार्ता के नतीजों को लेकर दोनों पक्षों की ओर से अभी कोई जानकारी साझा नहीं की गई है। हालांकि सरकारी सूत्रों ने यह जरूर कहा कि एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर तनाव घटाने और गतिरोध खत्म करने के लिए सैनिकों को पीछे हटाना सबसे अहम है और बातचीत का एजेंडा इसी पर केंद्रित है।

भारत और चीन मास्को में बनी सहमति पर आगे बढ़े तो एलएसी का गतिरोध खत्म हो सकता है

मालूम हो कि मास्को में दोनों विदेश मंत्रियों ने सीमा पर जारी टकराव के बीच सैन्य व कूटनीतिक वार्ताओं को आगे बढ़ाने के लिए पांच बिंदुओं पर सहमति जताई थी। इसमें कहा गया था कि इन पांच सूत्री बातों पर दोनों देश आगे बढ़े तो एलएसी का गतिरोध खत्म हो सकता है और सीमा पर शांति बहाली संभव है। हालांकि इस सहमति के बाद भी सैन्य कमांडर वार्ता के लिए दस दिन लग गए।

चोटियों पर काबिज हो चुके भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए चीनी घुसपैठ के कई प्रयास हुए असफल

गौरतलब है कि 29-30 और 31 अगस्त की रात चीनी सैनिकों ने पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की चोटियों पर रणनीतिक रूप से काबिज हो चुके भारतीय सैनिकों को हटाने के लिए घुसपैठ के कई प्रयास किए। चीनी सैनिकों ने धारदार और नुकीले हथियार जैसे बरछी, भाले आदि लेकर गलवन घाटी जैसी घटना दोहराने की कोशिश की मगर भारतीय सैनिकों ने उनके इरादों को नाकाम कर दिया।

एलएसी पर सैन्य टकराव के हालात लगातार बने हुए हैं

एलएसी पर भारी तनाव के बीच मास्को में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की चीनी विदेशमंत्री से बातचीत भी हुई मगर इसमें कोई नतीजा नहीं निकला। एलएसी पर भारतीय सैनिकों की मजबूत घेरेबंदी से बेचैन चीन ने इसके बाद उन्हें हटाने के लिए दोनों देशों के बीच दशकों पुराने समझौते को तोड़ते हुए 7 सितंबर को एलएसी पर दर्जनों राउंड हवाई फायरिंग तक कर डाली। एलएसी पर 45 साल में फायरिंग की हुई पहली घटना के बाद मास्को में दोनों विदेश मंत्रियों की वार्ता हुई जिसके बाद सीमा पर चीनी सेना की हरकतें तो सामने नहीं आई, लेकिन सैन्य टकराव के हालात लगातार बने हुए हैं। इसीलिए कमांडर स्तर की यह वार्ता दोनों देशों के लिए बेहद अहम है।


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