कुलगाम मुठभेड़ के बाद सेना का बड़ा खुलासा, दक्षिण कश्मीर में 200 आतंकी सक्रिय
सेना ने बताया कि दक्षिण कश्मीर में सक्रिय आतंकियों में से 15 फीसद विदेशी हैं।
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सेना का ऑपरेशन ऑलआउट जारी है। इसके तहत सुरक्षाबलों ने पिछले दो दिनों के भीतर घाटी में 13 आतंकियों को ढेर कर दिया है। इन आतंकियों के तार लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों से जुड़े होने की खबरें सामने आ रही हैं।
काजीगुंड में पांच आतंकियों को मार गिराया
शनिवार को अकेले दक्षिण कश्मीर के चौगाम, काजीगुंड में हुई मुठभेड़ में सेना ने पांच आतंकियों को मार गिराया है। इस दौरान सेना के तीन जवान भी घायल हुए हैं। कुलगाम में आतंकियों से हुई मुठभेड़ के बाद सेना की तरफ से एक बयान आया है। जो ये बता रहा है कि घाटी में पिछले दिनों स्थानीय आतंकियों की संख्या तेजी से बढ़ी है।
नए आतंकियों की भर्ती पर लगेगी लगाम
सेना की तरफ से ब्रिगेडियर सचिन मलिक ने कुलगाम एनकाउंटर के बाद बताया कि स्थानीय आतंकियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। अकेले दक्षिण कश्मीर में इस वक्त 200 आतंकी मौजूद हैं, जिसमें से 15 फीसद विदेशी हैं। हम इसलिए अभियान चला रहे हैं, ताकि सक्रिय आतंकियों का खात्मा किया जा सके और नए आतंकियों की भर्ती की कोशिशों में जुटे आतंकी संगठनों पर लगाम लगाई जा सके।
बारामुला और काजीगुंड के बीच ट्रेन सेवा को रोका गया
बता दें कि शुक्रवार रात करीब एक बजे सुरक्षाबलों की आतंकियों से मुठभेड़ शुरू हो गई थी। इस मुठभेड़ के बाद बारामुला और काजीगुंड के बीच ट्रेन सेवा को रोक दिया गया है। जानकारी के अनुसार, सुरक्षाबलों को रात करीब साढ़े बारह बजे पता चला कि चौगाम में कुछ आतंकी छिपे हुए हैं। इसके बाद सेना और पुलिस के संयुक्त दस्ते ने इलाके की घेराबंदी कर तलाशी अभियान चलाया। सुरक्षाबलों ने आतंकियों के छिपे होने के संदेह में कुछ राउंड फायर किए। इसके जवाब में आतंकियों ने भी फायरिंग शुरू कर दी।
आईजी कश्मीर एसपी सैनी ने बताया कि साढ़े सात बजे आतंकियों की तरफ से गोलियों की बौछार पूरी तरह बंद हो गई थी और उनका ठिकाना बना मकान भी गिर गया था। करीब सवा आठ बजे सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के शव को तलाश उन्हें अपने कब्जे में लेने की कार्रवाई शुरु की। लेकिन जैसे ही वह आगे बढ़े, वहां जिंदा बचे आतंकियों ने उन पर दोबारा फायरिंग शुरु कर दी।
कई वजहें है जिम्मेदार
नब्बे के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद ने सिर उठाना शुरू किया था तब आतंकियों की संख्या एक हजार से ज्यादा थी। उनकी संख्या लगातार बढ़ती ही रही। इनमें विदेशी आतंकी भी शामिल थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में अमेरिकी दबाव में पाकिस्तान को अपने ज्यादातर आतंकी कैंपों को बंद करना पड़ा है। इसके अलावा अब घाटी के आतंकियों को सीमा पार से पहले की तरह धन एवं हथियारों की मदद भी नहीं मिल रही है क्योंकि भारत ने सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को चौकस कर दिया है। अब घाटी में आतंकियों को पाकिस्तान का नैतिक समर्थन ही मिल पा रहा है।
सुरक्षा बलों को जनता का समर्थन
न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार पहले के मुकाबले अब सुरक्षा बलों को जनता का ज्यादा समर्थन मिल रहा है। इसलिए अब यह पता करना आसान हो गया है कि कौन आतंकी है, उसके दोस्त कौन हैं और उसकी गर्लफ्रेंड कौन है जिनके यहां वह छिप सकता है। सबसे ज्यादा मुश्किल होती है इस सूचना के आधार पर आतंकियों की घेराबंदी करना और उन्हें मारना।
इजराइल से मिल रही मदद
अखबार के अनुसार हाल के वर्षों में घाटी में आतंकवाद के खात्मे में इजराइल से भारत को काफी मदद मिली है। सिक्यूरिटी कैमरा, नाइट विजन ग्लास और ड्रोन की सुविधा मिलने से सुरक्षा बलों का काम आसान हुआ है। सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि अब आतंकी पहले की तरह खुलेआम शूटिंग की प्रैक्टिस भी नहीं कर पा रहे हैं। अब वे सीमा पार जाकर प्रशिक्षण भी नहीं ले पा रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान से लगती 450 मील से भी ज्यादा लंबी सीमा को सील करने में भारत ने काफी कामयाबी हासिल की है।
पाक पर उठाई उंगली
अखबार ने माना है कि 1947 के बाद से ही पाकिस्तान आतंकियों के जरिए लगातार भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वार चलाता रहा है लेकिन अब यह खेल खत्म हो रहा है। अब घाटी में आतंकवाद के नाम पर राज्य के युवाओं के गैंग ही बचे हैं।